‘पद बचाऊ निकाह’ की दुखद कॉमेडी: सागर के नईम खान का 62 साल में 15 दिन का राजनीतिक प्रेम और भाजपा से निष्कासन
लाजपतपुरा वार्ड के पार्षद नईम खान ने यौन उत्पीड़न के आरोपों को दबाने के लिए 25 वर्षीय युवती से 'समझौता विवाह' किया, लेकिन शराब और मारपीट की लत ने एक हफ्ते में ही राजनीति पारी का पटाक्षेप कर दिया! चरित्रवान पार्टी के लिए खड़ा कर दिया चरित्र का संकट।

सागर। नगर निगम से भारतीय जनता पार्टी के पार्षद नईम खान का निष्कासन स्थानीय राजनीति में नैतिकता के पतन और सत्ता के दुरुपयोग का एक ज्वलंत उदाहरण बन गया है। पार्टी संगठन को अंततः अपने लाजपतपुरा वार्ड के इस पुराने हो चले नेता को बाहर का रास्ता दिखाना पड़ा, लेकिन यह कार्रवाई तब हुई जब खान ने अपने कृत्यों से पार्टी को असहजता की पराकाष्ठा तक पहुंचा दिया था और उनके खिलाफ गंभीर आपराधिक शिकायतें दर्ज हो चुकी थीं। यह निष्कासन केवल अनुशासनहीनता का मामला नहीं है, बल्कि एक 62 वर्षीय नेता द्वारा अपने पद को बचाने के लिए रचे गए एक ‘राजनीतिक कॉमेडी’ का त्रासद अंत है। नईम खान पर पहले 25 वर्षीय युवती पर दबाव बनाने, उसे बंधक बनाने और कथित रूप से शोषण करने के आरोप लगे । कानूनी शिकंजे से बचने के लिए, उन्होंने इस विवादित मामले को सामाजिक सुलह का जामा पहनाने की कोशिश में युवती से निकाह कर लिया। लेकिन उनका यह ‘फर्जी निकाह’ महज शुरुआती सात दिनों में ही धराशायी हो गया।
भाजपा के लिए यह घटना ‘चरित्रवान पार्टी’ के लिए चरित्र का एक गंभीर संकट लेकर आई। संगठन को एक ऐसे सदस्य को ढोना पड़ा, जिसने अपने कृत्यों को ‘निकाह’ के सामाजिक लिहाफ से ढंकने की नाकाम कोशिश की। अब्दुल नईम खान सागर नगर निगम के लाजपतपुरा वार्ड से भाजपा के सक्रिय पार्षद हैं। वे लंबे समय से स्थानीय राजनीति में सक्रिय रहे हैं और मुस्लिम बहुल इलाके में उनका प्रभाव “सो एंड सो” भले ही सही लेकिन माना जाता है। बावजूद उन्हें भाजपा की स्थानीय इकाई में महत्वपूर्ण भूमिका मिलती रही।
रंगीन मिजाजी ?… तीसरी शादी का ग्राउन्ड
इस पूरी घटना का केंद्र बिंदु नईम खान का व्यक्तिगत आचरण था। प्राप्त जानकारी के अनुसार, युवती से हुआ यह विवादित निकाह उनकी तीसरी शादी थी । स्थानीय सूत्रों के हवाले से पता चलता है कि उनकी पिछली पत्नियां अब उनके साथ नहीं थीं; एक का निधन हो चुका था, जबकि कथित तौर पर उनके इस नए निकाह से नाखुश है। जो वाजिब भी है। एक वरिष्ठ जनप्रतिनिधि का 60 से अधिक की उम्र में बार-बार विवाह करना, खासकर राजनीतिक पद पर रहते हुए, स्थानीय समाज में उनकी शक्ति और पद के संभावित दुरुपयोग की ओर इशारा करता है। 62 वर्षीय पार्षद द्वारा 25 वर्षीय युवती से शादी करने में उम्र का इतना बड़ा अंतर दर्शाता है कि सत्ता और पद ने उन्हें यह आत्मविश्वास दिया था कि उनके अनियंत्रित व्यक्तिगत आचरण पर कोई सार्वजनिक या संगठनात्मक सवाल नहीं उठाएगा। 
