बड़ा खुलासा: पत्रकांड को लेकर मुनिसंघ ने जूम मीटिंग कर ” संदेही” के बारे में चर्चा की थी


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सागर। समाधिस्थ 108 आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज का मुनि संघ समुदाय के मुनि- महाराजों के बारे में आपत्तिजनक टीका- टिप्पणी को लेकर मुखर हो चला है। हाल ही में निर्यापक मुनि श्री योगसागर जी महाराज ने खुलकर कहा था कि ” वे” ये न समझें कि समाज यह नहीं जानता कि ये पत्र कौन लिखवा रहा था। वहीं मुनि श्री निर्भीक सागर ने तो खुलकर कहा कि आचार्य श्री हम लोगों को इतने जल्दी छोड़कर नहीं जाते। उन्हें इन पत्रों के बारे में पता चला तो वे बुरी तरह से टूट गए। उनकी आंखों में आंसू थे और आखिर में वे हमें छोड़ गए। इसी कड़ी में यूपी के ललितपुर स्थित पाली कस्बे में विराजमान मुनि श्री महासागर जी महाराज ने भी अपनी बात रखी है। जिसके ये सम्पादित अंश हैं।
वे और क्या- क्या बोले यह जानने के लिए आप पूरा वीडियो देखें। बहरहाल मुनि श्री ने बगैर किसी का नाम लिए कहा कि दो साल पहले जैसे ही ये पत्र हम लोगों के संज्ञान में आए तो मुनि संघ के वरिष्ठ सदस्य आदरणीय मुनि श्री समता सागर जी महाराज और मुनि श्री प्रमाण सागर जी महाराज ने जनवरी 2023 को जूम मीटिंग की। जिसमें मुनि संघ के कई सदस्य शामिल हुए। हम सब के बीच इस मामले पर गहन चिंतन व विमर्श हुआ। हम लोग यह जान चुके थे कि यह कौन कर रहा है। इसलिए निर्णय लिया कि हम “उन्हें” नमोस्तु नहीं कहेंगे। समाधिस्थ आचार्य श्री को वाट्स एप पर संघ की इस भावना से अवगत करा दिया।
जानकारी मिली कि वे प्रसन्न थे। आचार्य श्री ने कहा था कि मैं इस मामले में असमंजस में था लेकिन आपका यह निर्णय बहुत अच्छा है। उनकी आंखों में खुशी के आंसू थे। उन्हें महसूस हुआ होगा कि कोई कुछ भी कहे लेकिन मुनि संघ उन्हें निर्दोष मानता है। इसके बाद भी मैं ( मुनि श्री महासागर जी महाराज ) मानता हूं कि आचार्य श्री भीतर से बहुत दुखी थे। यही कारण है कि वे हमें समय से पहले छोड़ गए। मैं प्रार्थना करता हूं कि आचार्य भगवन के साथ यह छल-कपट करने वाले को सजा मिले। पिछले दिनों में देवगढ में था, जहां माना जाता है कि वहां जो मांगो मिलता है। मैंने भगवान से यही प्रार्थना की, कि पत्रकांड के दोषियों को दंड मिले। कर्म सिद्धान्त जब तक पापी को फल देगा नहीं, तब तक पापी को भय होगा नहीं…… आगे मुनि श्री बोले कि मैं नाम नहीं लूंगा लेकिन ये पत्रकांड आचार्य श्री बनने के लिए किया गया….।



