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CBI का डेरा सागर में ! पूर्व कुलपति प्रो. सिंह की गिरफ्तारी की खबरें

नेशनल मेडिकल काउंसिल के रिश्वतखोरी मामले के तार सागर से भी जुड़ सकते हैं

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सागर। नेशनल मेडिकल काउंसिल रिश्वत कांड में सागर विवि के पूर्व कुलपति और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल स्टडीज (मुंबई) के वर्तमान चांसलर प्रो. डीपी सिंह की गिरफ्तारी की अपुष्ट खबर है। एक चर्चा ये भी है कि सीबीआई की एक टीम सागर में डेरा डाले है। माना जा रहा है कि ये टीम, सागर में श्री रावतपुरा सरकार ( लहार) के पीठाधीश्वर श्री रविशंकर महाराज को आर्थिक मदद देने वालों से पूछताछ कर सकती है। हाल ही में महाराज जी का प्राकट्योत्सव मनाया गया था। श्री रावतपुरा सरकार की वर्तमान मौजूदगी  लहार स्थित आश्रम में बताई जा रही है। विभिन्न मीडिया स्रोतों के अनुसार NMC रिश्वत  मामले में रविशंकर महाराज की सीधे तौर पर संलिप्ता पाई गई है। रविशंकर महाराज ने टीआईएसएस के चेयरमैन डीपी सिंह से सौदेबाजी के बाद श्री रावतपुरा मेडिकल कॉलेज के निदेशक अतुल तिवारी को एनएमसी की टीम से बातचीत करने को कहा। इसके बाद तिवारी ने टाटीबंध (रायपुर) स्थित होटल में ठहरी राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग निरीक्षण दल की प्रमुख और मांड्या इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस बेंगलुरु में आर्थोपेडिक्स डिपार्टमेंट की एचओडी डॉ मंजप्पा सीएन को सीधे 55 लाख रुपये का ऑफर किया। डॉ मंजप्पा ने निरीक्षण दल के अन्य सदस्य बेंगलुरू के डॉ सतीश, डॉ चैत्रा एमएस, डॉ अशोक शेलके से इस बारे में बात कर सभी को बराबर हिस्सा देने को कहा।

हवाला ऑपरेटर के जरिए रिश्वत का पेमेंट

डॉ सतीश ने हवाला ऑपरेटर के जरिए मिले 55 लाख रुपये बेंगलुरू में चैत्रा के पति रविचंद्रन के साथ जाकर एकत्र किया था। इस बीच भनक लगने पर सीबीआई ने डॉ मंजप्पा, डॉ चैत्रा एमएस, डॉ अशोक शेलके और अतुल तिवारी को रायपुर और डॉ सतीश व रविचंद्रन को बेंगलुरू में घेराबंदी कर दबोचा।सीबीआई की जांच में यह साफ हुआ है कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी), आईटी और यूजी-पीजी बोर्ड के भीतर एक सुनियोजित रैकेट चल रहा है। इसमें केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधिकारियों की मिलीभगत भी है।

सागर विवि के पूर्व कुलपति की रावतपुरा मेडिकल कॉलेज रिश्वतकांड में संदिग्ध भूमिका

 

इस रैकेट ने मोटी रिश्वत के बदले कई निजी मेडिकल कॉलेजों को मंजूरी दी गई, जबकि उनमें कई खामियां थीं। आरोपी अधिकारियों ने मेडिकल कॉलेजों के प्रतिनिधियों को पूर्व सूचना प्रदान की ताकि वे अस्थायी रूप से आवश्यकताओं को पूरा करके मूल्यांकन प्रक्रिया को बाधित कर सकें और अनुकूल रिपोर्ट के लिए निरीक्षण दल के सदस्यों को रिश्वत दे सकें। जैसा कि आरोप लगाया गया है, कम्पलाइंस दिखाने के लिए कॉलेजों द्वारा प्रॉक्सी फैकल्टी और कर्मचारियों को काम पर रखा गया था।  कुछ मामलों में, उन्हें स्थायी कर्मचारियों के रूप में पेश करने के लिए क्लोन नमूनों का उपयोग करके बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली में भी हेराफेरी की गई थी।

