विधायक निर्मला सप्रे , बीना रिफायनरी और कप्तानसिंह यादव

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सागर। बीना की विधायक निर्मला सप्रे ने विस अध्यक्ष नरेन्द्रसिंह तोमर को जवाब दिया है कि, मैंने भाजपा ज्वाइन नहीं की है। आज मीडिया जगत की ये प्रमुख खबर है। सप्रे के इस जवाब के बाद उनकी दलीय स्थिति का निर्णय अध्यक्ष तोमर करेंगे। जिसमें वे अधिकतम तीन महीने का समय ले सकते हैं। जबकि इस मामले में “राहजनी की शिकार टाइप” कांग्रेस के पास कोर्ट की सांकल बजाने का विकल्प खुला है। अब इस खबर या आलेख के शीर्षक पर आएं तो सप्रे के अलावा इस छह माही राजनीतिक घटनाक्रम के दो और किरदार बीना रिफायनरी व कप्तान सिंह यादव हैं। जिनका इस एपिसोड में शायद कहीं भी जिक्र नहीं किया गया। लेकिन हम करेंगे। सबसे पहले बीना रिफायनरी की बात। विस चुनाव-2023 के पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने रिफायनरी में 49 हजार करोड़ रु. के केमिकल कॉम्पलेक्स का भूमिपूजन किया था। यही बड़ा इन्वेस्टमेंट, दलीय आस्था के बदलने का एक बड़ा कारण माना जा रहा है। हालांकि इस हृदय परिवर्तन को “बीना को जिला बनाओ” मांग का नाम दिया गया। जान लीजिए कि आगासौद में लगने वाले प्रत्येक कारखाने का सिविल वर्क स्थानीय मिट्टी- मुरम, पत्थर- गिट्टी और बेतवा नदी ( बीना से कंजिया तक का किनारा) से निकलने वाली काली बजरी से हो रहा है। जहां उत्खनन की बात आती है वहां चहेते ठेकेदार V/s राजस्व, खनिज और पुलिस अवश्यंभावी होता है।
इन तीनों को साधने के लिए स्वयं की राजनीतिक जमीन मजबूत होनी चाहिए। जो विपक्ष में संभव नहीं है। …. तो जिस भी जनप्रतिनिधि को आगासौद में अपना रसूख सिद्ध करना है। उसे सत्ता के साथ रहना होगा। यह रसूख केवल उत्खनन या सप्लाई तक काम नहीं आता। इसके जरिए कंपनी के ऑनर्स, इंजीनियर्स या लेबर के साथ होने वाली स्थानीय दादाओं-रंगदारों की खैंचा-खाची को भी सुलटाया जाता है। समझा जा सकता है कि ” हृदय परिवर्तन ” के पीछे की एक बड़ी और मुख्य वजह बीना रिफायनरी भी थी।
हां बात पुलिस की निकली है तो हृदय परिवर्तन दिवस ( 5 मई 2024) से अब तक बीना विस क्षेत्र के सभी चार पुलिस थाने( आगासौद,खिमलासा,भानगढ़ बीना) प्रभारी बदले जा चुके हैं।
राजपूत, चौबे का बस नाम था जड़ में भूतपूर्व पटवारी
हृदय परिवर्तन के इस एपिसोड के दूसरे अहम किरदार कप्तान सिंह यादव नाम के शख्स बताए जाते हैं। जो विदिशा के कुरवाई विस क्षेत्र के पठारी गांव तरफ पटवारी थे। वे पूर्व सांसद लक्ष्मीनारायण यादव के जमाने में स्थानीय प्रतिनिधि बने।
बाद में डॉ. मोहन यादव सीएम बने तो वे उनके बंगले में स्लीपर्स में चहल -कदमी करते देखे गए। इधर शुरुआती महीनों में ही विपक्ष में रहने की ऊब और फिर पीएम के बीना दौरे ने सबकुछ सतह पर ला दिया। यादव ने पहल की तो सीएम की मौजूदगी में भरे मंच से “हृदय परिवर्तन ” हो गया। साफ है कि उस घटनाक्रम में कहीं पर भी केबिनेट मंत्री गोविंदसिंह राजपूत या पूर्व विधायक अरुणोदय चौबे की कोई स्पष्ट भूमिका नहीं थी। चूंकि लोकसभा का चुनावी माहौल था। इसलिए किसी ने भी बैठे- बैठाए मिल रही इस बड़ी क्रेडिट से डिनाए भी नहीं किया।
चर्चाओं के अनुसार पूर्व पटवारी कप्तानसिंह भी राजनीतिक मंसूबे रखते हैं। वे सीएम डॉ. यादव की सरपरस्ती में शमशाबाद से विधानसभा चुनाव लड़ने का नक्शा लिए घूम रहे हैं।
16/10/2024



