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सागर। डॉ. हरीसिंह गौर केंद्रीय विवि के प्रोफेसर द्वारा स्वयं को राजनीतिक दल का पदाधिकारी बताते हुए हाईकोर्ट जबलपुर में याचिका दाखिल करना कदाचरण की श्रेणी में आता है या नहीं ? इस सवाल का जवाब मांगने के लिए मप्र हाईकोर्ट ने विवि के प्रभारी रजिस्ट्रार डॉ. सत्यप्रकाश उपाध्याय को तलब किया है। उन्हें 28 जनवरी को व्यक्तिगत रूप से हाईकोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति सुरेशकुमार कैथ और न्यायमूर्ति विवेक जैन की बैंच के समक्ष हाजिर होना होगा।
दरअसल मामला ये कि विवि के कम्प्यूटर साइंस विभाग के प्रो. गिरीशकुमार ने वर्ष 2021 में स्वयं को राजनैतिक दल यूथ फॉर इक्वेलिटी का सचिव बताते हुए ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने के खिलाफ एक याचिका पेश की थी। इस याचिका के संबंध में बीते साल 6 दिसंबर को सुनवाई हुई। जिसमें ओबीसी को आरक्षण दिए जाने के लिए पैरवी कर रहे सीनियर एड. रमेश्वरसिंह ठाकुर, विनायकप्रसाद शाह ने प्रो. गिरीशकुमार की याचिका पर आपत्ति ली। जिस पर विचारण करते हुए माननीय हाईकोर्ट ने विवि को नोटिस देकर जवाब मांगा और सुनवाई के लिए 20 जनवरी 2025 की तारीख नियत की थी। लेकिन विवि ने इस संबंध मेें कोई जवाब नहीं दिया।
एड. रामेश्वरसिंह ने बताया कि नोटिस की तामीली की बावजूद भी विश्वविद्यालय की तरफ से कोई भी अधिवक्ता उपस्थित नहीं हुए। अगर 28 जनवरी को रजिस्ट्रार हाजिर नहीं होते हैं तो यह उच्च न्यायालय के आदेश के अवमानना की श्रेणी में आएगा।
दो साल पहले नौकरी छोड़ चुके हैं प्रो. गिरीशकुमार, विवि में सीसी कंडक्ट रूल
इस मामले के अहम किरदार प्रो. गिरीशकुमार के बारे में जानकारी मिली है कि वे करीब दो साल पहले विवि की नौकरी छोड़ चुके हैं। जहां तक विवि के शिक्षकों द्वारा राजनैतिक पार्टियों के पदाधिकारी हो सकते है या नहीं ?
इस बारे में विवि के जनसंपर्क अधिकारी डॉ. विवेक जायसवाल का कहना है कि इस बारे में वह विवि के विधि अधिकारी से चर्चा कर जवाब देंगे। वहीं एक वरिष्ठ प्रोफेसर का कहना है कि विवि ने सीसी कंडक्ट रूल को अपनाया है। जो बताता है कि विवि के शैक्षणिक पदों पर काम करने वाले लोग किसी भी राजनैतिक दल में पदाधिकारी नहीं हो सकते। शिक्षकों के विधानसभा व लोकसभा चुनाव लड़ने के मामले में जरूर तत्कालीन कुलपति डॉ. राघवेंद्रप्रताप तिवारी की अगुवाई में केंद्र सरकार ने एक तिवारी कमीशन गठित किया था।
जिसने अपनी सिफारिश में शैक्षणिक पदों पर काबिज लोगों को विवि की सेवाओं से इस्तीफा दिए बगैर चुनाव लड़ने की अनुमति देने की सिफारिश की गई थी। केंद्र सरकार ने कमीशन की इस सिफारिश को माना या नहीं। इसको लेकर संशय की स्थिति है।
20/01/2025



