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हाथी क्यों मर रहे हैं ? कोई पटवारी- तहसीलदार से भी तो पूछे

बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में अब तक 10 हाथियों की मौत

सागर। मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व (BTR) में जहरीला पदार्थ खाने से तीन और जंगली हाथियों की मौत हो गई है, जिससे इस सप्ताह अब तक मरने वालों की संख्या 10 हो गई है।हाथियों की मौत से दिल्ली तक हड़कंप मचा है।प्रशासन पर लापरवाही के गंभीर आरोप लगे है। इस मामले में वनमंत्री रामनिवास रावत का कहना है कि हाथियों की मौत की जांच होगी।दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ-वन्यजीव) वीकेएन अंबाडे ने रिजर्व के अंदर से फोन पर एक न्यूज एजेंसी को बताया, बुधवार शाम को एक हाथी की मौत हो गई और गुरुवार को दो अन्य की मौत हो गई।

तीन हाथियों की हालत गंभीर -बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बीते दिनों से हाथियों के मरने का सिलसिला लगातार जारी है। बांधवगढ़ में मृतक हाथियों की संख्या बढक़र अब 10 हो गई है। दीपावली वाले दिन भी 2 हाथियों की मौत हो चुकी है। बाकी तीन हाथियों की हालत अभी भी खराब बताई जा रही है।इधर केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा पूरे मामले की जांच के लिए टीम गठित की है।

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के खितौली और पतौर रेंज में हाथियों की मौत का सिलसिला जारी है। दो दिन पहले तक एक नर सहित 7 मादा हाथियों की मौत हो चुकी थी, जबकि दीपावली वाले दिन यानि 31 अक्टूबर को भी दो हाथियों की मौत हुई। इधर हाथियों की मौत के बाद से बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व प्रबंधन एक्शन में और 7 घर, 7 खेतों की जांच करने के साथ ही पांच संदिग्धों से पूछताछ जारी है।

वन और राजस्व में तालमेल का अभाव

हाथियों की मौत को वन और राजस्व विभाग के तालमेल में कमी से भी जोड़ा जा रहा है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि मुआवजे के जो हेड यानी जान और माल की हानि सामने आते हैं। उनमें नुकसान की भरपाई जल्द हो जाती है। इसके मुकाबले अगर फसल हानि के मामले आएं तो उसमें किसान सिवाए “कल आना” के अलावा कोई जवाव नहीं मिलता है। इसकी वजहात के पीछे जाएं तो बहुत कुछ रोल और खामी राजस्व अमले की है। जो समय रहते फसल नुकसानी का ब्योरा/ सर्वे समय- सीमा में नहीं करते। जबकि ये काम मप्र लोक सेवा की गारटी अधिनियम में शामिल है। सूत्रों का कहना है कि इस काम में पटवारी- तहसीलदार को ” पब्लिक डीलिंग” का मौका नहीं मिलता है। इसलिए वे इस काम को टालते हैं। जिसके आक्रोश में जहर मिला पानी और हाथियों की मौत के रूप में सामने आते हैं। अगर राजस्व अमला हाथी से हुए किसान के नुकसान को  किसी भूमि स्वामी को होने वाली हानि को एक समान मान ले तो मौतों का ये सिलसिला रोका जा सकता है।

01/11/2024

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