ब्रेकिंग न्यूज़

नगर निगम: मलाईदार वाहन शाखा को लेकर कर्मचारियों में खींचतान, कलेक्टर-कमिश्नर के पास पहुंचेे

नगर निगम के गलियारों में चर्चा, महापौर-अध्यक्ष के बीच चल रहे विवाद का साइड इफेक्ट!

.     sagarvani.com9425172417

सागर। नगर निगम के दो कर्मचारी गुटों में खींचतान चल रही है। कर्मचारी मरने-मारने पर उतारू हैं। विवाद इतना बढ़ चुका है कि कर्मचारियों के यह गुट महापौर, नगर निगम कमिश्नर को छोड़ सीधे अब कलेक्टर-कमिश्नर के सामने पहुंच रहे हैं। ताजा मामला नगर निगम की मलाईदार वाहन शाखा से जुड़ा है। दरअसल शुक्रवार को नगर निगम के दो कर्मचारी धड़े, जिनमें एक राजेशसिंह, सईद उद्दीन कुरैशी आदि और दूसरे कृष्णकुमार उर्फ बबलू चौरसिया, माधव कटारे आदि एक के बाद एक कलेक्टर दीपक आर्य, कमिश्नर वीरेंद्रसिंह रावत के पास पहुंच गए। दोनों ही गुट अपने साथ करीब दो-दो दर्जन कर्मचारी साथ लिए थे। जहां इन दोनों एक-दूसरे पर मारपीट और गाली-गलौज और कामकाज में बेजा दखलंदाजी का आरोप लगाया। अधिकारियों ने दोनों की सुनवाई कर उचित कार्रवाई का आश्वासन देकर चलता कर दिया।

वाहन शाखा पर आधिपत्य को लेकर भिड़े बबलू और सईउद्दीन

इनमें से राजेशसिंह गुट के सईदउद्दीन कुरैशी, प्रभारी, फायर व वाहन शाखा का कहना है बबलू चौरसिया मुझे गालियां और जान से मारने की धमकी दे रहे हैं। मैं, जैसे-तैसे अपनी जान बचाता फिर रहा हूं। वहीं दूसरे गुट के बबलू चौरसिया, प्रभारी अतिक्रमण, स्टोर का कहना है कि

लोकायुक्त की कार्रवाई : “पानी” से पैसा बनाने के फेर में लेबर इंस्पेक्टर रिश्वत मांगते ट्रेप

मैं कमिश्नर के आदेश पर वाहन शाखा में सहायक प्रभारी के रूप में काम कर रहा हूं। वहां सईदउद्दीन कुरैशी मुझे काम नहीं करने दे रहे। वे गाली-गलौज करते रहते हैं। उनके अलावा स्वच्छता निरीक्षक राजेशसिंह मेरे बारे में अर्नगल टीका-टिप्पणी करते रहते हैं। यहां बता दें कि नगर निगम में वाहन शाखा को मलाईदार विभाग माना जाता है। नगर निगम द्वारा वाहनों रख-रखाव, ड्राइवरों का कमीशन, डीजल, ऑयल आदि पर हर महीने मोटी रकम खर्च की जाती है। यही सब इस विवाद की जड़ बताई जा रही है।

जब बड़े-बड़े जिम्मेदार नहीं मान रहे तो हम क्यों पीछे रहें

इधर नगर निगम के गलियारों में चर्चा है कि यह सब महापौर-अध्यक्ष, पार्षद आदि के बीच पनपे मतभेदों का असर है। निगमकर्मी बेलगाम होकर मनमर्जी पर उतर आए हैं। मनचाही और मलाईदार शाखा में काम करने के लिए वे तमाम आदेश, अनुशासन, कार्यालयीन मर्यादाएं तक लांघने तैयार हैं। उन्हें जनता या नगर सरकार के प्रतिनिधियों का कोई खौफ नहीं है। निगम के कर्मचारी-अधिकारियों को नियंत्रित करने के लिए कमिश्नर हैं। लेकिन वह भी इन लोगों पर लगाम कसनेे में कामयाब नहीं हो पा रहे।

02/08/2024

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!