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विवि: इस बार पूछ कर कुलपति ऑफिस पहुंचे डॉ. प्रधान, गोरखपुरियों में घबराहट !

विवि प्रशासन ने सर्टिफाइड कॉपी ली, हाईकोर्ट जबलपुर के आदेश के पालन में क्यों देरी कर रहा है विवि प्रशासन ?

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सागर। डॉ. हरीसिंह गौर केंद्रीय विवि प्रशासन मप्र हाईकोर्ट को उस आदेश की सर्टिफाइड कॉपी मिल गई है। जिसमें जस्टिस संजय द्विवेदी के कोर्ट ने पूर्व रजिस्ट्रार डॉ. रन्जन कुमार प्रधान को पुनः नियुक्ति देने का आदेश पारित किया था।

विविः पूर्व रजिस्ट्रार डॉ. प्रधान को सिक्योरिटी गार्ड ने ऑफिस में नहीं घुसने दिया

जानकारी के अनुसार डॉ. प्रधान स्वयं ही बुधवार को इस आदेश की कॉपी विवि प्रशासन को सौंप आए। हालांकि उन्हें विवि प्रशासन से पहले लिखित में ये पूछना पड़ा कि क्या मैं कुलपति ऑफिस आ सकता हूं ? उन्होंने इस आशय का एक ई- मेल विवि प्रशासन को बुधवार दोपहर करीब 12 बजे किया। जिसका जबाव दोपहर 3 बजे आया कि आप सांय 4 बजे कार्यालय आ सकते हैं। यहां बता दें कि पिछली दफा जब डॉ. प्रधान कोर्ट का ये आदेश लेकर मेन ऑफिस गए थे तो उन्हें गार्ड ने  प्रवेश नहीं करने दिया था। अपनी इस बेइज्जती से आहत  पूर्व रजिस्ट्रार डॉ. प्रधान ने इस दफा विवि प्रशासन से पूछकर ही ऑफिस आने में बेहतरी समझी।

दिल्ली में भी चल रहा है मनन !

आदेश की कॉपी मिलने के बाद अब गेंद विवि प्रशासन के पाले में है। सामान्यतः इस केस में अब तक निर्णय हो जाना चाहिए था लेकिन विवि के कतिपय अधिकारी अपने भावी संकटों को भांपते हुए इसे ” लिंगर ऑन” किए है। इसी कड़ी में आदेश की एक कॉपी शिक्षा मंत्रालय, शास्त्री भवन, नई दिल्ली को भी मेल की गई है ताकि वहां से मार्गदर्शन लिया जा सके। बताया जा रहा है कि शिक्षा मंत्रालय से जवाब मिलने पर ही इस मामले में निर्णय लिया जाएगा।

गुट विशेष को “गोरख” धंधे बंद होने का डर

चर्चाओं के अनुसार विवि में मय भाई-बंधु  और लगते- भगते रिश्तेदारों के यहां जमे एक अधिकारी के गुट्ट विशेष में डॉ. प्रधान की वापसी के बाद खासी सुगबुगाहट है। बीते दिसंबर में आधी- अधूरी कागजी कार्रवाई के एक बड़ा ठेका हुआ है। जिसका मेन कर्ता-धर्ता मकरोनिया में एक विविकर्मी का किरायदार है।  कुछ और भी “गोरख” धंधे हैं। जिन पर आंच आने का डर है। इसलिए भी इस मामले को अटका कर कानूनी तोड़ ढूंढने की कोशिशें हो रही हैं। 

06/06/2024

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