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कुएं में गिरी बेबस नीलगाय का शिकार, दो आरोपी गिरफ्तार

वन अमले को कुएं का पानी लाल दिखा, खोजबीन की तो शव भी मिल गया

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सागर। गुरुवार की रात एक नर नीलगाय बांदरी रेंज के मगरा गांव के एक निर्जन कुएं में जा गिरा। वनकर्मियों को सूचना मिली तो वे उसे बचाने रस्सी, बांस वगैरह लेकर मौके पहुंंचे लेकिन तब तक गांव के कुछ लोगों ने उसका कुएं के भीतर ही बेरहमी से शिकार कर दिया। वन विभाग ने शिकार के इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया है। घटनाक्रम के बारे में रेंजर ओमप्रकाश बबेले ने बताया कि मुखबिर तंत्र से सूचना मिली थी कि मगरा गांव के रज्जू आदिवासी के खेत में बने कुएं में एक नीलगाय गिरा है। मौके पर वनपाल राहुल यादव, वनरक्षक सुरेन्द्र सौंर और हल्ले यादव को कुछ मजदूरों के साथ नीलगाय को कुएं से बाहर निकालने के लिए भेजा गया। लेकिन जब ये लोग मौके पर पहुंचे तो वहां से कुछ लोग भागते दिखे। कुएं में झांककर देखा तो उसका पानी लाल था।आसपास तलाशी ली तो नीलगाय का शरीर दो हिस्सों में कटा मिला। मौके से वनपाल राहुल यादव ने बिहारी सिंह, राहुल आदिवासी दोनों निवासी गांव चंद्रापुर को दबोच लिया। इन लोगों के खिलाफ वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 यथा संशोधित 2022 की धारा 9,39,50,51 के तहत प्रकरण कायम कर कोर्ट में पेश किया गया। जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया।

शव बाहर नहीं निकला तो कुएं में ही टुकड़े कर दिए  

वन अमले के अनुसार नीलगाय के इस शिकार में करीब10 लोग शामिल थे। इन लोगों को जैसे ही यह खबर मिली कि नीलगाय कुएं में गिरा है तो वहां पहुंच गए। पहले इन लोगों ने उसे जिंदा ही बाहर निकालने की कोशिश की। लेकिन जब सफल नहीं हुए तो इनमें से रितिक नाम का एक युवक कुएं में उतरा और उसने कुल्हाड़ी से नीलगाय को मार दिया। इसके बाद इन लोगों ने एक बार फिर नीलगाय के शव को बाहर निकालने की कोशिश की। लेकिन फिर कामयाब नहीं हुए। इसके बाद ये लोग दोबारा कुएं में दोबारा उतरे और कुल्हाड़ी व अन्य धारदार हथियारों से नीलगाय के शव के दो टुकड़े कर बाहर निकाल लिया। लेकिन इस बीच वन अमला पहुंच गया तो ये लोग तितर-बितर हो गए। रेंजर बबेले के अनुसार मौके से कुल्हाड़ी, चाकू समेत अन्य हथियार व एक बाइक मिले हंै। नीलगाय को मारने वाला युवक रितिक अंधेरे का फायदा उठाकर मौके से भाग निकला। शिकारियों को पकड़ने में मुरारीलाल कोरी वनपाल, सुरेन्द्र सोंर वनपाल, अतुल तिवारी वनरक्षक, हल्ले यादव वनरक्षक, शंकर आठिया वाहन चालक, तुलसीराम धानक सुरक्षा श्रमिक, ऊधम आदिवासी स्थाईकर्मी की अहम भूमिका रही।

31/01/2025

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