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ब्रेकिंग न्यूज: स्मार्ट सिटी से लोधी बंधुओं की सड़कों के टेंडर निरस्त, फर्म्स भी ब्लैक लिस्टेड

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सागर। सागर स्मार्ट सिटी कंपनी लिमिटेड ने शहर की 6 अलग-अलग सड़कों के टेंडर निरस्त कर दिए हैं। ये वही टेंडर हैं, जिन्हें बीते अप्रैल में मेसर्स राजेंद्र लोधी और उनके भाई अजय लोधी की फर्म मेसर्स अजय बिल्डकॉन को दिए गए थे। इसके साथ ही दोनों फर्म्स को ब्लैक लिस्टेड भी कर दिया गया है। इन टेंडर्स को लेकर पिछले महीने एक अन्य ठेकेदार फर्म त्वमेव कंस्ट्रक्शन एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर ने कमिश्नर वीरेंद्रसिंह रावत से की थी। जिसके बाद उन्होंने इस शिकायत की जांच सागर स्मार्ट सिटी कंपनी लिमिटेड के चेयरमैन एवं कलेक्टर संदीप जीआर को दी थी। कलेक्टर ने यह जांच जिला पंचायत सीईओ विवेक केवी की तीन सदस्यीय टीम से कराई थी। जानकारी के अनुसार बीते दिनों इस जांंच रपट को स्मार्ट सिटी कंपनी की बोर्ड मीटिंग में रखा गया। मीटिंग में स्मार्ट सिटी कंपनी पदेन सीईओ और नगर निगम कमिश्नर राजकुमार खत्री समेत अन्य इंजीनियर्स, सीएस व फाइनेंस ऑफिसर मौजूदगी में उपरोक्त निर्णय लिए गए।

टेंडर प्रक्रिया के नियमों को दरकिनार कर चुनिंदा फर्म को दिए ठेके

जांच रिपोर्ट के अनुसार, मेसर्स राजेंद्रसिंह लोधी और अजय बिल्डकॉन को जिन 6 सड़कों के ठेके दिए गए हैं। उनमें टेंडर नियमों की जमकर अवहेलना की गई। स्थिति ये हो गई कि अलग-अलग समय पर निकले इन टेंडर में पर्याप्त संख्या में दूसरे ठेकेदार फर्म भी शामिल हुए। लेकिन किसी को भी ठेका नहीं दिया गया। हर बार लोधी बंधुओं की फर्म को ही ठेके मिलते रहे। रिपोर्ट के अनुसार टेंडर कमेटी ने इसके लिए दूसरी फर्मों के टेंडर प्रपत्रों में कई तरह की तकनीकी व व्यवहारिक कमियां निकालीं। उदाहरण के लिए किसी एक सड़क के लिए एक फर्म मेसर्स पुष्पेंद्र ठाकुर कंस्ट्रक्शन ने जब टेंडर में भाग लिया तो इकलौती पार्टिसिपेटर बताकर टेंडर प्रक्रिया निरस्त कर दी। फर्म को बताया गया कि प्रतिस्पर्धा के लिए एक से अधिक फर्म होना आवश्यक है। जबकि एक अन्य टेंडर में जब लोधी बंधुओं की फर्म इकलौती निकली यानी उसकी प्रतिस्पर्धा में कोई दूसरी फर्म नहीं थी। तब कंपनी ने इस नियम को दरकिनार कर लोधी बंधुओं की फर्म को वर्क ऑर्डर जारी कर दिया।

चहेती फर्म्स को उपकृत करने नियमों को तोड़ा-मरोड़ा

जांच रिपोर्ट में यह स्पष्टï हुआ है कि लोधी बंधुओं को ठेका देने के लिए कई हथकंडे अपनाए गए। जैसे कि, जिन कामों के लिए एक से अधिक ठेकेदार फर्मों ने रुचि दिखाई तो उसमें अचानक से शुद्धि-पत्र (कोरिजेंडम) लगा दिया गया। यानी ठेके शर्तों या काम की प्रकृति को बदल दिया गया। जिसके बारे में बहुत कम समय के लिए ऑनलाइन सूचना प्रकाशित की गई। नतीजतन चहेती फर्म ने समय रहते अपने टेंडर में शुद्धि पत्र के अनुसार सुधार कर लिया गया। जबकि बाकी फर्म को इस बारे में जानकारी ही नहीं मिल पाई। इतना ही नहीं जिन फर्मों के टेंडर तकनीकी आधार पर अस्वीकृत किए गए। उन्हें इस बारे में कभी भी विधिवत जानकारी नहीं दी गई। जबकि पूर्व के वर्षों में जिस किसी फर्म का टेंडर अस्वीकृत होता था तो उसके इसके बारे में विस्तृत जानकारी ई-मेल या अन्य माध्यमों से दी जाती थी।  

