स्थानीय वन अमला था बेखबर ? बैतूल के वन अमले ने सागर से जब्त कराई 3 ट्रक अवैध सागौन
टाल के पीछे बने मकान में छिपाकर रखी गई थी लकड़ी, अक्टूबर में काटने का संदेह...सागर समेत 325 किमी के रूट की जांच चौकियों की कार्यप्रणाली पर सवाल

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सागर। सागर के उत्तर व दक्षिण वन मंडल के अमले ने बैतूल वन मंडल से मिले इनपुट के आधार भारी मात्रा में अवैध सागौन (चिरान) बरामद की है। यह लकड़ी मोतीनगर तिराहा श्मशान घाट के पहले बने कुंज बिहारी सॉ मिल और श्रीकृष्ण सॉ मिल के पीछे तरफ बने एक दो मंजिला मकान में मिली। जब्त लकड़ी करीब 70 घन मीटर है और बाजार में इसकी कीमत करीब 30 लाख रु. है। दो दिन चली कार्रवाई के बाद वन अमले ने मौके से तीन ट्रक लकड़ी को उत्तर वन मंडल ने सरकारी काष्ठागार में सुरक्षित रखवा दिया है।

बैतूल के वन अमले ने दो दिन पहले रविवार को इन दोनों सॉ मिल का औचक निरीक्षण किया था। लकड़ी की मौजूदगी को देखते हुए सॉ मिल को सील करते हुए मैनेजर जगदीश श्रीवास्तव निवासी मकरोनिया को गिरफ्तार किया गया था। उसे बैतूल ले जाया गया है। वहीं इन सॉ मिल का मालिक अमित मिश्रा कार्रवाई के बाद से ही गायब है। उसकी गिरफ्तारी की कोशिशें जारी हैं।
अक्टूबर में धरे गए थे वन तस्कर, तभी से खोजी जा रही थी लकड़ी
बीते साल अक्टूबर में बैतूल के उत्तर वन मंडल की खारी बीट से सागौन की संगठित कटाई और तस्करी करने वाले गिरोह के तार पकड़ में आए थे। तब उस इलाके का कुख्यात वन अपराधी राजू वाडिवा गिरफ्तार किया गया था। इस कड़ी में करीब डेढ़ दर्जन आरोपी एक के बाद एक दबोचे गए। तभी जानकारी मिली कि यहां से काटी गई सागौन को सागर के उक्त दो टाल संचालकों को बेचा गया है। इस सूचना के बाद बैतूल से प्रशिक्षु आईएफएस विनोद जाखड़ सागर आए। जिसके बाद उन्होंने दक्षिण वन मंडल अधिकारी चंद्रशेखर सिंह से संपर्क किया और इस कार्रवाई को अंजाम दिया।
सागर के वन अमले की सक्रियता और कर्तव्यनिष्ठा पर सवाल
इस बड़ी मात्रा में जब्त लकड़ी के लिए शत-प्रतिशत क्रेडिट बैतूल के वन अमले का है। अगर वहां से इनपुट नहीं मिला होता तो शायद यह लकड़ी कभी पकड़ी नहीं जाती और जाने कहां फर्नीचर बनकर बिक चुकी होती। इस मामले में सागर के वन अमले की सक्रियता व कर्तव्यनिष्ठा पर सवालिया निशान लगा है। करीब 325 किमी की दूरी तय कर यह बेशकीमती लकड़ी जो चंद सिल्लियों में नहीं, पूरे के पूरे तीन ट्रक थी, वह शहर के बीचों-बीच छिपाकर रखी गई थी। जिला मुख्यालय से सुदूर अगर ये जब्ती हुई होती तब माना जा सकता था कि मुखबिर तंत्र, संसाधनों की कमी चलते ऐसा संभव है। लेकिन यह जब्ती तो सीसीएफ मुख्यालय और शहर के बीचों-बीच से हुई। सवाल तो इस 325 किमी के रूट में पड़े वन जांच चौकी के अमले की कार्यप्रणाली पर भी है।
जिनकी नाक के नीचे से इतनी बड़ी तादाद में लकड़ी यहां से वहां हो गई। सागर वन वृत्त के रेंजर रविसिंह का कहना है कि प्रत्येक तिमाही में सभी सॉ मिल ( टाल) की रेंडम चेकिंग की जाती है। पिछली चेकिंग में यहां कोई अनियमितता नहीं मिली। इसके अलावा एक आशंका ये भी है कि तस्करों ने फोरलेन जैसे किसी रूट का इस्तेमाल किया होगा ताकि वह वन जांच चौकी से बच सकें। सिंह के अनुसार यह एक बड़ी जब्ती है, जिसको लेकर वन अमला प्रत्येक पहलू पर काम कर रहा है। आरोपियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया जा रहा है।
27/05/2025



