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पत्रकांड के आरोपी के पास खाने को नहीं, लेकिन वह मर्सिडीज से कोर्ट आता था: मुनिश्री निष्कंप जी महाराज

महाराजजी बोले, लोगों को यह पता करना चाहिए कि आरोपी को कौन लोग बचाना चाहते हैं, गुरु से ऐसा दगा कोई आस्तीन का सांप कर सकता है

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सागर। जैन समुदाय के पत्रकांड को लेकर नवाचार्य श्री समयसागर जी महाराज के संघ के मुनिश्री लगातार बोल रहे हैं। पत्रकांड में लिखी अर्नगल, आपत्तिजनक टीका-टिप्पणियों को लेकर जिन- जिन मुनि श्री ने मीडिया से बात की है। वे सभी एकसुर में यह दावा कर रहे हैं कि इन पत्रों के कारण ही पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज असमय समाधिस्थ हो गए। यह एक बड़ा आरोप है, जिसको लेकर देर-सबेर समाज, संदिग्धों से जवाब मांग सकती है। बहरहाल इस मामले में संघ के एक और मुनि श्री निष्कंपसागर जी महाराज ने मीडिया के समक्ष अपने विचार साझा किए।

 

उन्होंने कहा कि पत्रकांड का मुख्य आरोपी हिम्मू जैन कुबूल कर चुका था कि वही इन पत्रों को सागर के श्रेष्ठि व संघ के मुनियों को भेजता था। लेकिन मेरा कहना है कि इसके पीछे कौन था। उसका नाम सामने आना चाहिए। वरना ऐसा क्यों है कि हिम्मू, जो एक बहुत ही साधारण परिवेश से आता है। जिसकी आर्थिक स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं है, बताते हैं कि वह मर्सिडीज गाड़ी से कोर्ट में पेशी करने आता था। निजी रूप से मैं कहना चाहता हूं कि गुरु से इस तरह का दगा कोई आस्तीन का सांप ही कर सकता है। इससे पहले मुनि श्री निष्कंप सागर जी महाराज ने कहा कि, साल 2022 में इन पत्रों को लेकर संघ में चर्चाएं होने लगी थी। इसी दौरान 108 आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज केंद्रीय जेल सागर गए। वहां उन्होंने कैदी भाइयों को आशीर्वाद दिया। तभी कुछ कैदियों को जाने कहां से आचार्यश्री व संघ के अन्य सदस्यों के बारे में लिखे गए इन आपत्तिजनक पत्रों के बारे में मालूम चल गया। तब कुछ बंदी स्वयं आगे आकर बोले कि गुरुवर, हमारा जीवन तो जेल में ही कटेगा। हमें बताइए कौन लोग हैं वे जो आपके बारे में आपत्तिजनक बातें लिख रहे हैं……

31/05/2025

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