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पूरे जिले की शराब बिक्री का सिंगल ठेका, शासन को चाहिए 511 करोड़ रु.

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सागर। सागर जिले की 104 कम्पोजिट देसी-अंगे्रेजी शराब दुकानों के लिए टेंडर प्रक्रिया का आज आखिरी दिन है। राज्य सरकार ने सागर जिले के लिए 511 करोड़ रुपए से अधिक की सालाना लाइसेंस फीस तय की है। टेंडर प्रक्रिया में शामिल होने की लिए सुबह 11.30 बजे तक की समय-सीमा रखी गई है। इसके बाद इच्छुक ठेकेदार फर्म के वित्तीय व तकनीकी दस्तावेजों का परीक्षण किया जाएगा। जो ठेकेदार फर्म इस परीक्षण में योग्य पाई जाएंगी। उन्हें आगे की प्रक्रिया में भाग लेने का अवसर दिया जाएगा। जिसके तहत दोपहर 2.30 से ऑनलाइन बोली शुरु हो जाएगी। यह बोली हर 15 मिनट में लॉक होती जाएगी। उदाहरण के लिए अगर किन्हीं चार ठेकेदार फर्म में किसी एक फर्म ने अधिकतम बोली 512 करोड़ लगाई है तो बाकी तीन फर्म को 2.30 बजे से 2.45 मिनट तक 512 करोड़ रुपए से अधिक की बोली लगाने का अवसर दिया जाएगा। अगर कोई फर्म इस राशि से बढ़कर बोली लगा देती है तो बाकी फर्म को फिर 15 मिनट दिए जाएंगे ताकि वह और बढ़कर बोली लगाए। अगर इन 15 मिनट में कोई बोली नहीं आती है तो सबसे अधिक बोली लगाने वाली फर्म को पूरे जिले में शराब की बिक्री का लाइसेंस दे दिया जाएगा। एक जानकारी के अनुसार अगर यह ठेका अधिकतम 512 करोड़ में भी होता है तो ठेका लेने वाली फर्म को शुरुआती महीने में ही कम से कम 80 से 100 करोड़ रुपए की लागत चाहिए होगी। जिसमें करीब 52 करोड़ रु. बैंक गारंटी, 26 करोड़ लाइसेंस फीस समेत 104 दुकानों के लिए शराब खरीदने के लिए एक बड़ी रकम चाहिए होगी। इसके बाद ठेकेदार को हर 15 दिन में करीब 26 करोड़ रु. लाइसेंस फीस के रूप में देना होंगे।

पुलिस-प्रशासन, आबकारी समेत सुराप्रेमियों के लिए घाटे का सौदा

यह मानना नादानी है कि शराब के लाइसेंसी कारोबार को बगैर पुलिस-प्रशासन और आबकारी विभाग के ”सहयोग” के किया जाता है। सागर में बीते तीन-चार वित्त वर्ष से सिंगल दुकान सिस्टम के तहत शराब दुकानों की ठेकेदारी चल रही थी। जिसके चलते उपरोक्त सरकारी महकमों की बड़ी मौज थी। इससे अवैध शराब बेचने का धंधा भी खूब फल-फूल रहा था। सबसे ज्यादा फायदे में सुराप्रेमी थे। जिन्हें इन सिंगल दुकान ठेकेदारों की आपसी व्यवसायिक प्रतिद्वंदिता के चलते शराब की न्यूनतम कीमत से भी कम में शराब मिल जाती थी। लेकिन नई आबकारी नीति( 2025-26) में सागर जिले में एकल ठेका व्यवस्था की नौबत आ गई है। जिसके चलते अब जिले में शराब की बिक्री का ठेका किसी एक व्यक्ति या सिंडीकेट के पास रहेगा। जो अपने फायदे के लिए शराब के सरकारी दामों का कड़ाई से पालन करेगा। चूंकि सिंगल ठेकेदार है, इसलिए जिले के सीमावर्ती इलाकों को छोड़कर उसका कोई प्रतिद्वंदी नहीं रहेगा। इसलिए बहुत मुमकिन है कि कहीं-कहीं पर ओवर रेट में भी शराब बेची जाए। इस पूरी व्यवस्था का प्रभाव सुराप्रेमियों पर भी पड़ेगा और उन्हें चालू वित्त वर्ष समेत बीते सालों की तरह प्रिंट रेट से सस्ती शराब नहीं मिल सकेगी। मौजूदा ठेका सिस्टम में अलग-अलग ठेकेदारों से ”बातचीत” करने वाले पुलिस-प्रशासन और आबकारी का अब किसी एक ठेकेदार से वास्ता रहेगा। जो उनके लिए भी सुराप्रेमियों की तरह घाटे का सौदा साबित होगा।

08/03/2025

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