पुरानी डफरिन अस्पताल परिसर में मरे मिले चमगादड़, प्रचंड गर्मी का असर !
पौधे व पेड़ों के बीज दूसरी जगह रोपने में महत्वपूर्ण भूमिका


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सागर। सोमवार को इस सीजन का सबसे गरम दिन रहा। पारा 45 डिग्री सेल्सियस के पार रहा। बढ़ी हुई गरमी का असर आम जनजीवन के अलावा पशु-पक्षियों पर भी देखने मिला। जिसका उदाहरण पुरानी डफरिन अस्पताल परिसर में पड़े चमगादड़ के शव थे। आसपास के लोगों के अनुसार दोपहर के बाद परिसर में करीब दर्जन भर चमगादड़ के शव देखे गए। जानकारों के अनुसार चमगादड़ तेज गरमी सहन नहीं कर पाए और पानी की कमी के चलते उनकी मौत हो गई। हालांकि इस घटनाक्रम का एक पहलू ये भी है कि ये जीव सामने स्थित लाखा बंजारा झील से पानी की आपूर्ति कर लेते हंै। लेकिन लगता है कि, गर्मी के चलते हीट स्ट्रोक का शिकार हो गए हैं। 
पौधे व पेड़ों के बीज दूसरी जगह रोपने में महत्वपूर्ण भूमिका
चमगादड़ भारत समेत दुनिया भर में पेड़ों की संख्या बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उष्ण कटिबंधीय इलाकों के पेड़-फूल परागण व अपने बीजों को फैलाने के लिए चमगादड़ प्रजातियों पर निर्भर करते हैं। वहीं कुछ प्रजातियों के चमगादड़ कीटों को खाकर उन्हें नियंत्रित करने में मदद करते हैं। जिससे किसानों के कीट नियंत्रण रसायनों पर हजारों रुपये बचाते हैं। पक्षी विशेषज्ञों के अनुसार चमगादड़ विशेष रूप से गर्मी के प्रति संवेदनशील होते हैं, क्योंकि वे मनुष्यों की तुलना में दो डिग्री सेल्सियस अधिक तापमान महसूस करते हैं। उदाहरण के लिए अगर तापमान 44 से 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है, तो चमगादड़ों को 46 से 47 डिग्री महसूस होता है। सुलभ जल स्रोतों की कमी के कारण उनकी परेशानी और बढ़ जाती है, जिससे हीट स्ट्रोक की समस्या उत्पन्न होती है।
पेड़ों के नीचे जमीन को नम रखकर मौतें बचाई जा सकती हैं
प्राणी शास्त्रियों के अनुसार चमगादड़ों को मरने से बचाने के लिए पेड़ों के नीचे के क्षेत्रों को नम रखा जाना चाहिए तथा उनमें पानी भरा जाना चाहिए ताकि इन जानवरों को भीषण गर्मी से कुछ राहत मिल सके। मप्र समेत पूरे दक्षिण एशिया में अधिकांशत: चमगादड़ की एक ही प्रजाति पाई जाती है। जो फूलों का रसपान और फल खाती है। उनका यह गुण आगे जाकर बीजों को यहां-वहां बिखराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह बड़ी विडंबना है कि इनको लेकर बहुत कम शोध कार्य हो रहे हैं। यहां तक कि इस प्रजाति को आईयूसीएन रेड लिस्ट में ‘सबसे कम चिंताजनक’ के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, जिसका अर्थ है कि यद्यपि इसकी आबादी घट रही है, फिर भी यह जंगल में प्रचुर मात्रा में हैं। 
09/06/2025