आरोपों का ज्वालामुखी: बंधक, धमकी और ‘अंकल’ से ‘पति’ बनने का दबाव
कथित पीड़ित युवती ने बताया कि उनकी मुलाकात पीली कोठी दरगाह में हुई थी, जहां नईम खान ने खुद को निगम का पार्षद बताकर परिचय दिया और काम में मदद करने का भरोसा दिलाया । शुरु में, यह परिचय सामान्य लग रहा था, लेकिन धीरे-धीरे पार्षद ने युवती को गलत मैसेज भेजने शुरू कर दिए और निकाह के लिए दबाव बनाना शुरू किया। जब युवती ने आपत्ति जताई, तो खान ने धमकियां दीं कि अगर वह नहीं मानी तो उसके परिवार को झूठे केस में फंसा दिया जाएगा । सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि पार्षद ने युवती से कहा था कि वह परिवार को बता दे कि “मैं तुम्हारे पिता की उम्र का हूं, और मैं तुम्हारा अंकल हूं” ।
बंधक बनाने की कहानी और पुलिस का रोल
मामला 4 सितंबर 2025 को शुरु हुआ जब युवती को कथित रूप से पार्षद के कार्यालय में बुलाया गया, जहां नईम खान और उनके साथियों ने मारपीट की और उसे 4 दिनों तक बंधक बनाकर रखा । शिकायत में दुष्कर्म के प्रयास और धमकियों के गंभीर आरोप शामिल थे। युवती 5 सितंबर को किसी तरह भाग निकली और भोपाल जाने के लिए बस में बैठ गई। इस बिंदु पर पार्षद के दबंगई तंत्र का प्रदर्शन हुआ। पार्षद के साथियों ने संगठित तरीके से रायसेन के पास बस रुकवाई, युवती को जबरन उतारा और सागर वापस ले आए। इस दौरान उसके कपड़े फाड़ने के भी गंभीर आरोप लगे ताकि वह भाग न सके । बस को दूसरे जिले के पास रुकवाकर एक युवती का अपहरण करना (जबरन उतारना) साधारण गुंडागर्दी नहीं थी। यह घटना बताती है कि एक स्थानीय पार्षद ने पुलिस के समानांतर एक निजी ‘दबाव तंत्र’ स्थापित कर रखा था, जिसका उपयोग वह अपने आपराधिक इरादों को पूरा करने के लिए कर रहा था। यह केवल व्यक्तिगत अनैतिकता नहीं थी, बल्कि स्थानीय प्रशासन पर जनप्रतिनिधि की अप्रत्यक्ष दबंगई का प्रदर्शन भी था, जिसने भाजपा संगठन पर त्वरित कार्रवाई का भारी दबाव बना दिया। युवती की मां ने कैंट थाने में शिकायत दर्ज कराई, और पुलिस ने नईम खान को फोन कर सख्ती दिखाई। इसके बाद युवती को छोड़ा गया, और उसने 16 सितंबर को एसपी कार्यालय में विस्तृत शिकायत दर्ज कराई ।
निकाह: एक राजनीतिक बीमा पॉलिसी
गंभीर आरोप सामने आने के बाद भाजपा में हड़कंप मच गया। जिला अध्यक्ष श्याम तिवारी ने तत्काल नईम खान को नोटिस जारी किया । कानूनी शिकंजे से बचने और पार्षद पद को बचाने के लिए खान ने आनन-फानन में निकाह करने का नाटकीय फैसला लिया। 62 वर्ष के नेता का यह निकाह, किसी प्रेम की अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि राजनीतिक पद के लिए एक ‘इंश्योरेंस पॉलिसी’ थी, जिसका उद्देश्य आपराधिक आरोप को ‘पारिवारिक मामला’ बताकर सामाजिक सुलह का जामा पहनाना था । खान ने विवाह को एक त्वरित समाधान के रूप में देखा, जिससे पार्टी को यह मौका मिल सके कि ‘समस्या’ अब कानूनी या राजनीतिक नहीं रही।
