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स्मार्ट सिटी की टेंडर प्रक्रिया पर कलेक्टर को शक ! जिपं सीईओ से करा रहे हैं जांच

सागर। पड़ोसी से विवाद के चलते लाखों रुपए की थार गाड़ी को जेसीबी से चकनाचूर करने के बाद मेसर्स राजेंद्र लोधी कंस्ट्रक्शन फर्म फिर चर्चा में है। इस दफा मामला किसी वाहन की तोड़-फोड़ का नहीं होकर एक मजदूर की मौत और इस फर्म को टेण्डर देने में अपनाई गई प्रक्रिया की जांच का है। आरोप है कि इस फर्म (मेसर्स राजेंद्र लोधी) को ये ठेका  “एप्रोच” के चलते मिला है। जिसकी शिकायत पिछले दिनों त्वमेव कंस्ट्रक्शन  नाम की एक फर्म ने कलेक्टर एवं चेयरमैन सागर स्मार्ट सिटी लिमिटेड संदीप जीआर से की है। ताजा जानकारी ये है कि चेयरमैन जीआर के निर्देश पर जिला पंचायत सीईओ विवेक केव्ही ने स्मार्ट सिटी के दफ्तर पहुंचकर  जांच की है। वे अपने साथ मेसर्स राजेंद्र लोधी समेत अन्य फर्म की संपूर्ण टेण्डर फाइलें अपने साथ ले आए हैं। इस मामले में कलेक्टर संदीप जीआर का कहना है कि उक्त शिकायत संभागीय कमिश्नर से की गई थी। उसके बाद मैंने जांच शुरु कराई है।

गुरुवार को हो गई थी मजदूर की मौत

इसी गुरुवार शाम को कनेरादेव मार्ग के निर्माणाधीन पुल पर काम करते वक्त एक मजदूर की लोहे के जाल के नीचे दबने से मौत हो गई थी। मृतक का नाम राकेश अहिरवार (36) है। अगले दिन शुक्रवार को राकेश का शव रखकर मोतीनगर चौराहे पर उसके परिजन ने प्रदर्शन भी किया था। परिजन मुआवजा के तौर पर 10 लाख रु. मांग रहे थे। लेकिन उन्हें 1.50 लाख रु. देकर मना लिया गया। इस दौरान मौके पर पुलिस व नगर निगम का अमला भी मौजूद रहा। इधर इस दुर्घटना में घायल मजदूर अचानक से बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज अस्पताल से मोतीनगर के एक अनाम से प्राइवेट अस्पताल में शिफ्ट हो गए हैं।

 

इधर स्मार्ट सिटी के एई अंशुल यादव के अनुसार इस पुल के अलावा मेसर्स लोधी फर्म को राजघाट चौराहा से इस पुल तक की सड़क का चौड़ीकरण भी करना है। अकेले पुल की लागत 2.50 करोड़ रुपए है। स्मार्ट सिटी के और भी ठेके हैं लोधी बन्धुओं के पास

जानकारी के अनुसार ठेकेदार राजेंद्र लोधी जहां मेसर्स राजेंद्र लोधी के नाम से स्मार्ट सिटी कंपनी में काम कर रहे हैं। वहीं उनके छोटे भाई अजय लोधी यहां अजय बिल्डकॉन के नाम से ठेकेदारी कर रहे हैं। लोधी बंधुओं के पास स्मार्ट सिटी सागर के करीब आधा दर्जन ठेके हैं। चर्चा है कि चंद साल पहले जब स्मार्ट सिटी ने शहर की रोड, पुल- पुलिया के टेंडर किए थे तो उन्हें जिला तो ठीक संभाग में ऐसे ठेकेदार नहीं मिले थे। जो ये काम कराने की तकनीकी और वित्तीय योग्यता रखते हों। लेकिन जैसे ही स्मार्ट सिटी ने पूर्व ठेकेदार कंपनी मेसर्स लैण्डमार्क को टर्मिनेट किया तो अचानक से लोधी बंधुओं की फर्म्स को काम मिलने लगे।

48 घंटे बाद भी पुलिस ठेकेदार से अनभिज्ञ

इस घटनाक्रम में पुलिस की भूमिका संदेह के दायरे में है। क्योंकि, मजदूर राकेश अहिरवार की मौत को 48 घंटे गुजर चुके हैं लेकिन पुलिस अभी तक आधिकारिक रूप से यह नहीं जान पाई है कि यह पुल कौन बनवा रहा था। स्मार्ट सिटी के पेपर्स में तो ठेकेदार राजेंद्र लोधी हैं लेकिन वे पुलिस को बता रहे हैं कि मैंने ये काम किसी भूपेंद्र ठाकुर को पेटी पर दे दिया था। इधर भूपेंद्र, इस बारे में अपनी भूमिका को लेकर इनकार कर रहे हैं। नतीजतन पुलिस का रोल मर्ग जांच पर ही अटका हुआ है। बताते हैं कि पुलिस भी दबाव में है ? इस मामले अजय लोधी से संपर्क कर उनका पक्ष जानना चाहा लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।

 17/05/2025

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