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महिला पर्वतारोही के हाईकोर्ट में किए दावे पर पूर्व विधायक साहू ने जताई असहमति

पर्वतारोही मेघा परमार ने दावा किया है कि, दक्षिण अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी पर वह पहले पहुंची

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सागर। भोपाल की एक पर्वतारोही मेघा परमार ने हाल ही में मप्र हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है। जिसमें उन्होंने राज्य सरकार के खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा दिए जाने वाले विक्रम अवार्ड में अपना नाम नहीं होने पर आपत्ति ली है। वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा के जरिए हाईकोर्ट के समक्ष उन्होंने दावा किया है कि वह मप्र से पहली पर्वतारोही हैं, जिन्होंने दक्षिण अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमनजारो पर फतह प्राप्त की थी। उनके इस दावे को लेकर जिले के सुरखी विधानसभा क्षेत्र की पूर्व विधायक एवं भाजपा नेता पारुल साहू केशरी ने आपत्ति ली है। पारुल का कहना है कि मेघा परमार ने यह उपलब्धि 23 सितंबर 2019 को प्राप्त की थी। जबकि मैंने महान महिला पर्वतारोही बछेंद्रीपाल के नेतृत्व में इस चोटी पर 29 जून 2008 को विजय प्राप्त कर ली थी। पारुल का कहना है कि 2008 के इस पर्वतारोहण अभियान के आधार पर संभवत: मैं, मप्र की पहली महिला पर्वतारोही हूं, जिसने दक्षिण अफ्रीका की इस चोटी पर कदम रखा था।
शुभकामनाओं साथ-साथ पारदर्शिता बरतने की भी सीख दी
पूर्व विधायक पारुल ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर एक पत्र भी अपलोड किया है। जिसमें उन्होंने अपने इस दावे के समर्थन में तत्कालीन समाचार पत्रों की कटिंग के अलावा उस अभियान के फोटो शेयर किए हैं। उन्होंने यहां लिखा है कि मैं, मेघा को शुभकामनाएं देना चाहती हूं कि वे अपने हक  के लिए लड़ाई लड़ रही हैं। लेकिन उन्हें एक सुझाव भी देना चाहती हूं कि जब भी आप न्याय पाने के लिए लड़ते हैं तो सबसे पहले आपको पूरी तरह से पारदर्शी तथ्य प्रस्तुत करना चाहिए। एक खिलाड़ी खासकर पर्वतारोही को स्वयं के द्वारा पेश आचरण व दावों को पहाड़ों की तरह सशक्त व स्थिर रखना चाहिए।
इंडो-अफ्रीकन अभियान का हिस्सा बन 17 साल पहले विजय प्राप्त की
वर्ष 2008 में टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन के द्वारा इंडो-अफ्रीकन अभियान शुरु किया गया था। इस अभियान की मुख्य लीडर पदमश्री एवं अर्जुन अवार्डी पर्वतारोही बछेंद्रीपाल थी। जून 2008 के आखिरी सप्ताह में शुरु हुए इस अभियान की शुरुआत एक दुर्गम व खतरनाक रास्ते से की गई।क्योंकि यह खड़ा और चुनौतियों से भरा हुआ था। करीब 16 हजार वर्गफीट पर ऑक्सीजन की कमी के चलते अभियान में शामिल कुछ पर्वतारोही आगे बढ़ने में असमर्थ थीं। तब बछेंद्रीपाल ने पर्वतारोहियों की दो टीम बनाते हुए आगे बढ़ने वाली चार सदस्यीय टीम का नेतृत्व पारुल को सौंपा था। उन्होंने बिना रुके 18 घंटे तक चढ़ाई की और किलमिनजारो पर्वत की चोटी पर फतह प्राप्त की। उस समय वहां का तापमान माइनस 20 डिग्री सेल्सियस था।

 

12/06/2025

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