धनबाद- जामताड़ा तक मानसिंह पटेल को ढूंढ आई सागर पुलिस SIT को क्या जवाब देगी ?
SIT के गठन संबंधी आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने सागर पुलिस की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े किए हैं।


sagarvani.com 9425172417 सागर। शहर के तिली वार्ड निवासी किसान मानसिंह पटेल के गायब होने के मामले में दाखिल क्रिमिनल रिट पिटीशन (हैवियस कॉर्पस) में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक आदेश पारित कर डीजीपी, मप्र को एक स्पेशल इन्विस्टिगेशन टीम (एसआईटी) गठित करने कहा है। जो चार महीने में माननीय सर्वोच्च न्यायालय को जांच रपट देगी। यह पिटीशन ओबीसी महासभा ने दाखिल की थी। चूंकि इस पिटीशन में मप्र सरकार के केबिनेट मंत्री गोविंदसिंह राजपूत, उनके परिजन समेत अन्य जिनमें गोविंद दुबे, कैलाश के नाम का जिक्र था, ने इस मामले को हाईप्रोफाइल बना दिया है। बहरहाल एसआईटी गठन के इस ताजा आदेश में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने किसी राजनैतिक या गैर राजनैतिक व्यक्ति विशेष के बजाए सागर पुलिस की कार्यप्रणाली पर जगह-जगह सवाल किए हैं। माना जा रहा है कि बारीकी से जांच हुई तो वर्ष 2016 से अब तक पदस्थ रहे पुलिस के जिम्मेदार अधिकारी और सिविल थाना प्रभारियों को जवाब देना मुश्किल हो जाएगा। इधर माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अपने इस आदेश की पहली ही लाइन में कहा है कि एसआईटी में कोई भी प्रमोटी पुलिस अधिकारी शामिल नहीं होगा। सीधी नियुक्ति वाले आईपीएस होंगे लेकिन उनका जन्म स्थान मप्र नहीं होना चाहिए। जो मप्र में पुलिस के कामकाज के स्तर पर सवाल खड़ा कर रहा है। इसके पहले माननीय कोर्ट ने अपने आदेश में लिखा कि जब गायब मानसिंह पटेल के बेटे सीताराम ने अगस्त 2016 में शिकायत की थी कि मेरे पिता की हत्या, अपहरण या उन्हें बंधक बनाया जा सकता है, तब पुलिस ने इस केस में गुमशुदगी क्यों दर्ज की। फिर इसी मामले में यही पुलिस, सीताराम पटेल के सितंबर 2016 के उस हलफनामे पर भरोसा कर लेती है। जिसमें वह अपनी उक्त शिकायत को यह कहते हुए वापस लेने की बात करता है कि मैंने, अगस्त वाली शिकायत मनोज पटेल और विनय मलैया के उकसाने पर की थी।

मेरे पिता का मंत्री राजपूत से कोई भूमि विवाद नहीं था। दूसरी ओर पुलिस ने दावा किया कि लापता मानसिंह पटेल के बारे में स्थानीय ऑटो वालों से लेकर झारखंड के धनबाद और जामताड़ा जाकर खोजबीन की। जो सितंबर 2017- सितंबर 2019 तक चलती रही। इसी दौरान सागर तहसीलदार ने मानसिंह पटेल और उत्तमसिंह पटेल का नाम राजस्व रिकॉर्ड में पुर्नस्थापित कर दिया। इसके बावजूद पुलिस ने उसे खोज नहीं पाई। बल्कि जनवरी 2023 में यकायक एक सूचना दर्ज कर ली गई, जिसमें शिकायतकर्ता सीताराम पटेल ने कहा कि मेरे पिता मानसिंह पटेल अधिकांश समय घर के बाहर रहते हैं। तीर्थ यात्रा पर कई-कई दिन के लिए निकल जाते हैं। फिर लौट आते हैं। इस पर माननीय सुप्रीम कोर्ट ने, पुलिस से कहा कि जब सीताराम ने ऐसा कहा तो फिर पुलिस ने उसे आसानी खोजकर इस मामले का पटाक्षेप क्यों नहीं कर दिया। मई 2023 में सागर एसपी ने
