मानव विज्ञान: एचओडी ने खुद की शिकायत के सीलबंद लिफाफे वापस बुलाए
मानव विज्ञान विभाग के एचओडी प्रो.अजीत जायसवाल की प्रोफेसर राजेश गौतम ने की थी शिकायत, प्रो. गौतम ने एचओडी प्रो. जायसवाल पर लगाए थे टाइम टेबिल जारी करने की तारीख में हेर-फेर करने आरोप, दोबारा शिकायत कर कहा, एचओडी प्रो. जायसवाल का व्यवहार अनैतिक व अवैधानिक

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सागर। डॉ. हरीसिंह गौर विवि के मानव विज्ञान विभाग के एचओडी प्रो. अजीत जायसवाल का व्यवहार अनैतिक और अवैधानिक है। अगर उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती है तो उनका हौसला और बढ़ेगा। जो विश्वविद्यालय के शैक्षणिक और नैतिक मानकों के लिए हानिकारक साबित होगा। यह गंभीर आरोप, मानव विज्ञान विभाग के ही पूर्व एचओडी प्रो. राजेश गौतम ने कलगुुरु प्रो. नीलिमा गुप्ता को एक औपचारिक पत्र भेजकर लगाए हैं। जानकारी के अनुसार पूरा मामला प्रो. जायसवाल द्वारा उन शिकायती सीलबंद लिफाफों को विवि प्रशासन से वापस बुलाने से जुड़ा है। जिनमें प्रो. गौतम ने एचओडी प्रो. जायसवाल की एक मामले विशेष में लिखित शिकायत की थी। 
बैक डेट में साइन करने की थी शिकायत, एचओडी लिफाफे वापस बुलाए
बताया जाता है कि इस पूरे मामले की शुरुआत एचओडी प्रो. जायसवाल के कथित तौर पर बगैर सूचना अवकाश पर रहने और बैक डेट में साइन करने से हुई। प्रो. गौतम का कहना है कि एचओडी 6 फरवरी से 12 फरवरी के बीच बगैर सूचना के अवकाश पर थे। वह 13 फरवरी को वापस आए और उन्होंने 14 फरवरी को विभागीय टाइम-टेबिल जारी किया लेकिन उसमें उन्होंने इस पर 10 फरवरी को हस्ताक्षर करना बताया।
प्रो. गौतम ने इस संबंध में प्रभारी एचओडी प्रो. केकेएन शर्मा के समक्ष आपत्ति ली और इस पूरे मामले की सीलबंद लिफाफे में एक लिखित शिकायत कुलगुरु, डीन (एसएएस), डीओएए, रजिस्ट्रार और कार्यवाहक एचओडी भी भेज दीं। साथ ही संबंधितों को वाट्स एप भी यह शिकायत भेज दी। जैसे ही इस बारे में एचओडी प्रो. जायसवाल को जानकारी मिली तो उन्होंने 17 फरवरी को इन सभी कार्यालयों से ये सीलबंद लिफाफे वापस बुला लिए।
दोबारा पत्र भेजकर एचओडी समेत अधिकारियों के व्यवहार पर आपत्ति ली
एचओडी द्वारा शिकायती पत्रों को वापस बुलाने की जानकारी मिलने पर प्रो. गौतम ने तत्काल कुलगुरु प्रो. गुप्ता को एक और पत्र भेजा। जिसमें उन्होंने एचओडी प्रो. जायसवाल के संबंध में पूर्व में 01 अगस्त 2024 को की गई शिकायत का हवाला देते हुए कहा कि उनका यह व्यवहार सही नहीं है। ऐसा प्रतीत होता है कि मानव विज्ञान विभाग के कर्मचारियों के जरिए सभी सीलबंद लिफाफे वापस मंगाकर प्रो. जायसवाल बगैर अनुमति छुट्टी पर जाने की बात को दबाना चाहते हैं। उनका यह कृत्य गंभीर कदाचार और स्वेच्छाचारिता को प्रदर्शित करता है।
इसके अलावा एक बड़ा सवाल ये भी है कि क्या मेरे द्वारा भेजा गया पत्र एचओडी द्वारा प्राप्त किया जा सकता है? और, संबंधित अधिकारी और उनके कर्मचारियों द्वारा इन सीलबंद लिफाफों को कैसे वापस किया गया? यह एक गंभीर मुद्दा है और जिस पर कुलगुरु को ध्यान देने व आवश्यक कार्रवाई करना चाहिए।
सप्ताह में मात्र एक दिन आते हैं, आधा घंटे से ज्यादा नहीं रुकते
कुलगुरु को भेजे ताजा पत्र में प्रो. गौतम ने एचओडी प्रो. जायसवाल पर कुछ और भी आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि एचओडी, प्रोबेशन पर होने के बावजूद डीओएफए और विभागाध्यक्ष के रूप में दोहरी प्रशासनिक जिम्मेदारियां संभाल रहे हैं।
इसके अलावा वे न तो नियमित रूप से कक्षाएं संचालित कर रहे हैं और न ही विभाग में पर्याप्त समय बिता रहे हैं। वे सप्ताह में केवल एक बार विभाग आते हैं और 30 मिनट से अधिक नहीं रुकते हैं। इसके अलावा, साहित्यिक चोरी के आरोपों सहित उनके अनैतिक और अवैधानिक व्यवहारों की कई शिकायतों के बावजूद, विश्वविद्यालय प्रशासन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई करने में विफल रहा है। इस संदर्भ में यदि कोई उचित कार्रवाई नहीं की जाती है, तो यह संस्थान और इसकी अखंडता के लिए हानिकारक होगी।
पूरी शिकायत तथ्यहीन और निराधार
इस मामले में एचओडी प्रो. जायसवाल से चर्चा हुई। उनका कहना है कि अवकाश के आवेदन, स्वीकृति, उपस्थिति इत्यादि के सम्बन्ध में शिकायतकर्ता के सारे तथ्य गलत और निराधार हैं। शिकायतकर्ता का उद्देश्य मीडिया के माध्यम से व्यक्ति, विभाग और विश्वविद्यालय की छवि ख़राब करना है।
— डॉ. विवेक जायसवाल, पीआरओ, डॉ. हरी सिंह गौर केंद्रीय विवि, सागर (मप्र )
21/02/2025



