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सिविल लाइन में चल रही थी डॉ. एन जॉन केम सरीखे फर्जी स्पेशलिस्ट बनाने वाली नर्सरी

नकली डॉक्टर बनाने के लिए पैसे लेकर बांटे जा रहे प्रमाण पत्र, ग्रामीण क्षेत्रों के 10 वीं पास बेरोजगारों को बनाया जा रहा निशाना, राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य ने किया भंडाफोड़, फर्जी सेंटर के दस्तावेज जब्त कर की गई कार्यवाही शराब और बियर की बोतलों सहित नोट गिनने की मशीन भी मिली

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सागर। देश भर में चर्चित दमोह वाले फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. एन जॉन केम कैसे तैयार होते हैं। उसकी बानगी सिविल लाइन स्थित एलआईसी बिल्डिंग में खुला ये फर्जी ट्रेनिंग सेन्टर है। जिसका नाम राधा रमण इंस्टीटयूट है। यहां पर कौशल विकास के नाम पर ग्रामीण युवा बेरोजगारों को सुनहरे कैरियर के सपने दिखाकर उनके भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा था। राज्य बाल आयोग ने जब यहां छापामार कार्यवाही की तो फर्जी दस्तावेज के साथ- साथ यहां शराब और  बीयर की बोतल समेत नोट गिनने की  मशीन भी मिली। कार्रवाई के दौरान संचालक उपस्थित नहीं मिला। अधिकारियों ने संचालक से फोन पर संपर्क किया तो बताया गया कि वह बाहर है। सूत्रों के अनुसार इस तथाकथित संस्थान का संचालन कोई सुनील नेमा नाम का शख्स करता है। इस स्थान से छापामार टीम को चैतन्य इंस्टीट्यूट ऑफ पैरामेेडिकल सांइस, तिली रोड और  डॉ. बसंती देवी जैन हेल्थ केयर इंस्टीट्ययूट सागर, रेलवे स्टेशन के सामने के अथॉरिटी लैटर मिले हैं। जिनकी इबारत के अनुसार नेमा के इस फर्जी संस्थान को उन्होंने अपने यहां संचालित नर्सिंग व पैरामेडिकल कोर्स में बेरोजगार युवाओं के एडमिशन कराने बतौर एजेंट अधिकृत किया है। बड़ा सवाल ये है कि इन संस्थानों को क्या बीते वर्षों में ये जानकारी नहीं थी कि नेमा उनकी आड़ में क्या गुल खिला रहा है। इस मामले में चैतन्य पैरामेडिकल इंस्टीट्यूट के संचालक डॉ. संजय सिंह का कहना है कि मैंने सुनील नेमा को अपने सन्स्थान में केवल एडमिशन के लिए युवाओं को काउंसिल करने का ठेका भर दिया था। अगर वह कोई फर्जीवाड़ा कर रहा है तो इसके बारे मुझे कुछ नहीं पता। दूसरी तरफ इन्हीं सूत्रों का कहना है कि ये ग्रामीण क्षेत्र के युवक-युवतियों को ठगने का एक अड्डा था। जिसकी संबंधित संस्थानों को भली-भांति जानकारी थी। जानकारी मिली है कि इस फर्जी संस्थान से नकली सर्टिफिकेट लेकर पिता-पुत्र से लेकर युवक-युवती अपने- अपने गांव में लोगों के जीवन से खिलवाड़ कर रहे हैं। 

आयोग ने प्रशासन की जंबो टीम के साथ मारा छापा

ये छापामार कार्रवाई मप्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य ओंकार सिंह ने शुक्रवार को की। उनके साथ जिला बाल संरक्षण अधिकारी बृजेश त्रिपाठी, नायब तहसीलदार रितु राय, राजस्व विभाग के आर आई, सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष श्रीमती किरण शर्मा, सदस्य सुरेन्द्र सेन, श्रीमती अनीता राजपूत, भगवत शरण बनवारिया, जेजेबी सदस्य चंद्रप्रकाश शुक्ला, जिला अस्पताल से फार्मासिस्ट दीपक जैन, श्रम विभाग, शिक्षा विभाग, आईटीआई सहित पुलिस व अन्य विभागों के अधिकारी मौजूद थे।

