गैंग्स ऑफ नोनागिर-1: घोड़े की हत्या में गांव वालों को फंसाना चाहते थे गुंडा लिस्ट में शामिल “पीड़ित”
12 साल पहले शुरु हुआ था "गैंग्स ऑफ नोनागिर " के अपराधों का सिलसिला, अपराधियों के टूल बनकर मौज करते रहे लालू, राजेंद्र और विष्णु

sagarvani.com9425172417
सागर। खुरई के बरोदिया नोनागिर के अहिरवार परिवार को कांग्रेस व भाजपाई पीड़ित बता रहे हैं। ये बात और है कि गांव में उनके षड़यंत्र, अत्याचार, दहशत, धौंस-धपट का एक अलग लेविल है।। जिसे इतने भर से समझा जा सकता है कि गुंडा लिस्ट में शामिल इस परिवार के लोग, गांव के लोगों को आदम जात तो ठीक घोड़ा, तोता तक की मौत को हत्या बताकर फंसाने की कोशिशें करते रहे हैं। अत्याचार की स्थिति ये थी कि इस परिवार के लड़के गांव की किसी भी लड़की से छेड़खानी कर देते। मोबाइल से जबरिया सेल्फी ले लेते। दहशत ऐसी कि लड़की या उसके परिवार वाले इन लोगों की थाने में रिपोर्ट तक नहीं करते थे। इनकी पूरी कुंडली पर आगे विस्तार से चर्चा करेंगे। उसके पहले यहां के गैंग्स ऑफ नोनागिर की कहानी जान लें। जिसके प्यादे के रूप में यह अहिरवार परिवार काम कर रहा था। इस गैंग का मुखिया गांव के बुजुर्ग शब्बीर कुरैशी को माना जा सकता है जिसके 13 बेटे हैं और उनमें से एक की मौत हो चुकी है। गांव के लोगों के अनुसार इस गैंग का उदय करीब दो दशक पहले हुआ लेकिन असल टेरर 10-12 साल पहले शुरु हुआ, जब इस गैंग के मेम्बर युवा हो गए। उन्होंने गांव की बहु-बेटियों को परेशान करना शुरु कर दिया। गांव वालों के अनुसार इन लोगों ने खेतों से मोटर, अनाज, मवेशी गायब करने जैसे छोटे-बड़े अपराध किए। जो अब तक जारी हैं। 
बेटी को छेड़ा, पिता को जिंदा जलाया
गैंग्स ऑफ नोनागिर ने पहला बड़ा अपराध वर्ष 2012-13 में किया। गांव वालों के अनुसार शब्बीर कुरैशी के हिस्ट्रीशीटर लड़के इमरान कुरैशी और रिजवान कुरैशी स्थानीय ग्रामीण अमरसिंह पटेल की बेटी को छेड़ते थे। अमरसिंह ने विरोध किया तो एक दिन ये लोग उसके खेत पर गए और अमरसिंह करंट लगाकर जलाकर मार डाला। रिजवान, इमरान व अन्य पर हत्या का केस दर्ज हुआ।
लड़की को ले गया, आरोपी का शव पटरी पर मिला
गांव में अपने अत्याचार-दहशत में साल दर साल इजाफा करते हुए इस गैंग के एक सदस्य दानिश कुरैशी ने साल 2020 में स्थानीय निवासी आशिक कुरैशी की बेटी को उठा लिया। वह उसके दो दिन तक अपने साथ रखे रहा। तभी अचानक दानिश का शव रेलवे पटरियों पर मिला। इमरान, आमिर सोहेल, रिजवान आदि को संदेह था कि आशिक ने यह कांड किया है। इसलिए उन्होंने आशिक का नाम दानिश की हत्या के केस में लिखवा दिया।
परेशान होकर लड़की ने खुद को जला दिया
