विश्व हाथी दिवस: 5 जिलों में रेडियो पर “हाथी समाचार” खेल, मौसम की तरह रोज प्रसारित होते हैं
भारत में एशिया के 60 % हाथी, पंचवर्षीय गणना ( 2017) के मुताबिक देश में वर्तमान में 27312 + हाथी मौजूद, वर्ल्ड एलीफेन्ट डे पर वीरांगना रानी दुर्गावती टाईगर रिजर्व में हुआ आयोजन

sagarvani.com9425172417
सागर। हर साल 12 अगस्त को विश्व हाथी दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से हाथियों के संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है। हाथी, विश्व के लिए बहुत ही जरूरी प्राणी है। हाथी जंगल में रहने वाले दूसरे वन्यजीवों के लिए पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने में मदद करते हैं। हाथियों की झुंड में चलने की वजह से घने जंगलों में खुद ब खुद रास्ता बनते जाता है जो दूसरे जानवरों के लिए बहुत मददगार होता है। कई राज्यों में जंगली हाथियों के उत्पात के कारण संपत्ति को भी काफी नुकसान पहुंचता है। इससे निपटने के लिए आकाशवाणी छत्तीसगढ़ ने हाथी समाचार नामक एक अग्रणी पहल शुरू की है। यह पूरे देश में अपनी तरह की अनूठी पहल है। साल 2017 में छत्तीसगढ़ में हाथियों के आतंक को रोकने और ग्रामीणों को सचेत करने के लिए
आकाशवाणी के रायपुर केंद्र से ‘हमर हाथी-हमर गोठ’ कार्यक्रम का प्रसारण किया गया। छत्तीसगढ़ गंभीर मानव हाथी संघर्ष का सामना करने वाले राज्यों में से एक है। जिसके परिणामस्वरूप लोगों की जान चली जाती है और कृषि भूमि और घरों को काफी नुकसान पहुंचता है। ये हाथी समाचार छग के चार आकाशवाणी केंद्र, अंबिकापुर, रायपुर, बिलासपुर और रायगढ़ के माध्यम से हिंदी में एक साथ प्रसारित होते हैं।

टाईगर कंजरवेशन बगैर हाथी के संभव नहीं: डॉ. अंसारी
विश्व हाथी दिवस पर sagarvani.com से चर्चा करते हुए भारतीय वन सेवा के अधिकारी एवं वीरांगना रानी दुर्गावती टाईगर रिर्जव के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. एए अंसारी, जो स्वयं एक वेटरनरी डॉक्टर हैं, उन्होंने हाथियों के बारे कई महत्वपूर्ण तथ्य व जानकारी साझा की। डॉ. अंसारी ने बताया कि
देश-दुनिया में बगैर हाथी के टाईगर कंजरवेशन यानी बाघों का संरक्षण नामुमकिन है। उनकी मॉनीटरिंग और ट्रेंकयुलाइजेशन बगैर हाथी के नहीं हो सकता। यहां तक कि हाथियों के संरक्षण के लिए भी हाथी की जरूरत होती है। इस विशेष हाथी को “कुमकी” कहा जाता है। कुमकी एक प्रशिक्षित
हाथी होता है। जो गांव-शहर की तरफ आए हाथी के झुंड को खदेड़ने, मानवीय प्रयास यानी ट्रक आदि से उन्हें ट्रांसफर करने में मददगार होता है। वर्तमान में स्थानीय टाईगर रिजर्व में एक फीमेल चंदा और मेल हाथी नील मौजूद है। इन दोनों के माध्यम से हम यहां के टाइगर्स की मॉनीटरिंग करते हैं।

डॉ. अंसारी के अनुसार हाथियों के रहवास और उनकी आवाजाही को खदान, हाईवे और रेलवे ने बहुत प्रभावित किया है। जिसके चलते वह मानव बसाहट की तरफ रुख करते हैं। मप्र में मुगलकाल तक शिवपुरी व आसपास के जंगल में काफी हाथी रहे। बाद में मप्र के विभाजन के बाद ये कम्युनिटी छग पहुंच गई। लेकिन बीते दो-ढाई दशक से हाथी दल फिर से मप्र में इंट्री कर रहे हैं। बांधवगढ़ रिजर्व में तो इन्होंने स्थाई डेरा बना लिया है। वहां 40-42 हाथी हैं। वहीं छत्तीसगढ़ के सीमान्त जंगलों से मप्र के सीधी, अनुपपुर, डिंडोरी, शहडोल में
हर साल 125 -150 हाथी प्रवास पर आते हैं। याददाश्त, बुद्धिमत्ता, सूंघने की क्षमता के लिए पहचाने जाने वाले हाथियों की दृष्टि कमजोर होती है। इन्हें हरफीज के जानलेवा बुखार का खतरा होता। हाथियों की औसत उम्र 72- 73 वर्ष होती है।
वृंदावन बाग में मुगलकाल से हाथी पालने की परंपरा है
शहर का वृंदावन बाग मंदिर मुगलकालीन है। बताया जाता है कि तभी से यहां हथिनी को पालने की परंपरा है। मंदिर के सेवादार और भाजपा नेता मनीष चौबे के अनुसार, यहां मां लक्ष्मी का मंदिर है। इसलिए यहां हाथी पाला जाता है। वर्तमान में करीब 50 वर्षीय हथिनी लक्ष्मी है। जिसे हम्मीरपुर यूपी से वर्ष 2009
में लाया गया था। एक दानदाता तब इसकी कीमत करीब 8.55 लाख रु. चुकाकर मंदिर को भेंट की थी। इसके पहले भी एक फीमेल हाथी मंदिर की देखरेख में रही जिसका वर्ष 2009 में 72 वर्ष की आयु में निधन हो गया।

60% एशियाटिक हाथियों का भारत में रहवास
एशियाई हाथियों की वैश्विक आबादी का 60 प्रतिशत से अधिक भारत में है। वर्तमान में देश के 14 राज्यों में लगभग 65 हजार वर्ग किलोमीटर में हाथियों के लिए 30 वन क्षेत्र सुरक्षित हैं। लेकिन हाल-फिलहाल जितनी तेजी से मानव हाथी संघर्ष की घटनाएं हुई हैं, वह चिंता का विषय है। हाथी परियोजना के अंतर्गत प्रत्येक 5 वर्षों में एक बार हाथियों की गणना की जाती है। पिछली बार हाथियों की गणना वर्ष 2017 में हुई थी। जिसके अनुसार, भारत में एशियाई हाथियों की कुल संख्या 27,312 है। हाथियों की कुल संख्या में कर्नाटक देश में प्रथम स्थान पर है।
12/08/2024



