रजिस्ट्रार की भर्ती प्रक्रिया में विवि प्रशासन कर रहा है धांधली, राष्ट्रपति से पूर्व रजिस्ट्रार डॉ. प्रधान ने की शिकायत
विवि के वर्तमान प्रभारी रजिस्ट्रार एसपी उपाध्याय और पूर्व प्रभारी रजिस्ट्रार डॉ. संतोष सोहगरा की उम्मीदवारी पर भी सवाल उठाया।


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सागर। चर्चा है कि डॉ. हरी सिंह गौर केंद्रीय विवि के रजिस्ट्रार के पद के लिए अगले 72 घंटे में इंटरव्यू हो सकते हैं। इस बीच विवि से हटाए गए पूर्व रजिस्ट्रार डॉ. आरके प्रधान ने विवि के कुलपति से लेकर विजिटर एवं देश के राष्ट्रपति तक एक शिकायती चिट्ठी भेजी है जिसमें उन्होंने भर्ती प्रक्रिया पर आपत्ति लेते हुए इसे अवैध एवं अनियमिततापूर्ण बताया है। उनका कहना है कि जब ये पद माननीय सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है तो फिर इसे भरने में जल्दबाजी क्यों की जा रही है। डॉ. प्रधान ने विवि प्रशासन को इस भर्ती को लेकर लिखे आपत्ति- पत्रों का जवाब नहीं देने से लेकर इंटरव्यू के लिए शार्ट- लिस्टेड विवि के वर्तमान प्रभारी रजिस्ट्रार एसपी उपाध्याय और पूर्व प्रभारी रजिस्ट्रार डॉ. संतोष सोहगरा की उम्मीदवारी पर भी सवाल उठाया है।
उनका कहना है कि ये दोनों इस पद के लिए निर्धारित योग्यताएं पूरी नहीं करते हैं। इसके अलावा एक ओर विवि प्रशासन, शैक्षणिक पदों पर भर्ती के लिए इंटरव्यू की तारीखें सार्वजनिक कर रहा है वहीं रजिस्ट्रार के इंटरव्यू की तारीख को गोपनीय रखा जा रहा है।
जानकारी के लिए बता दें कि डॉ. प्रधान ने विवि के रजिस्ट्रार के पद से अपने निष्कासन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इस मामले में विवि के पीआरओ डॉ. विवेक जायसवाल का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने उक्त पद पर भर्ती को लेकर कोई दिशा-निर्देश नहीं दिया है। इसलिए विवि यह प्रक्रिया करने के लिए स्वतंत्र है। शिकायतकर्ता को आपत्ति है तो वे इस संदर्भ में कोर्ट को अवगत करा सकते हैं। इंटरव्यू दिनांक सार्वजनिक है।
ये है डॉ. प्रधान की चिट्ठी का मज़मून
कुलपति महोदया,
कृपया रजिस्ट्रार के पद के लिए 14.01.2025 को जारी अपने भर्ती विज्ञापन और उसके बाद 12.02.2025 को जारी नोटिस का संदर्भ लें, जिसके तहत आवेदन की अंतिम तिथि 24.02.2025 तक बढ़ा दी गई थी और हार्ड कॉपी 03.03.2025 तक पहुंचनी थी। कृपया मेरे दिनांक 01.02.2025, 25.02.2025 और 28.04.2025 के पत्रों और दिनांक 16.05.2025 के मेल का संदर्भ लें, जिसमें अनुरोध किया गया है कि मामले के माननीय सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष विचाराधीन होने के कारण भर्ती प्रक्रिया को स्थगित रखा जाए। हालाँकि, इस संबंध में विश्वविद्यालय की ओर से मुझे कोई पत्राचार नहीं किया गया है। अब विश्वविद्यालय की वेबसाइट से यह फिर से देखा गया है कि शॉर्टलिस्ट किए गए