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शराब दुकानें: उतनी भी मयस्सर नहीं… जितनी छोड़ दिया करते थे पैमाने में

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सागर। अब तो उतनी भी मयस्सर नहीं मय-खाने में… जितनी हम छोड़ दिया करते थे पैमाने में…..मशहूर शायर स्व. दिवाकर राही की यह लाइनें जिले की खाली पड़ी शराब दुकानों पर सटीक बैठती दिख रही हैं। असल में नया शराब ठेका वर्ष ( 2025- 26) शुरु हुए दो दिन हो चुके हैं। लेकिन दुकानों पर अंग्रेजी शराब का स्टॉक लगभग जीरो है। ये बात और है कि इन्हीं दुकानों पर देसी शराब भरपूर है लेेकिन अंग्रेजी के गिने-चुने ब्रांड की शराब सीमित मात्रा में उपलब्ध हैं। गहराई में जाएं तो इसके पीछे एक तकनीकी वजह है। जो मप्र आबकारी विभाग के लेविल व रेट रिन्युवल पोर्टल से संबंधित है। इधर मौजूदा हालात के कारण शराब ठेकेदारों को ठेका वर्ष के शुरुआती पखवाड़े में ही आर्थिक फटका लगना लगभग तय है। बता दें कि सागर जिले की 104 कंपोजिट शराब दुकानों का ठेका 533 करोड़ रु. + में हुआ है। 5% लाइसेंस फीस घटाकर ठेकेदार को प्रत्येक पखवाड़े में  21 करोड़ रु. से अधिक आबकारी विभाग के खाते में जमा करना है।ब्रांड्स के लेविल और रेट अपलोड नहीं हो पाए             एक शराब निर्माता कंपनी के उच्च पदस्थ अधिकारी के अनुसार यह स्थिति इसलिए बनी क्योंकि मप्र आबकारी विभाग के पोर्टल पर अधिकांश शराब कंपनियों के ब्रांड्स लेविल और रेट अपलोड नहीं हो पाए। नियमानुसार प्रत्येक नए वित्त वर्ष में शराब निर्माता कंपनियों को अपने प्रत्येक ब्रांड के लेविल और संशोधित मिनीमम व मैक्सीमम रेट अपलोड कराना अनिवार्य होता है। इस अपडेटेशन के बाद ही शराब ठेकेदार ऑनलाइन डिमांड कर वेयर हाउस से संबंधित ब्रांड वाली शराब का उठाव कर बिकवा सकते हैं।

4 दिन में भी नहीं की हो पाई लेविल व रेट अपलोडिंग

 इस वर्ष विभिन्न शराब निर्माता कंपनियों को ब्रांड्स के लेविल व रेट सरकारी पोर्टल पर अपलोड कराने की समय- सीमा 30 मार्च से शुरु हुई थी। इस अवधि में कई शराब निर्माता कंपनियों ने अपने-अपने ब्रांड्स के लेविल व रेट की जानकारी पोर्टल पर साझा कर दी। जिसे आबकारी आयुक्त कार्यालय मप्र, ग्वालियर में एप्रुव किया जाना है। लेकिन ज्ञात – अज्ञात कारणों से आयुक्त कार्यालय में यह प्रक्रिया काफी धीमी चल रही है। स्थिति ये है कि अब तक केवल दो डिस्टिलर्स, एसोसिएट डिस्टिलर्स व सोम डिस्टलरीज के ही लेविल व रेट पोर्टल पर अपलोड हो पाए। जबकि  अभी कई नामचीन शराब निर्माता कंपनियों के 100 से अधिक लेविल व रेट पोर्टल पर अपलोड होना बाकी हैं। जब ये लेविल व रेट अपलोड होंगे, तभी वह ब्रांड्स, ठेकेदार के माध्यम से दुकानों तक पहुंच सकेंगे।

एक-डेढ़ माह तक प्रिंट रेट से महंगी मिलेगी अंग्रेजी शराब

इधर शराब के शौकीनों के लिए भी एक बड़ी खबर है। वो ये कि देर-सबेर शराब दुकानों पर सभी ब्रांड्स की शराब मिलना तो शुरु हो जाएगी। लेकिन इसकी कीमत प्रिंट रेट से औसतन 20-25 प्रतिशत अधिक हो सकती है। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि अधिकांश शराब निर्माता कंपनियों के पास बीते वित्त वर्ष में सरकार द्वारा एप्रूव्ड किए गए न्यूनतम व अधिकतम रेट वाले लेविल युक्त शराब का स्टॉक है। चूंकि इस वर्ष औसतन 20 प्रतिशत महंगी दर पर ठेके हुए हैं, इसलिए ठेकेदार भी इसी अनुपात में महंगी शराब बेचेंगे। हालांकि यह तथाकथित ओवर रेट की स्थिति इसी एक-डेढ़ महीने तक रहेगी। क्योंकि आबकारी विभाग इससे अधिक समय-सीमा तक शराब निर्माता कंपनियों को पुराने प्रिंट रेट वाली शराब ठेकेदारों को सप्लाई करने की अनुमति नहीं देता है।

02/04/2025

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