3 महीने में गांव का डॉक्टर बनाने का दावा

बाल अधिकार संरक्षण आयोग को शिकायत मिली थी कि सिविल लाईंस स्थित राधा रमण इंस्टीटयूट में कौशल विकास के नाम पर बेरोजगार ग्रामीण युवाओं को क्लीनिक खोलने और उनको यहां से तीन माह का कोर्स करने के बाद पैरामेडीकल का सर्टिफिकेट मिलेगा, जिसके बाद वह ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं दे सकते हैं। इस बारे में मिली शिकायत के बाद  राज्य बाल संरक्षण आयोग ने इंस्टीटयूट का आकस्मिक निरीक्षण किया। यहां उन्हें कई अनियमितताएं मिलीं। आयोग के सदस्य ओमकार सिंह ने बताया कि राधा रमण इंस्टीटयूट में प्रधानमंत्री कौशल विकास केन्द्र के नाम पर बेरोजगार ग्रामीण युवाओं को स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए प्रशिक्षित करने का दावा किया जा रहा था। साथ ही यह इंस्टीटयूट ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने के लिए नकली डॉक्टर की प्रेक्टिस करने की तैयारी करवा रहा था, यहां पर कोर्स करने आने वाले युवाओं से 32000 से लेकर 45000 रूपए तक फीस ली जा रही थी। निरीक्षण के दौरान इंस्टीटयूट में शराब और बियर की खाली और भरी तथा आधी भरी बोतलें भी मिली है। यहां पर बच्चे पढ़ते हैं और खासकर बालिकाएं भी आती हैं। सिंह ने बताया कि हम जब वहां थे तो बालिकाएं ही वहां पर मिली, पढऩे वाले बच्चों के आने जाने की जगह और खासकर बालिकाओं के आने की जगह पर इस प्रकार की सामग्री का पाया जाना बहुत ही आपत्तिजनक है, यह नहीं होना चाहिए।

कॉल सेंटर बनाकर देहाती बच्चों को बरगलाते थे

इंस्टीट्यूट में एक कमरा मिला है। जहां से एक कॉल सेंटर चलाया जाता था। यहां मौजूद लड़कियां फोन कर ग्रामीण युवाओं को यहां पर आने के लिए प्रेरित करती थी। वे बेचारे युवा कौशल विकास के नाम पर यहां पर ट्रेनिंग के लिए आ जाते थे। राज्य बाल संरक्षण आयोग के सदस्य  सिंह ने कहा कि इंस्टीटयूट में मिली सामग्री की नियमानुसार जब्ती कराई गई है। साथ ही डीवीआर जब्त किया है, दो कमरे भी सील किये हैं, जिसमें केमिकल रखे थे। मामले को संबंधित विभागों को सौंपकर आगे की कार्यवाही की जाएगी। कार्यवाही के दौरान मौजूद आईटीआई के कौशल विकास केन्द्र का काम देखने वाले अधिकारी ने बताया कि इस इंस्टीटयूट को करीब दस साल पहले दो साल के लिए प्रधानमंत्री कौशल विकास का प्रशिक्षण लेने का काम मिला था, जो वर्षो पहले बंद हो चुका है लेकिन उसके नाम पर एक फर्जी सेंटर यहां पर आज भी चल रहा है और युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा था। उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में यहां से प्रशिक्षित निकले बच्चों को देखा जाना चाहिए कि यहां से प्रशिक्षण लेकर जो बच्चे निकले हैं वह कहीं डॉक्टर का काम तो नहीं कर रहे हैं?

11/04/2025

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