गैंग्स ऑफ नोनागिर-2: चोरी की असफल वारदात और मॉब लिंचिंग में लालू की मौत

sagarvani com9425172417
गतांक से जारी……
चोरी की असफल वारदात, मॉब लिंचिंग में लालू की मौत
अंजना के जरिए रिपोर्ट कराने का दांव आंशिक रूप से सफल रहा। इसके बाद भी गैंग्स ऑफ नोनागिर के दिमाग में ठाकुरों को बुरी तरह से कानूनी मामले में फंसाने की नित नई तदबीरें जन्म ले रही थीं। इसी बीच अगस्त 2024 में गांव के एक मुस्लिम के घर लालू अहिरवार, विष्णु अहिरवार और उसके तथाकथित रिश्तेदार राजेंद्र अहिरवार चोरी की नीयत से घुसे। लेकिन घरवालों के प्रतिरोध के कारण उन्हें भागना पड़ा। इस घटना की रिपोर्ट करने यह मुस्लिम परिवार खुरई थाने गया तो उसे बैरंग लौटा दिया गया। अब मुस्लिम परिवार गांव में मुखिया की पोजिशन रखने वाले विक्रमसिंह के परिवार के पास पहुंचा। उन्होंने परिवार से अंकित ठाकुर को पुलिस थाने भेज दिया। इसके बाद पुलिस एक्शन में आ गई। इसी बात को पकड़ते हुए इमरान, आमिर सोहेल एंड कंपनी ने लालू को भड़का दिया। जिसके चलते वह शराब के नशे में धुत्त होकर 24 अगस्त 2023 को गांव के भीड़ भाड़ वाले इलाके में पहुंचा और बोला कि, क्यों बे ठाकुर पिछली बार तू छेड़छाड़ के मामले में फंसते-फंसते बचा। उसके बावजूद बाज नहीं आ रहा। क्यों मेरी रिपोर्ट करा रहा है। इसके बाद उसने तलवार से विक्रमसिंह पर वार किया। जिसे गोलू सोनी नाम के युवक ने हाथ से रोक लिया। इससे उसकी अंगुलियां कट गईं। यह घटनाक्रम देख गांव के लोग आक्रोशित हो गए और उन्होंने भीड़ की शक्ल में लालू अहिरवार को पीट-पीटकर मार डाला।
नई टूल बनी अंजना और सारे दुश्मन सलाखों के पीछे पहुंच गए
लालू की मौत के तत्काल बाद इमरान एंड कंपनी की मोहरा युवती अंजना अहिरवार बन गई। चूंकि जब लालू की हत्या हुई थी। वह विधानसभा चुनाव-2023 की शुरुआती दौर था। दलित की सरेआम हत्या वाली लाइन पर चलते कांग्रेेस, बसपा, भीम आर्मी आदि सभी पुलिस-प्रशासन और सरकार पर दबाव बनाने लगे। नतीजतन इमरान के इशारे पर अंजना ने जिन-जिन लोगों के नाम बताए। उन सभी को पुलिस ने लालू की हत्या का आरोपी बना दिया। गौर करने लायक बात ये है कि इन नामों में 80-90 साल तक के लोगों से लेकर किराना, सब्जी बेचने वाले, मामूली किसान तक शामिल थे।
गैंग्स ऑफ नोनागिर-1: घोड़े की हत्या में गांव वालों को फंसाना चाहते थे गुंडा लिस्ट में शामिल “पीड़ित”
हाल ही में इनमें से एक वयोवृद्ध आरोपी विजयसिंह उम्र 87 वर्ष को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली है। जबकि 80 वर्षीय विजयसिंह अभी भी जेल में बंद हैं। उनके अलावा आजादसिंह, कोमलसिंह, वहीद खान, अनीश खान, इस्लाम खान, नफीस खान, फरहीन खान, लालू खान, फहीम खान, अरबाज खान, अभिषेक रैकवार अभी भी सलाखों के पीछे हैं। इस तरह से गैंग्स ऑफ बरोदिया नोनागिर ने अपने अधिकांश दुश्मनों को सलाखों के पीछे भेज दिया।
राजेंद्र की हत्या में भी यही तरकीब लेकिन अंजना की बलि चढ़ गई
