घोटाले का सूत्र : मूंग बेचने वाले “सम्मानीय किसानों” से बिजली के बिल तो मांग लीजिए
मूंग खरीदी पंजीयन घोटाला बिजली कंपनी की मदद से पकड़ा जा सकता है! बढ़ी हुई पंजीयन संख्या पैदा कर रही है मूंग उपजाने वाले किसानों पर संदेह, केंद्रों पर घटिया मूंग मिलने से गड़बड़ी की शंका से इनकार नहीं किया जा सकता
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सागर। बेलढाना, शाहगढ़, राहतगढ़ के सरकारी खरीद केंद्रों पर घटिया क्वालिटी की मूंग खरीद के मामले प्रकाश में आए हैं। खरीदार एजेंसी मार्कफेड भले ही इसे एक सामान्य गड़बड़ी मानकर सरकारी खरीदी केंद्र प्रभारी से साफ व गुणवत्तायुक्त उपज ही लेने की बात कर रही है। लेकिन भीतर की सच्चाई भी जानने की जरूरत है। वो ये कि क्या जो उपज खरीद केंद्रों पर बिकने आई, वह वास्तव में सागर के अमुक या फलां “सम्मानीय किसान” ने अपने खेत में उपजाई थी या नहीं? कहीं ऐसा तो नहीं है कि किसान, व्यापारी और खरीद केंद्र प्रभारी की मिलीभगत से दाल या राइस मिलों का रिजेक्टेड स्टॉक, सरकार को बेचा जा रहा हो। इस बारे में जिले के एक किसान का कहना है कि गेहूं, धान, प्याज आदि की सरकारी खरीदी में गड़बड़ी आम बात है। इसलिए मूंग की खरीदी साफ-सुथरी और निर्विवाद हो। यह संभव नहीं है। हालांकि ताजा मामले में हुई गड़बड़ी को पकड़ना कोई रॉकेट साइंस नहीं है !
इसके लिए खरीदार एजेंसी को मात्र इतना करना है कि जिस किसान ने ई-उपार्जन पोर्टल पर पंजीयन कराकर मूंग बेची है। उसके संबंधित खेत के बिजली बिल का निरीक्षण कर लिया जाए। अगर किसान ने वास्तव में बुवाई कर फसल उपजाई होगी तो उसने सिंचाई के लिए बिजली कनेक्शन अवश्य लिया होगा। जिसका बिजली बिल भी आया होगा।
बेरखेड़ी सड़क के सरकारी खरीदी केंद्र में कचरा-मिट्टी मिक्स मूंग की खरीदी, नोटिस जारी
अंदरखाने की खबर है कि बड़ी संख्या में ऐसे कई “प्रधानमंत्री किसान निधि सम्मान” प्राप्त किसान हैं। जिन्होंने सर्वेयर से मिलीभगत कर गिरदावरी में फर्जी एंट्री कराते हुए स्वयं को मूंग का किसान बताया और बाद में इन्हीं लोगों ने व्यापारी व खरीदी केंद्र प्रभारी से मिलकर बाजार की घटिया मूंग मार्कफेड को बेच डाली। यानी इन लोगों के पास मूंग की फसल अवधि का कोई भी अस्थाई बिजली कनेक्शन या बिल नहीं मिलेगा।
सालभर में डेढ़ गुना किसान बढ़ने से संदेह उपज रहा
कतिपय किसानों द्वारा फर्जीवाड़ा करने की संभावना इसलिए मानी जा रही है क्योंकि एक साल पहले तक सागर जिले में मूंग की खेती करने वाले किसानों की संख्या करीब 11 हजार थी। लेकिन इस साल के सीजन में यह संख्या बढ़कर 16 हजार से अधिक हो गई। उस पर से इन किसानों में कई, खरीदी केंद्रों पर घटिया, चमकविहीन, टूटी, दरियानुमा, कचरा और मिट्टी मिली उपज लेकर पहुंच रहे हैं। हालांकि ये बात तय है कि इस पूरी घोटालेबाजी में अकेले किसान शामिल नहीं हैं। अन्य लोग भी हैं। जिनका ऊपर जिक्र किया गया है। इस मामले में मार्कफेड की जिला विपणन अधिकारी राखी रघुवंशी से संपर्क किया गया तो उनका फोन रिसीव नहीं हुआ।
27/07/2024



