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बकरी और मच्छरदानी देकर बनाते थे ईसाई !धर्म परिवर्तन, राजघाट डेम पर होता बपतिस्मा

 सागर। 9425172417
कतिपय ईसाई मिशनरी धर्म परिवर्तन करा रही हैं। इसकी एवज में वे धर्म बदलने वालों को बकरी और मच्छरदानी बतौर उपहार देते थे। यह खुलासा श्री बागेश्वरधाम सरकार के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की कथा में हुआ है। रविवार शाम को नरयावली विधानसभा क्षेत्र के बदौना, रतौना गांव से पहुंचे ९३ लोगों ने सनातन धर्म में वापसी की। इससे पहले पंडित धीरेंद्र कृष्ण ने कहा कि जब तक मेरे तन में प्राण में हैं। मैं सनातन धर्म में वापसी कराता रहूंगा। उन्होंने ये भी कहा कि धर्म परिवर्तन के पीछे एक बड़ा आधार गरीबी है। इसलिए मैं देश के अमीर-धनी लोगों का आह्वïान करता हूं कि वे आगे आएं और पिछड़े-गरीबों की मदद करें।
घाटों पर खतरा था इसलिए राजघाट पर बपतिस्मा कराते थे 
धर्म वापसी करने वालों ने मसीही धर्म अपनाने के बारे में कई रहस्य खोले। उनमें से एक रतौना गांव का दयाल नाम का व्यक्ति बोला कि, वे लोग हमें बस में भरकर एक दिन राजघाट डेम ले गए। जहां हमें स्नान कराया गया। वे इसे बपतिस्मा संस्कार कह रहे थे। उन्होंने इसके बाद हमें ईसाई घोषित कर दिया। हम लोग चर्च आने-जाने लगे। माना जा रहा है कि कतिपय धर्म प्रचारक इसलिए नदी या तालाब के घाटों पर बपतिस्मा कराने नहीं गए। क्योंकि वहां आसपास सनातनी पूजा स्थल, मंदिर आदि होते हैं। लोगों की आवाजाही बनी रहती है, इसलिए राजघाट जैसे सुनसान जलस्रोत में यह क्रिया करवाई गई।
मंगल सूत्र पहनने से मना किया, माथे से बिंदी हटवाई
एक महिला गुलाबरानी अहिरवार ने बताया कि धर्म परिवर्तन के बाद वे लोग हमें मंगल सूत्र पहनने से मना करते थे। माथे पर बिंदी भी नहीं लगाने देते थे। यह सब उन्होंने महज एक मच्छरदानी, कंबल और बकरी की एवज में किया। वे लोग बोलते थे कि घर में रखे भगवान के फोटो-मूर्तियां फेंक दो। यह क्रम करीब ६ महीने से चल रहा था। वापसी करने वाले इन लोगों का कहना था कि वह बागेश्वर धाम की कथा सुनकर यहां आए हैं और जमीन में कभी दोबारा अपना धर्म नहीं बदलेंगे। 

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