7 दिन की ‘शहदऔर शराब’ की कहानी: निकाह की असफलता
लेकिन नईम खान का यह राजनीतिक दांव महज सात दिनों में ही विफल हो गया। निकाह के बाद, युवती को पार्षद की बेरहम और शराबी प्रवृत्ति का सामना करना पड़ा। सबसे निर्णायक और चौंकाने वाला बयान तब सामने आया जब नईम खान ने कथित तौर पर अपनी नई पत्नी से कहा: “मैंने पार्षद पद बचाने के लिए तुमसे निकाह किया है, मुझे तुम्हारी कोई जरूरत नहीं।”। निकाह के 7 दिन बाद ही युवती ने पुलिस को शिकायत दर्ज करा दी । उसने आरोप लगाया कि नईम खान शराब पीकर उसके साथ बेरहमी से मारपीट करते थे और उसे प्रताड़ित करते थे। बताया गया कि खान ने अपनी इस नई बेगम को अपने कार्यालय में रखा हुआ था और रोजाना उसके साथ मारपीट कर रहे थे । शिकायत में पार्षद की पहली पत्नी, बहू और बेटी पर भी मारपीट और प्रताड़ना में शामिल होने के आरोप लगे। हालांकि सच यह है कि नईम खान का ‘पद बचाओ निकाह’ स्टंट में से सबसे कम चलने वाले राजनीतिक पैंतरा रहा। नईम अपनी पोजिशन बचाने के लिए किए गए ‘समझौते’ से 7 दिन भी बचाव नहीं कर पाए। उनकी राजनीतिक बुद्धि और नैतिक संयम दोनों की पोल खुल गई, जिससे संगठन के लिए असहजता की स्थिति पैदा हो गई।
निष्कासन बनाम भाजपा की अंदरूनी राजनीति और डैमेज कंट्रोल
नई बेगम द्वारा दोबारा शिकायत दर्ज होने के बाद “भाजपा संगठन भी असहज स्थिति में है” । पहली शिकायत को कानूनी तौर पर ‘निकाह’ के जरिए दबाने की कोशिश की गई थी, लेकिन दूसरी शिकायत (घरेलू हिंसा और मारपीट) ने यह साबित कर दिया कि समस्या पार्षद के व्यक्तिगत आचरण में इतनी गहरी थी कि वह थमने वाली नहीं थी। भाजपा, जो अक्सर नैतिकता और ‘चरित्रवान’ होने का दावा करती है, के लिए खान का मामला (दुष्कर्म के प्रयास से लेकर घरेलू हिंसा तक के आरोप) पार्टी की छवि के लिए सीधा खतरा था। पार्टी के सामने अब स्पष्ट विकल्प थे: एक विवादास्पद नेता को ढोना, विपक्ष को मुफ्त का मुद्दा देना, या तत्काल निष्कासन करके ‘जीरो टॉलरेंस’ का राजनीतिक संदेश देना। संगठन ने राजनीतिक मजबूरी और छवि को बचाने के लिए दूसरे विकल्प को चुना। यह कार्रवाई नैतिकता से अधिक राजनीतिक शुद्धिकरण की आवश्यकता से प्रेरित थी। जोसाबित करता है कि पार्टी केवल चुनावी सफलता के लिए नहीं, बल्कि सार्वजनिक आचरण के लिए भी नेताओं की सख्त निगरानी करना चाहती है, खासकर जब वे कमजोर वर्गों के साथ शक्ति का दुरुपयोग करते हैं।
निष्कासन के मायने
लगातार विवादों, पुलिस जांच और संगठन की बदनामी के कारण नईम खान को अंततः भाजपा से निष्कासित कर दिया गया। नईम खान ने अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के लिए अपने ही ‘बचाव कवच’ (निकाह) में छेद कर दिया, जिससे पार्टी को उन्हें राजनीतिक ‘कूड़ेदान’ में फेंकना पड़ा। संगठन ने स्पष्ट संदेश दिया कि वे किसी नेता के व्यक्तिगत अपराधों को तब तक बर्दाश्त कर सकते हैं, जब तक कि वह शांत रहे।
16/10/2025



