विवि: 157 टीचर्स की नौकरी पर संकट, सोशल मीडिया पर चली खबर !
चर्चाओं के अनुसार इन टीचर्स की नौकरी 15 नवंबर तक की रह गई

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सागर। डॉ. हरीसिंह गौर केंद्रीय विवि में साल 2013 सिलेक्ट हुए असिस्टेंट प्रोफेसर्स की नौकरी पर संकट! हाईकोर्ट ने विवि पर लगाई 5 लाख रु. की कास्ट। सोमवार को शहर-प्रदेश के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर वायरल इस मैसेज ने चर्चा का बाजार गरम कर दिया। विवि में पूर्व में संविदा एवं अतिथि शिक्षक के रूप में कार्यरत रहे शिक्षकों ने इस मैसेज को खूब वायरल किया। बताया जा रहा है कि यह खबर, अपराध शास्त्र विभाग में संविदा शिक्षक रहे डॉ. दीपक गुप्ता की पिटीशन से जुड़ी है। सागरवाणी ने उनसे चर्चा की। उन्होंने जवाब दिया कि, जब तक मुझे माननीय न्यायालय से अधिकृत रूप से आदेश की प्रति प्राप्त नहीं हो जाती है। मैं इस बारे में कुछ नहीं कह सकूंगा।
मैसेज के अनुसार, नवंबर तक रहेगी 157 टीचर्स की नौकरी
सोशल मीडिया पर वायरल मैसेज के अनुसार, डॉ. गुप्ता ने वर्ष 2022 में मप्र हाईकोर्ट में एक पिटीशन दाखिल की थी। जिसमें उन्होंने विवि प्रशासन पर आरोप लगाया था कि राष्टï्रपति की विजिटोरियल इन्क्वायरी कमेटी की अनुशंसा के विरुद्ध निवर्तमान कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने साल 2013 में नियमविरुद्ध भर्ती हुए 157 असिस्टेंट प्रोफेसर्स की नियुक्ति को कन्फर्म कराने का मसौदा ईसी से पास करा लिया। जबकि पूर्ववती कुलपति डॉ. आरपी तिवारी ने ईसी में मसौदा रखा था कि विजिटोरियल कमेटी की अनुशंसा अनुसार विज्ञापन में जारी पदों के लिए बुलाए गए सभी अभ्यर्थियों का पुन: इंटरव्यू लिया जाए। वायरल मैसेज के अनुसार हाईकोर्ट ने पिटीशनर के हक मेें फैसला सुनाते हुए विवि प्रशासन को 3 महीने के भीतर विज्ञापन में दिए गए पदों के लिए पुन: इंटरव्यू कराने का निर्देश दिया है। वहीं ईसी में मनमाने ढंग से प्रस्ताव रखने पर नाराजगी जताते हुए विवि प्रशासन पर 5 लाख रुपए की कास्ट भी लगाई है।
तत्कालीन कुलपति ने 79 पद के विरुद्ध कर डाली थीं 157 नियुक्तियां
भर्तियों से जुड़ा यह विवाद वर्ष 2013 का है। तत्कालीन कुलपति प्रो. एनएस गजभिए के कार्यकाल विवि प्रशासन ने असिस्टेंट प्रोफेसर्स के 79 पदों के लिए विज्ञापन निकाला था। लेकिन बाद में बगैर किसी विज्ञापन के कुल 157 पद पर नियुक्तियां कर दी गईं। इनमें कई विभाग तो ऐसे थे, जिनमें पद भी विज्ञापित नहीं किए गए थे। जब शिकवे-शिकायतें शुरु हुईं तो सीबीआई सक्रिय हुई। अपराध शास्त्र, बायो टेक्नोलॉजी एवं परफॉर्मिंग आर्ट्स की स्क्रूटिनी कमेटी के सदस्यों के खिलाफ एफआईआर हो गई। सीबीआई ने विवि प्रशासन को बताया कि आपके अन्य विभागों में भी इसी तरह से गलत नियुक्तियां हुई हैं। इधर वर्ष 2018 में यही सारे टीचर्स हाईकोर्ट के डबल बैंच पहुंचे। जहां इन लोगों ने अपनी नियुक्ति को कन्फर्म करने की मांग रखी। जिसे विवि द्वारा भर्ती में हुई खामियों संबंधी शपथ-पत्र के आधार पर हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। इसके बाद भर्तियों की गड़बड़ी का यह मामला महामहिम राष्ट्रपति एवं विवि के पदेन विजिटर के पास पहुंचा।
जवाब में राष्ट्रपति कार्यालय ने एक विजिटोरियल इन्क्वायरी कमेटी का गठन कर जांच शुरु करा दी। इस कमेटी ने जांच के बाद विवि के समक्ष चार विकल्प रखे। जिसमें पहला ये कि वह सभी नियुक्तियों को रद्द कर नए सिरे से भर्ती करे। दूसरा यह कि भर्ती किए टीचर्स को टेम्परेरी का दर्जा दे दे। तीसरा ये कि इन भर्तियों को लोकसभा में बिल लाकर पास कराए और आखिर में चौथा विकल्प ये कि विवि प्रशासन विज्ञापित पदों के लिए बुलाए गए सभी अभ्यर्थियों का पुन: साक्षात्कार कराए। तत्कालीन कुलपति डॉ. तिवारी के कार्यकाल में विवि प्रशासन ने चौथे विकल्प को स्वीकार करते हुए यह मसला ईसी में रखा। जो पास भी हो गया।
लेकिन विवि प्रशासन ने इसका पालन नहीं किया। उलटा साल 2022 पहले इन सभी टीचर्स की नियुक्ति को कन्फर्म कर दिया। जिसके बाद यह मामला हाईकोर्ट पहुंचा।
12/08/2025