उम्मीदवारों को 10.06.2025 को साक्षात्कार कॉल लेटर जारी किए गए हैं। रजिस्ट्रार पद के लिए साक्षात्कार की तारीख का उल्लेख नहीं किया गया है, जबकि 23-25 जून 20025 के दौरान होने वाले अन्य सभी शिक्षण पदों के लिए साक्षात्कार की तारीख का उल्लेख किया गया है। साथ ही मैंने अपने पत्र में दो आंतरिक अयोग्य उम्मीदवारों की शॉर्ट-लिस्टिंग के बारे में उल्लेख किया है और कहा है कि साक्षात्कार गुप्त रूप से किया जा रहा है।
जैसा कि आप जानते हैं, अब तक की भर्ती प्रक्रिया स्पष्ट रूप से निम्नलिखित आधारों पर बड़े पैमाने पर अनियमितताओं और अवैधानिकताओं से भरी है:
1. जैसा कि आप भली-भांति जानते हैं, रजिस्ट्रार का पद दिसंबर 2023 से विचाराधीन है, आवेदकों की जानकारी के लिए 14.01.2025 के विज्ञापन में इसका उल्लेख नहीं किया गया है और विश्वविद्यालय से बाद में प्राप्त संचार से भी यह पता नहीं चलता है कि मामला विचाराधीन है। वर्तमान में रजिस्ट्रार का पद विशेष अनुमति याचिका संख्या 2376/2025 के तहत विचाराधीन है, जिसके लिए आपको पर्याप्त रूप से नोटिस जारी किया गया है और उसकी तामील की गई है। यह आवेदकों से तथ्यों को जानबूझकर छिपाने के समान है।
2. अपने पत्र दिनांक 28.04.2025 में मैंने उल्लेख किया है कि विज्ञापन और भर्ती प्रक्रिया अवैध है और भर्ती प्रथा के अनुरूप नहीं है क्योंकि इसमें आवेदन जमा करने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया है, भर्ती प्रक्रिया में आंतरिक आवेदक एसपी उपाध्याय की भागीदारी, नियमित रजिस्ट्रार के रूप में उनके द्वारा दस्तावेजों पर हस्ताक्षर, दो आंतरिक उम्मीदवार संतोष सहगोरा और उपाध्याय के पास भर्ती नियम के अनुसार आवश्यक योग्यता नहीं है और जांच समिति इन दो उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट करने के प्रति पक्षपाती है, आदि।
3. सक्षम प्राधिकारी जानबूझकर विशेष अनुमति याचिका संख्या 2376/2025 का जवाब देने में देरी कर रहे हैं, जबकि जल्दबाजी में भर्ती प्रक्रिया जारी है। जिसका सुबूत ये है कि –
-2022 में, रजिस्ट्रार पद 02.02.2022 को विज्ञापित किया गया और 19.12.2022 (11 महीने) को जांच के बाद साक्षात्कार आयोजित किया गया। उस समय सोहगोरा प्रभारी रजिस्ट्रार और कुलपति प्रोफेसर नीलिमा गुप्ता थीं।
– 2025 में, रजिस्ट्रार पद 14.01.2025 को विज्ञापित किया गया और जल्दबाजी में जून 2025 (5 महीने) में साक्षात्कार आयोजित करने का प्रस्ताव दिया गया। इस बार एसपी उपाध्याय प्रभारी रजिस्ट्रार के रूप में कार्यरत हैं और कुलपति प्रोफेसर नीलिमा गुप्ता हैं। चूंकि उपाध्याय कुलपति की सहमति से पूर्णतः कार्यकरी प्रभारी रजिस्ट्रार हैं, इसलिए नियमित रजिस्ट्रार के पद को भरने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि कुलपति तीन महीने के भीतर अपना कार्यकाल पूरा कर लेंगी तथा नए कुलपति के शीघ्र ही कार्यभार ग्रहण करने की संभावना है। जबकि इस पद के लिए विज्ञापन पहले ही दिया जा चुका है। वर्तमान में मामला न्यायालय में विचाराधीन है। ऐसे में विश्वविद्यालय रजिस्ट्रार पद की जल्दबाजी में भर्ती कर जानबूझ के सर्वोच्च न्यायालय में उपस्थित होने से बच रहा है।