साल 2020-21था। बढ़ते आपराधिक हौंसलों के चलते इमरान के भाई आमिर सोहेल और फैजल ने एक स्थानीय राजपूत परिवार की लड़की वैशाली को परेशान करना शुरु कर दिया। पिता वीरेंद्रसिंह राजपूत ने इन लोगों को फटकारा लेकिन नहीं माने। आखिरकार परेशान होकर वैशाली ने खुद को आग के हवाले कर दिया। मरणासन्न बयानों में उसने बताया कि मुझे आमिर सोहेल, फैजल और अरमान परेशान करते थे। इसके बाद उसकी मौत हो गई। हालांकि बाद में कानूनी दांव-पेंच का इस्तेमाल करते हुए इन लोगों आमिर सोहेल को मुख्य आरोपी बता दिया। बाकी दो जेल से बाहर आ गए।
मुखिया का प्रभाव खत्म करने ललकारने लगे
गांव के अधिकांश विवादों का निपटारा गांव के मुखिया कोमलसिंह, विजय सिंह करते थे जिसे गांव के सभी जाति-धर्म के लोग राजी-खुशी से स्वीकार करते थे।। जब गैंग्स ऑफ नोनागिर के चोरी,अत्याचार बढ़ने लगे तो गांव के लोग उनके पास जाने लगे। कोमलसिंह ने अपनी साख का उपयोग कर इन हिस्ट्रीशीटर्स पर खुरई देहात थाने में केस दर्ज कराना शुरु कर दिए। इससे इमरान, आमिर सोहेल एंड कंपनी की परेशानी बढ़ गई। तंग आकर इमरान एंड कंपनी ने इस परिवार का ही सफाया करने की ठान ली। जिसके लिए इन लोगों ने ठाकुर परिवार पर सीधे हाथ नहीं डालकर उन्हें डराना-धमकानें, साख खराब करने का पैंतरा आजमाया। उदाहरण के लिए वर्ष 2020 में इन लोगों ने ठाकुर परिवार के विक्रमसिंह, आजादसिंह और लक्ष्मणसिंह के घर के बाहर फायरिंग की। जिसमें एक गोली लक्ष्मणसिंह के हाथ में लगी। इन लोगों ने मौके पर इस कदर दहशत फैलाई कि घायलों को लेने पहुंची 108 एम्बुलेंस को भी इन लोगों ने तोड़-फोड़ दिया।
एट्रोसिटी नया हथियार, लालू,राजेंद्र और विष्णु बने टूल
इमरान,आमिर सोहेल, रिजवान लूट,चोरी, छेडछाड़ राहजनी आदि मामलों में लगातार फंस रहे थे। उनकी आपराधिक दुनिया का रेडियस राहतगढ़-खुरई से लेकर रायसेन, विदिशा,भोपाल तक पहुंच गया था। जो खुरई पुलिस के संज्ञान में था।इसलिए ये लोग जब भी किसी की शिकायत करते तो पुलिस उनकी हिस्ट्री देख मामले पर विशेष एक्शन नहीं लेती। इसी दौरान वर्ष 2020-2021 की वारदातों को देखते हुए पुलिस-प्रशासन ने इनके खिलाफ जिला बदर की कार्रवाई कर दी। मकान भी गिरा दिए। जिसके बाद इन लोगों ने अपना ठिकाना राहतगढ़ को बना लिया। बावजूद ये लोग गांव में चोरी, विवाद, दहशत के इरादे से बरोदिया नोनागिर में आवाजाही करते रहे। इधर बदलते हालात में 5-6 साल पहले इमरान ने छोटी-मोटी चोरियां करने वाले तत्कालीन नाबालिग नितिन उर्फ लालू अहिरवार, राजेंद्र अहिरवार, विष्णु अहिरवार और अंजना अहिरवार को अपना टूल बना लिया था। जिसकी शुरुआत इन लोगों ने वर्ष 2019 में अंजना के जरिए ठाकुर परिवार के लोगों के खिलाफ छेड़छाड़, मारपीट की रिपोर्ट के रूप में की। पुलिस के मुताबिक विवाद सामान्य मारपीट, गाली-गलौज भर का था। इसलिए यही रिपोर्ट दर्ज की गई।
क्रमशः
गैंग्स ऑफ नोनागिर-2: चोरी की असफल वारदात और मॉब लिंचिंग में लालू की मौत
31/05/2024



