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सागर। काले हिरण के 9 साल पुराने चर्चित शिकार मामले में कोर्ट का फैसला आ गया है। इस मामले में शुक्रवार को न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी रहली, जिला न्यायालय सागर नितिन वर्मा ने फैसला सुनाया। जिसके अनुसार अभियोजन पक्ष, आरोपी मेहमूद खान, रमीज खान, शेख गफ्फार और मोहम्मद शहजाद के खिलाफ आरोपों को संदेह से परे प्रमाणित करने में असफल रहा। आरोपी पक्ष की तरफ से पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता केशवप्रसाद दुबे और हरिकांत पांडे ने की।
बता दें कि 10 जनवरी 2016 को वन विभाग की ढाना रेंज के तहत बेबस नदी के किनारे पूर्व रंजी खिलाड़ी मेहमूद खान और उनके बेटे रमीज खान व दो अन्य आरोपी शेख गफ्फार व मोहम्मद शहजाद को दो बाइक समेत पकड़ा गया था। तत्कालीन प्रोवेशनर डीएसपी मोनिका तिवारी, जो उस समय सानौधा थाने की इंजार्च थी। उन्होंने इन चारों को काले हिरण के मांस व अन्य अवयवों समेत मय हथियार के गिरफ्तार किया था।
भारतीय वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की विभिन्न धाराओं से जुड़ा होने के कारण उन्होंने यह प्रकरण दक्षिण वन मंडल के सुपुर्द कर दिया था। बचाव पक्ष के एड. दुबे के अनुसार देहरादून एफएसएल से रिपोर्ट के अनुसार जब्त मांस काले हिरण का ही था लेकिन अभियोजन पक्ष यह साबित करने में असफल रहा कि उक्त शिकार हमारे पक्षकारों ने किया था।
एड. दुबे के अनुसार इस मामले में पुलिस की कार्रवाई भी द्वेषपूर्ण रही। जैसे कि मौके से मेहमूद खान, मोहम्मद शहजाद और शेख गफ्फार को ही पकड़ा गया था। रमीज को वहां था ही नहीं। वह तो अपने पिता मेहमूद की खैर-खबर लेने पुलिस थाने पहुंच था लेकिन पुलिस ने उसे भी आरोपी बना दिया। इसके अलावा पुलिस व वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों के बयानों में भी समानता नहीं थी। अभियोजन पक्ष ने पुलिस थाने में आरोपियों से जो बयान लिए। उसमें कानूनी प्रावधानों का पालन नहीं किया। पुलिस ने जिस बाइक से मांस की जब्ती दिखाई, वह किसी अज्ञात व्यक्ति की थी। हमारे पक्षकार ने न्यायालय को बताया कि हम लोग उक्त क्षेत्र में बकरा खरीदने गए थे। लौटते समय पुलिस ने हमें अचानक पकड़ लिया और शिकार के इस मामले में झूठा फंसा दिया।
न्यायालय ने अभियोजन व बचाव पक्ष के तर्कों को सुना और विचारण उपरांत चारों आरोपियों को बरी कर दिया।
30/05/2025



