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विवि: सीबीआई-पुलिस के शिकंजे में फंसने वाले प्रो. सिंह 6 वें कुलपति

10 साल से चल रहा है विवि में पुलिस-कोर्ट कार्रवाइयों का सिलसिला

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सागर। डॉ. हरीसिंह गौर केंद्रीय विवि के पूर्व कुलपति प्रो. डीपी सिंह पर हाल ही में सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की। आरोप है कि प्रो. सिंह पर रायपुर(छग) स्थित श्री रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च सेंटर को नेशनल मेडिकल काउंसिल से अनुमति दिलाने के लिए निरीक्षण टीम को रिश्वत दिलाई। प्रो. सिंह वर्तमान में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल स्टडीज, मुंबई में कुलपति के पद पर हैं। इधर प्रो. सिंह को मिलाकर सागर विवि के कुल 6 कुलपति हो गए हैं। जिन पर सीबीआई और स्थानीय पुलिस ने आपराधिक प्रकरण दर्ज किए हैं। यह सिलसिला बीते 10 साल से चल रहा है। शुरुआत केंद्रीय विवि का दर्जा मिलने के बाद नियुक्त पहले कुलपति प्रो. एनएस गजभिए से हुई थी। इसके बाद कार्यकारी और नियमित व पूर्व कुलपतियों पर हर दूसरे-तीसरे साल कभी सीबीआई तो कभी पुलिस एफआईआर होती रही।

अधिकांश मामले नियुक्ति और खरीदी से जुड़े थे

प्रो. गजभिए, इन कुलपतियों में इकलौते थे। जिन्हें जेल की हवा खानी पड़ी। बाकी के पास सीबीआई और पुलिस के पास पर्याप्त सुबूत नहीं रहे। जिसके चलते उन्हें गिरफ्तार करने की नौबत नहीं आई। गजभिए समेत अधिकांश कुलपति पर नियुक्ति और वित्तीय अनियमितताओं के चलते केस दर्ज किए गए। पूर्णकालिक कुलपति में से प्रो. आरपी तिवारी ही इकलौते रहे, जिनके विरुद्ध एससी-एसटी एक्ट की धाराओं में केस दर्ज हुआ। उनके खिलाफ वित्तीय अनियमितता या पद के दुरुपयोग का मामला नहीं मिला। गजभिए के बाद कार्यकारी कुलपति प्रो. आरएस कंसाना, प्रो. एसपी व्यास पर पद के दुरुपयोग के आरोप लगे। उनके विरुद्ध सीबीआई ने एफआईआर की। इनमें से प्रो. कंसाना का निधन हो चुका है। इन दो कुलपति के अलावा कार्यकारी कुलपति प्रो. जेडी आही के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया था। इस श्रृंखला में फिलहाल आखिरी नाम पूर्व कुलपति प्रो. सिंह का है। जिनके खिलाफ हाल ही में भ्रष्टïाचार के आरोप में सीबीआई ने केस दर्ज किया है।

कुलपति प्रो. गुप्ता के खिलाफ एफआईआर के लिए रिमाइंडर दिया

डॉ. हरीसिंह गौर केंद्रीय विवि की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता व अन्य के खिलाफ पद व सरकारी धन का दुरुपयोग, भ्रष्टाचार के आरोप में एफआईआर की जाए। इस आशय का एक रिमाइंडर एमबीए के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. श्री भागवत ने बीते माह पुलिस अधीक्षक सागर को दिया है। जनवरी 2024 को की गई शिकायत के परिपेक्ष्य में दिए गए इस रिमाइंडर में प्रो. भागवत ने कुलपति प्रो. गुप्ता के अलावा प्रो. पीके कठल, प्रो. वायएस ठाकुर, प्रो. अजीत जायसवाल समेत अन्य के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की मांग की है। शिकायतकर्ता प्रो. भागवगत का कहना है कि कुलपति व अन्य ने पद का दुरुपयोग करते हुए एमबीए में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर डॉ. राधिका कुरील की नियुक्ति की। मेरी शिकायत के बाद विवि की कार्यपरिषद ने डॉ. कुरील को बर्खास्त किया। उन्हें हाईकोर्ट से भी राहत नहीं मिली। जबकि इस नियुक्ति को कुलपति प्रो. गुप्ता के अलावा प्रो. कठल, प्रो. ठाकुर, प्रो. जायसवाल एवं उप कुलसचिव संतोष सोहगोरा ने सही ठहराया था। इसी तरह की मिलीभगत कर इन लोगों ने पद का दुरुपयोग करते हुए प्रो. ठाकुर को सीनियर प्रोफेसर के रूप में प्रमोट कर दिया। इन्हीं के कार्यकाल में कॉमर्स में डॉ. पाहवा को योग्यता नहीं होने के बावजूद नियुक्ति दी गई। इकॉनामिक्स में डॉ. रेड्डी की नियुक्ति भी विवादों में है। मेरी मांग है कि इन सभी के खिलाफ पद के दुरुपयोग व भ्रष्टटाचर का केस दर्ज किया जाए। 

07/07/2025

 

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