एक एसआईटी का गठन किया। जिसमें कांस्टेबिल, एएसआई रैंक के पुलिसकर्मियों को शामिल किया गया। इस बारे में माननीय सुप्रीम कोर्ट खुद सवाल उठाया कि सागर की पुलिस के समक्ष संपत्ति विवाद के चलते लापता हुए एक व्यक्ति का प्रकरण था। क्या पुलिस ने इस मामले की निष्पक्ष, स्वतंत्र और निष्कलंक जांच की? आगे माननीय सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि पुलिस हमारे समक्ष ऐसी स्थिति क्यों नहीं लाई कि अगस्त 2016 की शिकायत के आरोप गलत हैं। इनका कोई तथ्यात्मक आधार नहीं है। पुलिस के पास इस बात के भी कोई सुबूत नहीं है कि मानसिंह पटेल जिंदा है या लापता होने के बाद उसे कहीं देखा गया हो। सागर पुलिस का नवीनतम हलफनामा भी मानसिंह पटेल के पता-ठिकाने के बारे में चुप्पी साधे हुए है। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि आरोपों की गंभीर प्रकृति को देखते हुए एसआईटी(सागर एसपी द्वारा गठित) एक दिखावा मात्र है। यह जांच को ऐसे किसी तार्किक निष्कर्ष पर नहीं ले जा सकती। जिस पर पीड़ित, उसके परिजन या आमजनता भरोसा कर सकें।
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जनवरी 2023 की एफआईआर स्थगित, सीताराम के बयानों पर भरोसा नहीं माननीय सुप्रीम कोर्ट ने सागर पुलिस को फिर घेरे में लेते हुए कहा है कि वर्ष 2016 में दर्ज सूचना पर तत्काल एफआईआर दर्ज कर अज्ञात व्यक्तियो के खिलाफ जांच शुरु करे। जनवरी 2023 में दर्ज एफआईआर, जिसमें सीताराम पटेल ने कहा था कि पिता मानसिंह पटेल लापता नहीं हैं, वह तीर्थ के लिए आते-जाते रहते हैं। एसआईटी को इस पर संज्ञान नहीं लेने के लिए कहा है। स्पष्ट भी किया है कि सीताराम के बयानों को सत्य नहीं मानें। वह बार-बार बयान बदलता है। इसके पीछे क्या कारण है, यह उसकी आत्मा ही जानती है। कोर्ट इस पर कोई टिप्पणी नहीं करता है। जांच में ओबीसी महासभा को शामिल कर साक्षियों की सुरक्षा सुनिश्चित करें
माननीय सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस यानी एसआईटी से यह भी कहा है कि वह अपनी जांच में ओबीसी महासभा को शामिल करे। सभी गवाहान के वीडियोग्राफ कराए जाएं। इसके पूर्व इस संगठन को लेकर माननीय कोर्ट ने कहा था कि ओबीसी की पिटीशन स्वीकार योग्य है, क्योंकि समाज के सजग वर्ग या सामाजिक सहायता समूहों से यही अपेक्षा की जाती है कि वह ऐसे पीड़ितों के मामले सामने लेकर आएं। जिन्हें चुप करा दिया गया हो। ओबीसी महासभा की इस पहल से न केवल पीड़ित पक्ष को न्याय मिलेगा। बल्कि को उस समूह या पक्ष को भी राहत मिलेगी। जिन पर इस मामले में संदेह जताया गया है।
विवाद की जड़ राजस्व रिकॉर्ड की गहनता जांच हो
माननीय सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एक अहम किरदार यानी राजस्व विभाग को भी एसआईटी की जांच के दायरे में लेने के लिए कहा है। माननीय कोर्ट का कहना है कि दस्तावेज, जिसमें राजस्व रिकॉर्ड शामिल है, जो भूमि के स्वामित्व, नामांतरण के बारे में सिविल विवाद की उत्पत्ति को दर्शाते हैं। इसकी गहनता से जांच की जाए। ताकि यह पता चल सके कि मानसिंह पटेल की अचानक गुमशुदगी का कारण क्या था।
मंत्री राजपूत ने SIT के गठन का स्वागत किया था
सुप्रीम कोर्ट ने गुमशुदा व्यक्ति के मामले में एसआईटी गठित करने का आदेश दिया है। मैं इसका स्वागत करता हूं, उसके परिवार को न्याय मिलना चाहिए। खासकर कुछ लोगों से मैंने सुना है कि इसमें किसके खिलाफ टिप्पणी की गई है, तो मेरे खिलाफ कोर्ट द्वारा न तो मेरे खिलाफ कोई टिप्पणी की है, न ही मुझे आज तक कोई नोटिस दिया गया है। न ही जांच में बुलाया गया है। मेरे राजनीतिक विरोधियों द्वारा जो षड्यंत्र रचा गया था, उसमें कोर्ट से पूरा न्याय मिला है। सुप्रीम कोर्ट का बयान पढ़े बगैर जो लोग अनर्गल बयानबाजी और प्रचार करेंगे उनके खिलाफ कोर्ट जाऊंगा। नहीं माने तो मानहानि का केस भी दायर करूंगा।
17/08/2024



