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शेर को शिकार बदलने पर मजबूर कर रही हैं चींटियां…

ZXZXZX AN STORY OF JUNGLES ECO SYSTEM

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(जंगल और जीवों के अंर्तमन के विशेषज्ञ श्री कबीर संजय की फेसबुक वॉल से साभार)
सागर। कहा तो यह जाता है कि एक बहुत छोटे आकार की चींटी भी विशालकाय हाथी की जान ले सकती है। पता नहीं कितनी सच्चाई है इसमें। लेकिन, एक बात तो वन्यजीव विशेषज्ञों ने अपने 20 साल के शोध में पाई है कि अफ्रीका में बाहर से आई चींटी की एक प्रजाति शेरों को अपना शिकार बदलने पर  मजबूर कर रही हैं। पहले शेर जेब्रा का शिकार प्रमुखता से करते थे। लेकिन, इन चींटियों की हरकतों के चलते वे जंगली भैंसों का शिकार करने को मजबूर हो गए हैं। दरअसल ईको सिस्टम की गुत्थियां सुलझाना आसान नहीं है। बहुत छोटे से परिवर्तन बहुत बड़े परिवर्तनों को जन्म देते हैं। कई बार तो उनके  अंतरसंबंधों को समझना संभव नहीं होता है। अफ्रीका के जंगलों में हुआ ये शोध बेहद खतरनाक बदलाव की तरफ इशारा कर रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक बाहर से आई एक चींटी बबूल (अकासिया) के पेड़ों का सुरक्षा कवच तोड़कर वे पूरे जंगल के लैंडस्केप में ही बदलाव कर रही हैं।  यह चींटी वहां की स्थानीय चींटी प्रजाति के अलावा अकासिया के पेड़, हाथी, शेर, जेब्रा और भैंस सभी के जीवन को प्रभावित कर रही है।
स्थानीय चींटी को मारकर बबूल की सुरक्षा खत्म कर दी
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक केन्या में अकासिया के पेड़ों की टहनियों और कांटों के बीच स्थानीय प्रजाति की एक चींटी अपना घर बनाती है। यह चींटी पेड़ को एक तरह का सुरक्षा कवच प्रदान करती है। इस चींटी के चलते शाकाहारी जीव बबूल के पेड़ों को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा पाते हैं। इससे ये पेड़ बहुत ज्यादा चरे जाने से बच जाते हैं। हाल के बीस सालों में इस स्थिति में बदलाव देखने को मिल रहा है। संभवतः हिन्द महासागर के किसी द्वीप से बड़े सिर वाली चींटियों (बिग हेडेड एंट) की एक प्रजाति केन्या पहुंची है। इस प्रजाति ने उन स्थानीय चींटियों को मारना शुरू कर दिया। जो बबूल के पेड़ों की रक्षा करती थी। ये चीटिंया वयस्कों को मारकर ये उनके अंडे, लार्वे और प्यूपा को खा जाती  हैं। इससे स्थानीय प्रजाति की चींटियों की संख्या में कमी आई और पेड़ के सुरक्षा कवच को भी नुकसान पहुंचा। 
आड़ हटने से  जेब्रा को  मारना मुश्किल हो गया
सुरक्षा कवच विहीन अकासिया (बबूल)के पेड़ असहाय हो गए। विशेषज्ञों ने शोध में पाया है कि बड़े सिर वाली चींटियों का हमला जिन जगहों पर हो चुका है वहां पर हाथी द्वारा अकासिया के पेड़ों को तोड़े या गिराने की घटनाएं सामान्य जगहों की तुलना में 7 गुना ज्यादा है। अकासिया के पेड़ कम होने के चलते पूरे जंगल के लैंडस्केप में भी बदलाव आता है। 
शेर के लिए खुले जंगल में जेब्रा को पकड़ना आसान नहीं होता है। शेर को दूर से ही देख लिया जाता है और जेब्रा सावधान हो जाते हैं। इसके चलते मजबूरी में शेरों को जेब्रा की बजाय भैसों के शिकार पर ज्यादा निर्भर होना पड़ा। शोध बताता है कि बड़े सिर वाली चींटियों के इलाके की तुलना में सामान्य इलाकों में शेर जेब्रा का करीब 3 गुना ज्यादा शिकार करते हैं।  जेब्रा की तुलना में भैंस ज्यादा भारी-भरकम होते हैं और झुंड में रहने व आक्रामक स्वभाव के चलते शेरों के लिए इनका शिकार भी आसान नहीं होता है। लेकिन, विकल्पों के अभाव में शेर खाना बदलने पर मजबूर हो रहे हैं। शोध बताता है कि वर्ष 2003 में शेर के शिकार में 67 फीसदी तक जेब्रा शामिल थे। लेकिन, वर्ष 2020 में यह 42 फीसदी तक ही रह गई। इसी तरह से जंगली भैंसों के शिकार में इजाफा हुआ है।  विशेषज्ञों का अनुमान है कि बड़े सिर वाले चींटे 50 मीटर प्रति वर्ष की दर से अपने इलाके का विस्तार कर रहे हैं। यानी इस ईकोसिस्टम में इनकी मौजूदगी के अभी और भी दुष्प्रभाव देखने को मिल सकते हैं।
( लेखक श्री संजय के अनुसार इस आर्टिकल के तथ्य आदि “द टेलीग्राफ” की स्टोरी से लिए गए हैं। जबकि, फोटो प्रातिनिधिक है और इंटरनेट से ली गई है। )

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