सागरवाणी इम्पैक्ट: विवि ने जारी किया रजिस्ट्रार पद के इंटरव्यू का नोटिफिकेशन, अब कुलपति पर आरोप
एक दिन पहले ही सागरवाणी ने खुलासा किया था कि विवि प्रशासन गुप-चुप इंटरव्यू करने की फिराक में है

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सागर। डॉ.हरीसिंह गौर केंद्रीय विवि में विभिन्न पदों की भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं। इसी कड़ी में सागरवाणी ने मंगलवार के अंक में पूर्व रजिस्ट्रार डॉ. आरके प्रधान के हवाले से एक खबर का प्रकाशन किया था।
इसमें बताया गया था कि विवि गुप-चुप तरीके से रजिस्ट्रार के पद के लिए इंटरव्यू करने की फिराक में है। डॉ. प्रधान का आरोप था कि विवि प्रशासन एक ओर शैक्षणिक पदों से संबंधित प्रक्रिया को तो सार्वजनिक कर रहा है लेकिन इस इकलौते पद को लेकर जानकारी छिपा रहा है। मंगलवार को विवि प्रशासन ने स्वयं ही सागरवाणी की खबर पर मुहर लगाते हुए रजिस्ट्रार के लिए इंटरव्यू का नोटिफिकेशन सार्वजनिक कर दिया। हालांकि विवि प्रशासन के जिम्मेदार इसमें भी अपनी-अपनी कलम बचाते नजर आ रहे हैं। जिसका सुबूत ये है कि नोटिफिकेशन में उसे जारी करने की तारीख गायब है।
26 को होंगे इंटरव्यू, 13 अभ्यर्थियों को आमंत्रित किया
नोटिफिकेशन के अनुसार, विवि प्रशासन ने रजिस्ट्रार के इंटरव्यू के लिए 26 जून तय की है। कुल 13 अभ्यर्थियों को इंटरव्यू के लिए पात्र पाया गया है। चर्चाओं के अनुसार इन सभी को इंटरव्यू कॉल पहले ही मिल चुके हैं। इंटरव्यू की प्रक्रिया गुरुवार दोपहर 3 बजे से शुरु होगी। उम्मीद जताई जा रही है कि सभी अभ्यर्थियों के उपस्थित होने पर यह प्रक्रिया देर शाम तक चलेगी।
अभ्यर्थियों को ताकीद किया गया है कि वह अपने योग्यता संबंधी दस्तावेज भी साथ लेकर आएं। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें साक्षात्कार में शामिल होने का अवसर नहीं दिया जाएगा।
पूर्व रजिस्ट्रार ने एक और शिकायत की, अब कुलपति पर लगाया आरोप
रजिस्ट्रार के पद से निष्कासित डॉ. प्रधान के शिकवे-शिकायतों का दौर खत्म नहीं हो रहा है। वे रजिस्ट्रार के पद के लिए आयोजित भर्ती प्रक्रिया में धांधली व कतिपय अभ्यर्थियों की योग्यता पर लगातार सवाल उठा रहे हैं।
हाल ही में उन्होंने महामहिम राष्ट्रपति एवं विवि विजिटर से लेकर कुलपति डॉ. नीलिमा गुप्ता से इस प्रक्रिया से जुड़ा शिकायती पत्र भेजा था। अब उन्होंने एक और शिकायती पत्र, राष्ट्रपति, शिक्षा मंत्री, शिक्षा सचिव, ईसी मेंबर्स समेत अन्य को भेजा है। जिसमें उन्होंने इस दफा कुलपति एवं इस पद की चयन समिति की अध्यक्ष डॉ. गुप्ता को ही लपेट लिया है। डॉ. प्रधान ने इस 11 पेज के शिकायती पत्र के कुछ अखबारों की कटिंग भी संलग्न की हैं। जिनमें विवि की कथित गड़बड़ियों संबंधी समाचार प्रकाशित हुए हैं। कुलपति के संदर्भ में डॉ. प्रधान ने आरोप लगाया है कि चयन समिति की अध्यक्ष वित्तीय अनियमितताओं के संलिप्त हैं। इसके लिए उन्होंने पिछले दिनों उजागर हुए सीपीएफ एकाउंट कांड और उसमें 17 लाख ट्रांसफर होने का हवाला दिया है।
कुलपति के कार्यकाल में हुई शैक्षणिक-अशैक्षणिक भर्तियों में हुए विवाद और कोर्ट केस का जिक्र भी किया है। जनचर्चाओं के हवाले से डॉ. प्रधान ने दावा किया है कि कुलपति के कार्यकाल में विवि की 80 प्रतिशत नियुक्तियों में अयोग्य व्यक्तियों को उपकृत किया गया। भली-भांति जानकारी होने के बावजूद कुलपति महोदया, साहित्यिक चोरी के आरोप में घिरे प्रोफेसर पर कार्रवाई नहीं कर रहीं, उलटा उन्हें प्रमोट कर दिया। पत्र के एक पैराग्राफ में डॉ. प्रधान ने स्वयं को इस पद के योग्य बताते हुए अपनी अकादमिक व प्रशासनिक उपलब्धियों का बखान किया है।
आधारहीन आरोप लगाकर मीडिया ट्रायल करना ठीक नहीं
ताजा शिकायत के आरोप-प्रत्यारोप को लेकर विवि के पीआरओ डॉ. विवेक जायसवाल का कहना है कि जानकारी के अनुसार डॉ. प्रधान की अपील माननीय सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। जिसमें कुलसचिव पद के विज्ञापन एवं साक्षात्कार को लेकर कोई भी अंतरिम या स्थगन आदेश नहीं है। उनकी स्वयं की नियुक्ति को लेकर जो प्रश्न थे उस पर विवि ने विधि अनुसार निर्णय लिया है जिसे माननीय उच्च न्यायालय ने भी सही माना है। तमाम अन्य आरोपों को लेकर जो शिकायत की गई है वह आधारहीन हैं। ऐसे आरोप लगाकर मीडिया ट्रायल किया जाना उचित नहीं है।
24/06/2025