ट्रांसपोर्ट नगर बनाने को मान लिया सड़क बनाने की योग्यता

जांच रिपोर्ट में बताया गया कि लोधी बंधुओं ने सड़कों के टेंडर के लिए अपने अनुभव वाले कॉलम में बताया कि, हमारी फर्म ट्रांसपोर्ट नगर बना चुकी है। जबकि यह काम शहर की सड़कें बनाने से काफी अलग था। लेकिन टेंडर कमेटी ने इस पर ध्यान नहीं दिया। किसी एक फर्म ने अपने बैंक द्वारा जारी गारंटी या क्रेडिट प्रपत्र में उल्लेखित काम का सही तरह से उल्लेख नहीं किया था तो उसका टेंडर फार्म निरस्त कर दिया गया। जबकि नियमानुसार इस बारे में फर्म को बताया जाना चाहिए था। कतिपय फर्म्स को उपकृत करने के लिए इन 6 सड़कों के टेंडर प्रपत्र में नए-नए संशोधन किए गए। टेंडर को ऐसे डिजाइन किया गया ताकि उपकृत होने वाली फर्म की फाइनेंसियल वर्क लिमिट आड़े नहीं आए। ऐसे करने के लिए स्मार्ट सिटी की सड़कों के फेज के अनुसार, सड़कों का पूल आधारित टेंडर नहीं कर उन्हें टुकड़ों-टुकड़ों में किया गया।

पोर्टल के अनुसार टेंडर प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव रहा

जांच रिपोर्ट के अनुसार, टेंडर प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव रहा। किसी भी ऑनलाइन टेंडर के लिए न्यूनतम 30 दिन का विंडो पीरियड होना चाहिए। लेकिन चुनिंदा टेंडर में इस समय सीमा का मनमाफिक उपयोग किया गया। कुछ दफा यह प्रक्रिया चंद दिनों के भीतर ही समेट दी गई। नियमानुसार प्रत्येक टेंंडर के प्रपत्र खरीदी दिनांक से किसी भी तारीख को प्री-बिड मीटिंग बुलाई जाना चाहिए। लेकिन स्मार्ट सिटी ने यह परंपरा ही खत्म कर दी। इसका नतीजा यह हुआ कि चहेती ठेकेदार फर्मों के अलावा अन्य को टेंडर की तकनीकी जानकारी मिल ही नहीं पाई। बाद में इसी को आधार बनाकर उनके ऑफर निरस्त कर दिए गए। जब कभी भी टेंडर की डेट आगे बढ़ाने का उपक्रम किया गया तो उसका उल्लेख कंपनी की नोटशीट पर नहीं किया गया और न ही इस बारे में उच्चाधिकारियों को अवगत कराया गया।

यूएडीडी और जीएडी को जांच रपट और अनुशंसा भेजी

स्मार्ट सिटी कंपनी ने बोर्ड मीटिंग में उपरोक्त शिकायत और उसकी जांच रपट के नतीजे मय अनुशंसा के संभागीय आयुक्त रावत को भेज दिए हंै। जिसे उन्होंने आयुक्त, नगरीय विकास एवं आवास विभाग तथा सामान्य प्रशासन विभाग को फॉरवर्ड कर दिया है। इसके अलावा टेंडर प्रक्रिया में शामिल रहे स्मार्ट सिटी के इंजीनियर्स समेत अन्य स्टाफ को शो-कॉज नोटिस दिए गए हैं। चर्चाओं के अनुसार इस मामले में स्मार्ट सिटी कंपनी के सीईओ राजकुमार खत्री पर कार्रवाई की गाज गिर सकती है। लोधी बंधुओं की फर्म्स के निरस्त किए गए टेंडर्स में अब तक कितना काम हुआ है। उसके बारे में कंपनी के ईई और सीएफओ से रिपोर्ट बनाने कहा गया है। जल्द ही इन सड़कों के नए सिरे से टेंडर जारी हो सकते हैं। 

06/06/2025

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