4. जैसा कि आप जानते हैं, महोदया, उपरोक्त में से कोई भी एक आधार पूरी भर्ती प्रक्रिया को ऊपर उल्लिखित व्यापक अनियमितताओं और हेरफेर के कारण शून्य और अमान्य घोषित करने के लिए पर्याप्त है। आज तक विश्वविद्यालय ने मुझे मेरे पत्र दिनांक 01.02.2025, 25.02.2025 और 28.04.2025 और मेल दिनांक 16.05.2025 पर अपना निर्णय नहीं बताया है कि क्या विशेष अनुमति याचिका संख्या 2376/2025 के अंतिम परिणाम तक भर्ती रोक दी जाएगी। इसलिए अनुरोध है कि इस भर्ती प्रक्रिया को तुरंत रद्द कर दिया जाए या यदि आवश्यक हो तो विशेष अनुमति याचिका संख्या 2376/2025 के परिणाम के बाद शुरू किया जाए इस संबंध में सक्षम प्राधिकारी के निर्णय से मुझे तत्काल अवगत कराया जाए। विश्वविद्यालय के कुलसचिव चयन से पहले एक खास मुलाक़ात और प्रशंसा चर्चा बनी चर्चा का विषय
20 जून 2025 को सागर स्थित डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय में दीक्षांत समारोह का आयोजन हुआ, जिसमें प्रसिद्ध आध्यात्मिक संत स्वामी रामभद्राचार्य को मानद डी.लिट. (D.Litt.) उपाधि से सम्मानित किया गया। वे समारोह के मुख्य अतिथि भी थे। दीक्षांत के बाद स्वामी जी का विश्वविद्यालय के प्रशासनिक अधिकारी के निवास पर भोजन हेतु जाना, अब विभिन्न हलकों में चर्चा का विषय बनता जा रहा है। यह वही अधिकारी हैं जो 26 जून को प्रस्तावित कुलसचिव पद के साक्षात्कार में एक उम्मीदवार के रूप में शामिल होने जा रहे हैं।सूत्रों से मिल रही अपुष्ट जानकारी के अनुसार, कुछ लोग दावा कर रहे हैं कि स्वामी जी ने कथित तौर पर अधिकारी के कार्यों की सराहना की और शायद उनके नाम की सिफारिश भी की। लेकिन सवाल ये है कि क्या वास्तव में ऐसी कोई सिफारिश हुई? क्या यह सिर्फ सामान्य शिष्टाचार के तहत की गई भेंट थी या इसके पीछे कोई संदेश छिपा है? क्या इस तरह की मुलाक़ातों और अनौपचारिक चर्चाओं का प्रभाव चयन प्रक्रिया पर पड़ सकता है? और सबसे अहम, क्या इन दावों का कोई ठोस प्रमाण मौजूद है? अब जब कि विश्वविद्यालय के उच्च प्रशासनिक पद के लिए चयन प्रक्रिया नज़दीक है, क्या ऐसे समय में इस प्रकार की मुलाकातें और संभावित प्रशंसाएं चयन की निष्पक्षता पर प्रश्नचिह्न नहीं खड़े करतीं ? हालांकि विश्वविद्यालय या स्वयं स्वामी जी की ओर से इस विषय पर कोई आधिकारिक पुष्टि या बयान अब तक सामने नहीं आया है, फिर भी यह मामला अब पारदर्शिता, निष्पक्षता और नैतिकता के नजरिए से ध्यान देने योग्य बन गया है। क्या विश्वविद्यालय इस विषय में किसी तरह की सफाई देगा ?
क्या यह केवल संयोग है या कुछ और ?
23/06/2025



