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आरोप: महाराणा प्रताप की प्रतिमा स्थापना में अड़चन बने हीरासिंह राजपूत और नगर निगम कमिश्नर खत्री

क्षत्रिय महासभा के अध्यक्ष लखनसिंह बामोरा ने समाजजनों को लिखी चिट्ठी

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सागर। हमारे समाज के महापुरुष वीर योद्धा महाबली महाराणा प्रताप जी की प्रतिमा की स्थापना में जिला पंचायत अध्यक्ष हीरासिंह राजपूत और नगर निगम कमिश्नर राजकुमार खत्री अड़चनें लगा रहे हैं। इनमें से राजपूत, श्रेय की राजनीति के चलते और कमिश्नर खत्री कतिपय नेताओं के इशारे पर यह सब कर रहे हैं। यह सनसनीखेज आरोप क्षत्रिय महासभा के जिलाध्यक्ष और पूर्व गृह मंत्री भूपेंद्रसिंह के भतीजे लखनसिंह बामोरा ने लगाए हैं। उन्होंने उपरोक्त बातों को सम्मिलित करते हुए एक लंबी-चौड़ी चिट्ठी समाज के वरिष्ठ लोगों से शेयर की है। बामोरा का कहना है कि इस मामले में अनावश्यक राजनीति की जा रही है। मेरा कहना है कि इस तरह के लोग राजनीति के चलते समाज की पीठ में छुरा भौंकने से भी बाज नहीं आते। इसलिए मैं समय रहते आप सभी अवगत करा रहा हूं।

नगरीय विकास मंत्री के जरिए पूरा प्रोजेक्ट ही खत्म कराने की साजिश

लखनसिंह का कहना है कि पिछले महीने नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय सागर आए थे। तब हीरासिंह राजपूत क्षत्रिय समाज के चंद लोगों के साथ उनसे मिले और प्रस्ताव दिया कि उक्त प्रतिमा आईजी ऑफिस के सामने लगाई जाए। विजयवर्गीय, पूरे मामले में अनभिज्ञ थे सो वह कह गए कि राजपूत जहां बोलेंगे। प्रतिमा वहीं लगेगी। जबकि यह सब इस प्रोजेक्ट को खत्म कराने की साजिश है। असलियत ये है कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही स्पष्टï कर चुका है कि अब किसी भी चौराहे, तिराहे या सार्वजनिक मार्ग के बीचों बीच प्रतिमाएं नहीं लगेंगी। राजपूत की मंशा है कि इसी नियम के फेर में महाराणा की प्रतिमा कभी स्थापित ही नहीं हो पाए।

 

तत्कालीन मंत्री सिंह ने १ करोड़ रु. मंजूर किए थे, ननि खर्च नहीं कर रहा

लखनसिंह का कहना है कि वर्ष 2023 में तत्कालीन नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्रसिंह ने शहर में महाराणा प्रताप की प्रतिमा स्थापित करने 1 करोड़ रुपए मंजूर कराए थे। इसके लिए निर्माण एजेंसी स्मार्ट सिटी को बनाया गया था। जो बाद में नगर निगम को हैंड ओवर कर दिए गए। यह प्रतिमा 20 फुट की बनना है। बीते साल एमआईसी की बैठक में माननीय सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन को ध्यान में रखते हुए ननि परिषद ने इस प्रतिमा के लिए खेल परिसर के बाहर का स्थान चयनित किया। इसके लिए ननि द्वारा टेंडर प्रक्रिया कर ग्वालियर की मूर्तिकार फर्म को 18 सितंबर 2023 को कार्यादेश दिया गया। इस मूर्ति को बनाने में करीब 59 लाख रु. का खर्च आ रहा है। फर्म के अनुसार मूर्ति बनाने का 70 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। मूर्ति बनाने के लिए 20 फीट का क्ले मॉडल बना लिया गया है। अब यह फर्म चरणबद्ध भुगतान के तहत राशि की मांग कर रही है। ताकि बचा हुआ काम पूरा किया जा सके। लेकिन नगर निगम आयुक्त राजकुमार खत्री ने आज दिनांक तक उक्त राशि का भुगतान नहीं किया। जबकि इस भुगतान के लिए समस्त अनुमतियां हो चुकी हैं और फाइल कमिश्नर खत्री की टेबिल पर रखी है लेकिन वह कतिपय राजनीतिक लोगों के इशारे पर भुगतान नहीं कर रहे। इस संबंध में महापौर संगीता डॉ. सुशील तिवारी द्वारा भी कमिश्नर खत्री को निर्देश दिए गए। लेकिन उनके द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जा रही। स्थिति ये है कि ननि ने खेल परिसर के बाहर मूर्ति की स्थापना के लिए पेडेस्टल का निर्माण कराया है। इसका भी भुगतान संबंधित ठेकेदार को कमिश्नर नहीं कर रहे। यह तब के हालात है जब संपूर्ण क्षत्रिय समाज की मंशा है कि आगामी 9 मई को महाराणा की जयंती अवसर पर यह मूर्ति स्थापित हो जाए। बामोरा का कहना है कि इन हालात को देखकर संदेह होता है कि कमिश्नर, मूर्ति स्थापना के लिए आई यह राशि किसी और मद में भी खर्च कर सकते हैं।

आखिर कब तक बगैर मूर्ति के जयंती मनाते रहेंगे

लखनसिंह बामोरा कहना है कि जो लोग सागर में मूर्ति लगने को लेकर अडंगेबाजी कर रहे हैं। वे ये सब नहीं कर सहयोगात्मक रवैया दर्शाएं। बेहतर होगा कि वह बंडा, देवरी, बीना आदि मुख्यालयों पर वीर शिरोमणि महाराणा जी की मूर्तियां स्थापित कराने में प्रभावी कदम उठाएं। इसके बावजूद मैं समाज जनों से पूछना चाहता हूं कि कब तक इस तरह की श्रेयबाजी के चलते हमारे महापुरुषों की प्रतिमाएं स्थापित नहीं होंगी। समाजजन यह सब कहां तक सहन करेगा। हमें चिंतन करना होगा किसी में इतना साहस कैसे हो सकता है कि वह इन महापुरुष की प्रतिमा को स्थापित नहीं होने दे। समाज को इस बारे में गहनता से विचार करने की आवश्यकता है। 

08/04/2025

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