चर्चितचौपाल/चौराहा

मकरोनिया सीएमओ ने नक्शा पास करने की एवज में मांगे थे 8 लाख रु., कमिश्नर ने नहीं की कोई कार्रवाई

सीएमओ ने सरकारी शौचालय धाराशाही कराया, अन्य अतिक्रमणकारियों पर छुट-पुट कार्रवाई का आरोप

सागर। बीते साल के आखिर में मकरोनिया के प्रभारी सीएमओ पवन शर्मा का एक वीडियो क्लिप वायरल हुआ था। जिसमें वह एक पत्रकार से मकरोनिया क्षेत्र में बिल्डिंग का नक्शा पास करने की एवज में 8 लाख रु. मांग रहे थे। इस मामले में ताजा स्थिति ये है कि एक महीने पहले नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के संयुक्त संचालक क्लिप की जांच कर अपना प्रतिवेदन आयुक्त नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग मप्र, भोपाल को भेज चुके हैं।

प्रभारी सीएमओ पवन शर्मा

लेकिन प्रभारी सीएमओ शर्मा के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। संयुक्त संचालक द्वारा आयुक्त को भेजा पत्र हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। जिसके अनुसार सीएमओ शर्मा कह रहे हैं कि लेन-देन करना पड़ता है। वे स्वीकृति के रूप में किन्ही अन्य लोगों को नाम भी ले रहे हैं। क्लिप में अमर्यादित भाषा का प्रयोग और नियम विपरीत कथन पाए गए हैं। जो पदीय दायित्वों के विपरीत व कदाचरण की श्रेणी में आता है। अतएव प्रभारी सीएमओ शर्मा के खिलाफ उक्त कदाचरण के लिए मप्र सिविल सेवा, वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील के तहत कार्रवाई का अनुरोध किया जाता है।

 

नगरीय प्रशासन एवं आवास विभाग के जेडी द्वारा एक माह पहले कमिश्नर को भेजा गया पत्र

सार्वजनिक शौचालय धाराशाही कर पीठ थपथपाई

प्रभारी सीएमओ शर्मा समेत नपा की कार्यप्रणाली को लेकर स्थानीय गणमान्य नागरिक पवन सिरमा का कहना है कि, उपनगर की बेतरतीब बसाहट के लिए यही लोग जिम्मेदार हैं। हालिया उदाहरण ले लें। बीते सप्ताह नपा-प्रशासन ने ट्रैफिक में बाधक बन रहे अतिक्रमण व निजी पार्किंग में चल रहे कारोबार के खिलाफ कार्रवाई की थी। बारीकी से देखें तो इसमें अतिक्रमणकारियों को मात्र चेताया सा गया। हद तो यह है कि नपा ने सड़क के चौड़ीकरण में बाधा बताकर सुलभ इंटरनेशनल द्वारा बनाए गए एक शौचालय को ध्वस्त करने में समय नहीं लगाया। लेकिन जो शॉपिंग स्टोर्स, आउटलेट्स नक्शे के विरुद्ध बनाए गए। उनके खिलाफ कोई खास कार्रवाई नहीं की। यहां तक कि सरकारी नाले पर अतिक्रमण करने वाले को भी बक्श दिया गया। बेसमेंट पार्किंग को किराए पर देकर कारोबार करने वालों पर भी कोई कार्रवाई नहीं की। पवन का कहना है कि इस संबंध में उच्चाधिकारियों को दखल देना चाहिए।

22/01/2024

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