अलौकिक शक्ति का कोई अस्तित्व नहीं, भौतिक व रासायनिक घटनाओं से हुआ जीवन का विकास: प्रो. गौतम
विश्व मानव विज्ञान दिवस पर आयोजित व्याख्यान में बोले विवि के मानव शास्त्र विभाग के शिक्षक

sagarvani.com9425172417
सागर। जीवन की उत्पत्ति को आधुनिक वैज्ञानिक एक तरह की रासायनिक प्रक्रिया बताते हैं। इसमें पहले जैव कार्बनिक अणु बने फिर इनका समूह बना, यह प्रक्रिया निरंतर चलती रही और अंत में यह निर्जीव पदार्थ जीवित तत्वों में परिवर्तित हुआ। पृथ्वी पर जीवन के प्रमाण अलग अलग समय में जीवाश्म के अवशेष के रूप में प्राप्त हुए हैं। यह बात डॉ. हरीसिंह गौर केंद्रीय विवि के मानव शास्त्र के प्रो. राजेश गौतम ने भोपाल में आयोजित एक व्याख्यान कार्यक्रम में कही। यह आयोजन विश्व मानव विज्ञान दिवस के उपलक्ष्य में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय भोपाल में यहां की लोकप्रिय व्याख्यान श्रृंखला के तहत रॉक आर्ट हेरिटेज में जीवन की उत्पत्ति और मानव विकास विषय पर किया गया।
दुनिया और मानव को ईश्वरीय रचना बताने वाले 4000 धर्म और विश्वास
प्रो. गौतम ने बताया कि पृथ्वी का निर्माण लगभग 4.54 अरब वर्ष पहले सौर निहारिका से अभिवृद्धि से हुआ था। ऐसा माना जाता है कि एक बहुत बड़ी टक्कर पृथ्वी को एक कोण पर झुकाने और चंद्रमा के निर्माण में सहायक हुई। जब यह ग्रह ठंडा हुआ और एक ठोस परत बनी। जिससे सतह पर पानी पाया गया। पृथ्वी बनने के बाद जीवन की उत्पत्ति के 06 प्रकार के धर्म और विश्वास है जिसमें ईश्वरीय रचना, प्रलयंकारी उत्पत्ति, ब्रह्मांडीय उत्पत्ति ,उत्पत्ति का सिद्धांत, सहज पीढ़ी की उत्पत्ति, जैविक विकास का सिद्धांत शामिल हैं। जैविक विकास के सिद्धांत के बारे में प्रो. गौतम ने बताया कि ईश्वरीय रचना के संबंध में दुनिया भर में लगभग 4000 धर्म और विश्वास हैं। जिसमें से 75 प्रतिशत लोग मुख्य रूप से पांच प्रकार के धर्म और विश्वास से जुड़े हुए है। इनमें हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, बौद्ध, यहूदी, शामिल हैं। इन सभी धर्मों में मानव की उत्पत्ति व उसके विकास के अलग-अलग विश्वास व मान्यताएं हैं।
भाषा से लेकर विवाह और मानव शरीर के अगले बदलाव के बारे में सवाल किए
व्याख्यान के बाद मौजूद श्रोताओं ने प्रो. गौतम व अन्य विद्वानों से मानव विकास के संबंधी कई सवाल किए। जैसे एक श्रोता ने पूछा कि मानव शरीर के बदलाव का अगला क्या क्रम होगा। जवाब में प्रो. गौतम ने कहा कि कपि से मानव बनने तक का सफर करोड़ों वर्ष पुराना हो सकता है। फिर भी विभिन्न वैज्ञानिक शोधों से यह साफ हुआ है कि मानव के किसी एक अंग के विलोपित होने में करीब 70 लाख वर्ष का समय लगता है। इसलिए इस बारे में कोई भी भविष्यवाणी या आकलन नहीं किया जा सकता। हालांकि हाल ही में हुए कुछ शोधों के अनुसार मानव शरीर में अक्ल की दाढ़, नाम का मुख अंग गायब हो रहा है। दांतों की साइज कम हो रही है। उन्होंने इसके पीछे की वजहों पर भी प्रकाश डाला। श्रोताओं ने मोटापा के कुपोषण में बदलने, भाषाएं कैसे बनीं, विवाह नाम की संस्था का विकास कैसे हुआ आदि सवाल किए।
प्रो. गौतम को मानव विज्ञान में गणितीय मॉडल का इकलौता विद्वान बताया
आयोजन की शुरुआत में वक्ताओं के परिचय की श्रृंखला में डॉ. सूर्यकुमार पांडे ने प्रो. राजेश गौतम के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि प्रो. गौतम देश के उन कुछ मानव वैज्ञानिकों में से हैं,जिनका संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप के वैज्ञानिकों के साथ अंतर्राष्ट्रीय समन्वय व सहयोग है। संभवत: वह भारत के एकमात्र मानव विज्ञानी हैं जो गणितीय मॉडलिंग में प्रशिक्षित हैं। आयोजन में मुख्य रूप से संग्रहालय के निदेशक प्रो. अमिताभ पांडे, मानव शास्त्र के विद्वान मोहम्मद रेहान मुख्य रूप से मौजूद रहे।
16/02/2024



