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दान में मिल रहा था दुबे तालाब का एक हिस्सा, सीएम के नहीं आने से टला!

शहर के सुभेदार वार्ड का दुबे उर्फ दवे तालाब लंबे समय से अवैध कब्जे और दफीना (गड़ा धन) खोजने वालों के निशाने पर रहा है। लेकिन लगता है कि अब इसके दिन फिरने वाले हैं। जानकारी के अनुसार इस तालाब के मालिकों ने इसका एक हिस्सा, जनहित में सरकार को दान करने का फैसला किया है।

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सागर। शहर के सुभेदार वार्ड का दुबे उर्फ दवे तालाब लंबे समय से अवैध कब्जेदार और दफीना (गड़ा धन) खोजने वालों के निशाने पर रहा है। लेकिन लगता है कि अब इसके दिन फिरने वाले हैं। जानकारी के अनुसार इस तालाब के मालिकों ने इसका एक हिस्सा, जनहित में सरकार को दान करने का फैसला किया है। यह दान ग्रहण करने और इस पुरा जल संरचना को सहेजने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव गुरुवार को सागर आ रहे थे लेकिन उनके उड़ीसा दौरे के कारण यह टल गया। इधर इस दान की पुष्टि तालाब के स्वामित्वधारियों मेंं से एक शिवराज शुक्ला ने भी की है। उनके अनुसार अन्य पार्टनर आनंद गुप्ता, अरविंद साहू, नरेश ठाकुर, धनीराम पटेल और बब्लू जैन ने शासन के पक्ष में तालाब के रकबे में से एक एकड़ का हिस्सा सरकार के पक्ष में दान करने का निर्णय लिया है ताकि इस जल संरचना समेत ऐतिहासिक छतरियों को संरक्षित किया जा सके। चर्चाओं के अनुसार करोड़ों रुपए की इस जमीन के दान-धर्म का निर्णय क्षेत्रीय विधायक शैलेंद्र जैन की प्रेरणा से लिया गया। जिसकी सराहना नगर निगम महापौर संगीता डॉ. सुशील तिवारी समेत अन्य जनप्रतिनिधियों ने भी की है। जानकारी के अनुसार बुधवार को इस तालाब व लगी हुई जमीन की रजिस्ट्री होना थी लेकिन सीएम का दौरा केन्सिल होने से फिलहाल टल गई है।

दुबे तालाब: हीरे सा चमकदार इतिहास और पारस टॉकीज सा गंदला वर्तमान

दुबे तालाब, जिसका भविष्य चंद घंटे पहले तक बड़ा उज्जवल नजर आ रहा था। लेकिन सीएम डॉ. यादव के नहीं आने से इस पर कुछ धुंधलाहट जमती दिख रही है। बावजूद इस सब के उम्मीद है कि दानदाता और स्थानीय जनप्रतिनिधि अपने वायदे पर कायम रहेंगे। और दुबे तालाब को उसका पुराना वैभव लौटाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।इधर दुबे तालाब जो ओरिजनली गुजराती ब्राह्मणों के द्वारा खुदवाया गया था। उसका यहां के किन्हीं दुबेजी को दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं है। जिसको साबित करने के लिए नीचे वरिष्ठ पत्रकार, इतिहासविद् राजनीतिक विश्लेषक डॉ. रजनीश जैन का एक दो साल पुराना आलेख चस्पा है। इसे पढ़ेंगे तो आप को दुबे उर्फ दवे तालाब के ऐतिहासिक पात्रों का बड़ा ही जीवंत परिचय मिलेगा। गुजरात के हीरा उद्योग की बात होगी। साथ ही शहर के आमोद-प्रमोद का काला अध्याय यानी पारस टॉकीज और उसके इतिहास का भी बड़ा दिलचस्प ब्योरा मिलेगा।संपादकीय स्वतंत्रता का उपयोग करते हुए इस लंबे आर्टिकल को दो-तीन हिस्सों में बांटते हुए उनके दिलचस्प शीर्षक भी दिए गए है।उन्हें पढ़ने के लिए आपको बार-बार बैक नहीं होना पड़े। इसलिए उन सभी की लिंक इसी आलेख में उपलब्ध कराई गई है।

भाग एक : मिस्ट्री बन चुके दुबे तालाब का इतिहास

12/06/2024

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