आपराधिक पृष्ठभूमि वाले राजेंद्र अहिरवार की पिछले दिनों हत्या हो गई। इस हत्या की साधारण सी वजह ये थी कि वह गांव के एक व्यक्ति पप्पू रजक को धमकाने गया था। तभी उस पर मोहल्ले के अन्य लोगों ने हमला बोला और उसकी मौत हो गई। इस मौत को भी इमरान, आमिर सोहेल ने पूरी तरह कैश कराने की तैयारी कर ली। चूंकि अंजना अहिरवार इन लोगों की अहम टूल बन चुकी थी। इसलिए मौका-ए-वारदात से कहीं दूर मौजूद इस युवती को रिपोर्टकर्ता बनाया गया। जबकि सच्चाई ये है कि राजेंद्र के साथ उस समय अंजना नहीं, उसका भाई विष्णु अहिरवार मौजूद था। चूंकि यह व्यक्ति भी गुंडा लिस्ट में शामिल है। इसलिए इमरान एंड कंपनी ने उसे कमजोर रिपोर्टकर्ता मानते हुए बड़ी चालाकी से अंजना से रिपोर्ट कराई। इसके पीछे इमरान, आमिर का बड़ा उद्देश्य ये था कि दानिश की हत्या के आरोपी रहे आशिक खान समेत लालू की हत्या के आरोपियों के परिजन को भी जेल भेजा जाए। चाल कामयाब रही। अंजना अहिरवार द्वारा लालू की मौत के समय के तेवरों को ध्यान में रख तत्काल आशिक कुरैशी, फईम कुरैशी, टंटू कुरैशी, बबलू बैना, इजराइल बैना के FIR दर्ज कर ली। जबकि गांव वालों का कहना था कि हत्या के समय ये लोग मौका-ए-वारदात पर थे ही नहीं। हालांकि चंद घंटे बाद ही गैंग्स ऑफ नोनागिर के इस दांव पर सवालिया निशान लग गया क्योंकि राजेंद्र अहिरवार का शव ले जाते वक्त अंजना स्टंटबाजी में चलते वाहन से कूद गई। जिससे उसकी मौत हो गई।
आखिरी में…घोड़े की हत्या में फंसाने का स्टंट
खुद को दमित, पीड़ित बताने वाले इस परिवार के पास एक घोड़ा था। गांव वालों का कहना है करीब दो साल पहले कि मालथौन थाना क्षेत्र के अमझिरा इलाके में एक लोडिंग वाहन पलट गया। उसी वाहन में ये काले रंग का घोड़ा था। गांव वालों के अनुसार लालू अहिरवार इस घोड़े को चुरा लाया। फिर वह और उसका भाई विष्णु, बहन अंजना और कथित रिश्तेदार राजेंद्र अहिरवार उस पर सवार होकर गांव की गलियों में रौब गांठने लगे। लेकिन साल भर बाद अगस्त 2023 में लालू की हत्या हो गई। जिसके बाद इस घोड़े ने भी दम तोड़ दिया। अब फिर गैंग्स ऑफ नोनागिर सक्रिय हुई और अंजना के जरिए पुलिस रिपोर्ट कराई कि घोड़े को लालू की हत्या करने वाले लोगों ने जहर देकर मारा है। उन्हें गिरफ्तार किया जाए। पुलिस ने घोड़े का PM कराया तो उसकी शिकायत निराधार निकली। अंजना ने इसी तरह की एक शिकायत घर में पले तोते को लेकर की थी। वह भी बेबुनियाद निकली।
हद तो ये कि पुलिस भी दबाव में आ गई
इस पूरे घटनाक्रम में सबसे भयानक स्थिति ये है कि पुलिस गैंग्स ऑफ नोनागिर के दबाव में काम करने लगी। हालांकि इसके पीछे वे राजनीतिक दल और व्यक्ति भी दोषी हैं जो सच्चाई जानते हुए भी इस गैंग की बी टीम यानी अहिरवार परिवार को नैतिक- राजनैतिक सपोर्ट देने पहुंचते रहे हैं। नतीजा ये हुआ कि पुलिस-प्रशासन दबाव में आने लगा। ये लोग जो-जो नाम लेते जाते वह FIR में दर्ज होते जाते। लालू की हत्या के आरोप में फंसे वयोवृद्ध और साधारण किसान, दुकानदार और फिर ताजा मामला राजेंद्र की हत्या में आरोपी बताए जा रहे आशिक, इसराइल वगैरह इसका सबसे सटीक उदाहरण है।
31/05/2024



