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पाकिस्तान में बकरीद पर कुर्बानी देने के आरोप में 36 लोग गिरफ्तार

पाकिस्तान में अहमदिया समुदाय उत्पीड़न का शिकार है। समुदाय के 36 सदस्यों को बकरीद पर जानवरों की कुर्बानी देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।

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पीटीआई-भाषा।  पाकिस्तान में अहमदिया समुदाय के 36 लोगों को ईद के मौके पर जानवरों की कुर्बानी देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। देश में अल्पसंख्यक समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले जमात-ए- अहमदिया के नेता आमिर महमूद ने इस तथ्य की पुष्टि की है। पाकिस्तान में अहमदिया समुदाय को गैर- मुस्लिम तबका घोषित किया गया है।                  अहमदियों के लिए सख्त कानून  पाकिस्तान में अहमदिया मुसलमानों के खिलाफ सख्त  कानून है कि अगर ये खुद को मुसलमान बताएंगे या उनके धर्म से जुड़ी गतिविधि करेंगे तो 3 साल तक की सजा होगी। पाकिस्तानियों का मानना है कि अहमदिया मोहम्मद साहब को आखिरी पैगंबर नहीं मानते और उनको आखिरी पैगंबर नहीं मानने वाला मुस्लिम नहीं है। जबकि, अहमदिया कहते हैं कि वो पैगंबर मोहम्मद को मानते हैं।                          क्यों निशाने पर है अहमदिया समुदाय                          अहमदिया समुदाय के लोग अन्य मुस्लिमों की तरह ही इस्लाम के पांच फर्ज मानते हैं। अहमदिया मुस्लिम धर्म के संस्थापक मिर्जा गुलाम अहमद थे और मौजूदा खलीफा मिर्जा मसरूर अहमद हैं। 1974 से ही पाकिस्तान में अहमदिया गैर मुस्लिम हैं, इनकी संपत्ति और इबादत स्थलों पर पाकिस्तान में हमले होते रहे हैं। हाल ही में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में अहमदियाओं की 17 कब्रों को तोड़ दिया गया था।

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पाक में  अहमदिया निशाने पर    क्यों हैं ?                             पाकिस्तान में अहमदियाओं पर अत्याचार की सबसे बड़ी वजह उनकी धार्मिक आस्था है। अहमदिया एक धार्मिक आंदोलन है, जो 19वीं सदी के अंत में भारत में आरम्भ हुआ था। इसकी शुरुआत मिर्जा गुलाम अहमद (1835-1908) ने शुरू किया था। अहमदिया आंदोलन के अनुयायी गुलाम अहमद (1835-1908) को पैगंबर मोहम्मद के बाद एक और पैगम्बर (दूत) मानते हैं, जबकि इस्लाम में मोहम्मद ही खुदा के भेजे हुए अन्तिम पैगम्बर माने जाते हैं। अहमदिया इस्लाम से अलग हुआ एक संप्रदाय माना जाता है। मुसलमान इस समुदाय को काफिर कहता है।

संविधान में भी गैर-मुस्लिम           पाकिस्तान के संविधान में अहमदिया मुसलमानों को मुस्लिम माना ही नहीं गया है, बल्कि यह खुद को मुस्लिम मानते हैं। उन्हें अल्पसंख्यक गैर-मुस्लिम धार्मिक समुदाय का दर्जा दिया गया है और पाकिस्तान ने संविधान संशोधन के जरिए इन्हें गैर-मुस्लिम घोषित किया था। यहां तक कि इन्हें मस्जिदों में भी जाने की मनाही है। यहां तक कि वे अपने प्रार्थना स्थलों पर मीनार नहीं बना सकते पाकिस्तान में अहमदिया समुदाय के लगभग 5 लाख लोग रहते हैं। (भाषा)   20/06/2024

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