टीम का नाम भर है सागर डिविजन….. क्योंकि प्लेइंग इलेवन में 7 खिलाड़ी दूसरे संभाग से हैं
संभाग की टीम में स्थानीय प्रतिनिधित्व लगातार हो रहा है कम, क्रिकेटप्रेमियों के अनुसार टीम का उद्देश्य केवल ट्रॉफी और ईनाम की राशि जीतना भर रह गया

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सागर। खेलों में गांव, शहर, प्रांत का कोई बंधन नहीं होता है। प्रतिभावान खिलाड़ी किसी भी स्थान का प्रतिनिधित्व कर सकता है। लेकिन यह स्थिति तब ही बेहतर मानी जाती है जब सभी स्थानों से एक से बढ़कर – एक खिलाड़ी निकल रहे हों। कमोवेश सागर की क्रिकेट में ऐसा नहीं हो रहा है। जिस शहर को कुछ साल पहले एमपीसीए ने – किक्रेट की नर्सरी मान यहां ग्राउंड तैयार कर के दिया था। वहां से अब डिविजन क्रिकेट – एसोसिएशन की टीम में एक भी खिलाड़ी – नहीं है। संभाग से 4 खिलाड़ी हैं, बाकी 7 खिलाड़ी दूसरे संभाग से मेहमान खिलाड़ी के रूप में आकर यहां शिफ्ट हो गए। हालिया परमानंद भाई पटेल अंडर-22 इंटर – डिविजनल क्रिकेट स्पर्धा इसका जीता जागता उदाहरण है। जिसमें सागर डिविजन की टीम का खेल भले ही चमकदार है। लेकिन जब खिलाड़ियों की तरफ गौर करेंगे तो देखेंगे कि प्लेइंग इलेवन उनमें रीवा, भोपाल, ग्वालियर, शहडोल संभाग के खिलाड़ियों की भरमार मिलेगी।
केवल इनाम की राशि जीतना भर है उद्देश्य
शहर के पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी का कहना है कि सागर डिविजन की टीम को देखकर ऐसा लगता है कि इसमें खिलाड़ियों का चयन केवल ट्रॉफी और इनाम की राशि जीतने के लिए किया जाता है। स्थानीय खिलाड़ियों के खेल का स्टैंडर्ड क्यों इतना गिर रहा है कि वह अपनी ही टीम में सिलेक्ट नहीं हो पा रहे हैं। इसके बारे में कोई फिक्र नहीं करता है।जवाबदेह हैं। सागर डिविजन के क्रिकेट के पतन को ऐसे भी समझा जा सकता है कि वर्ष 2023-24 में जूनियर वर्ग के लिए एमपीसीए द्वारा इंदौर में आयोजित ट्रेनिंग कैम्प में मप्र भर से अंडर-16 और अंडर-19 वर्ग के 96 खिलाड़ियों में एक भी सागर डिविजन से नहीं था। डिविजन के खिलाड़ियों के उत्कृष्ट प्रदर्शन नहीं करने के कारण वह अपने स्कूल-कॉलेज के लिए आइकॉनिक खिलाड़ी के रूप में पहचान नहीं बना पा रहे। जिसके चलते उनके साथी व जूनियर्स की इस खेल में रुचि घट रही है। हालांकि इसके लिए इन खिलाड़ियों से कहीं ज्यादा सागर डिविजन के पदाधिकारी, कोच, सिलेक्टर आदि ज्यादा जिम्मेदार हैं।
खींचतान ऐसी कि सिलेक्टर से पूछे बगैर गेस्ट प्लेयर बुला लिया
डिविजनल क्रिकेट एसोसिएशन में अच्छे खिलाड़ी तैयार नहीं होने के पीछे आपसी खींचतान भी एक बड़ी वजह है। इसका ताजा उदाहरण उपरोक्त परमानंद भाई पटेल प्रतियोगिता है। जिसके के लिए डिविजन के सिलेक्टर प्रवीण लोकरस और इरशाद खान नजमी ने 15 खिलाड़ी सिलेक्ट किए थे। इनमें प्लेइंग इलेवन में सागर डिविजन के 4 और एक्स्ट्रा प्लेयर्स के रूप में 4 खिलाड़ियों में से तीन सागर डिविजन के थे। बहरहाल सेमीफाइनल मुकाबले तक पहुंचने के बाद टीम मैनेजर को लगा कि एक स्पेशलाइज्ड खिलाड़ी की आवश्यकता है तो इन लोगों ने सह-सचिव पुष्पेंद्रसिंह ठाकुर के माध्यम से सिलेक्टर से संपर्क करने बजाए सीधे अध्यक्ष एवं विधायक प्रदीप लारिया से बात की। उन्होंने भी जाने-अनजाने अनुमति दे दीऔर रीवा संभाग का खिलाड़ी त्रिपुरेशसिंह एक अन्य खिलाड़ी को री-प्लेस कर मैच में शामिल हो गया।
सब ठीक चल रहा है, क्रिकेट हमेशा एक सी नहीं रहती
सागर डिविजन की टीम अच्छा प्रदर्शन कर रही है। यह कोई बड़ा इंश्यु नहीं है कि सागर डिविजन में यहीं के लड़कों को अवसर नहीं मिल रहे। जो अच्छा खेलेगा। उसे स्थान मिलेगा।एमपीसीए हमारे प्रदर्शन से संतुष्ट है। सागर जिले या संभाग के लड़के जो यहां एकेडमी के माध्यम से प्रशिक्षण ले रहे हैं। उन्हें पूरा सहयोग दिया जा रहा है। ये बात सही है कि एक समय सागर का दबदबा सभी वर्ग की टीम में रहा। लेकिन क्रिकेट सदा एक सी नहीं रहती। टूर्नामेंट के दौरान किसी टीम हित में दूसरे खिलाड़ी को चयनित करने में कोई हर्ज नहीं है।
प्रवीण लोकरस, चेयरमैन, सिलेक्शन कमेटी, एसडीसीए, सागर
23/03/2024