1300 करोड़ से अधिक का रिश्वतकांड

सीबीआई की शीर्ष सूची में रावतपुरा कॉलेज नवा रायपुर स्थित श्री रावतपुरा मेडिकल कॉलेज शीर्ष सूची में है, जिसने रिश्वतखोरी के बदले मान्यता लेने की कोशिश की। इनके साथ ही कॉलेज से जुड़े अन्य पदाधिकारियों की भी जल्द गिरफ्तारी के संकेत है। सूत्रों का कहना है कि देशभर आठ राज्यों के निजी मेडिकल कॉलेजों को मान्यता दिलाने के नाम पर 1,300 करोड़ रुपये से अधिक के रिश्वत लेने के प्रमाण सीबीआई की जांच में सामने आए है। जांच की जद में आए श्री रावतपुरा कॉलेज के पांच प्रमुख पदाधिकारियों के साथ एनएमसी और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के 11 अधिकारियों समेत 35 नामजद आरोपितों की गिरफ्तारी होगी। इनमें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के पूर्व अध्यक्ष और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल स्टडीज (मुंबई) के वर्तमान चांसलर डीपी सिंह, छत्तीसगढ़ के रायपुर में श्री रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च (एसआरएसआईएमएसआर) और इसके प्रमुख रविशंकर जी महाराज, राजस्थान के उदयपुर में गीतांजलि विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार मयूर रावल और मध्य प्रदेश के इंदौर में इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन सुरेश सिंह भदौरिया शामिल हैं। इनके अलावा मेडिकल असेसमेंट एंड रेटिंग बोर्ड के तत्कालीन पूर्णकालिक सदस्य और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के संयुक्त निदेशक जीतू लाल मीना, स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी पूनम मीना, धर्मवीर, पीयूष माल्यान, अनूप जसवाल, राहुल श्रीवास्तव, चंदन कुमार, दीपक और मनीषा को भी नामजद किया गया है।एनएमसी टीम के सदस्य चित्रा एमएस, पी. रजनी रेड्डी, मंजप्पा सीएन और अशोक शेलके, विशाखापत्तनम के गायत्री मेडिकल कॉलेज के निदेशक वेंकट, तेलंगाना के वारंगल में फादर कोलंबो इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के फादर जोसेफ कोमारेड्डी, उत्तर प्रदेश के मेरठ में नेशनल कैपिटल रीजन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज की शिवानी अग्रवाल,और गुजरात के गांधीनगर में स्वामीनारायण इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च के स्वामी भक्तवत्सलदासजी के नाम शामिल हैं।केंद्रीय एजेंसी ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 61(2) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7, 8, 9, 10 और 12 के तहत एक नियमित मामला दर्ज किया है। जांच में देश भर के दर्जनों सरकारी अधिकारी, निजी व्यक्ति और संस्थागत प्रमुख शामिल हैं, जिन पर रिश्वतखोरी और आपराधिक साजिश से लेकर आधिकारिक गोपनीयता भंग करने और जालसाजी तक के आरोप हैं।

नीट के बाद क्लोन फिंगर प्रिंट फिर चर्चा में आया

इंदौर के इंडेक्स मेडिकल कॉलेज में आरोप है कि एनएमसी के न्यूनतम मानकों को पूरा करने के लिए फर्जी शिक्षकों को स्थायी कर्मचारियों के रूप में दर्ज किया गया था। कथित तौर पर क्लोन फिंगरप्रिंट का उपयोग करके बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली में हेरफेर किया गया था ताकि पूर्ण संकाय की उपस्थिति दिखाई जा सके। यह बिल्कुल वैसा ही जैसा कि, नीट, रेलवे, पुलिस के एग्जाम में असल परीक्षार्थी के अंगूठे का प्रिंट सिलिकॉन पर प्रिंट कर उसे नकली परीक्षार्थी अपने अंगूठे में पहन कर एग्जाम में शामिल हो जाते हैं। इन्डेक्स के अध्यक्ष सुरेश सिंह भदौरिया पर ये भी आरोप है कि इंडेक्स मेडिकल कॉलेज की मूल संस्था मालवांचल विश्वविद्यालय के माध्यम से फर्जी डिग्री और अनुभव प्रमाण पत्र जारी करने का भी आरोप है। जबकि टेकइनफी सॉल्यूशंस के आरोपी रणदीप नायर भी कथित तौर पर बिचौलिए के रूप में काम कर रहे थे और स्वामीनारायण इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च, नेशनल कैपिटल रीजन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज और बिहार के खगड़िया में श्यामलाल चंद्रशेखर मेडिकल कॉलेज जैसे मेडिकल कॉलेजों से संपर्क कर उनके प्रतिनिधियों को निरीक्षण से संबंधित पूर्व सूचना का भरोसा दे रहे थे। एक घटना कथित तौर पर छत्तीसगढ़ के रायपुर में श्री रावतपुरा सरकार आयुर्विज्ञान एवं अनुसंधान संस्थान (SRIMSR) से जुड़ी है। इस साल 26 जून को गीतांजलि विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार मयूर रावल ने कथित तौर पर कॉलेज के अधिकारी अतुल कुमार तिवारी को 30 जून को होने वाले निरीक्षण के बारे में बताया। रावल ने कथित तौर पर 25-30 लाख रुपये की रिश्वत मांगी और चार सदस्यीय एनएमसी निरीक्षण दल की पहचान का खुलासा किया।

07/07/2025

 

 

 

 

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