जैन मंदिर बनाने के मामले में मारपीट-बेदखली के शिकार विश्वकर्मा परिवार कोर्ट से मिली बड़ी राहत
दिसंबर में हुए विवाद के चलते जैन और हिंदु समुदाय के बीच तीन दिन तक रहा था तनातनी का माहौल, कोर्ट ने विश्वकर्मा परिवार द्वारा पेश किए गए नगर निगम, बिजली के बिलों को स्वीकार किया, जैन पक्ष को निर्णय होने तक वादग्रस्त क्षेत्र में किसी भी तरह के दखल को किया प्रतिबंधित

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सागर। दिसंबर 2024 में कोतवाली थाने से चंद कदम दूर प्रस्तावित जैन तीर्थ क्षेत्र ”सागरोदय” के निर्माण स्थल पर जिला न्यायालय ने स्टे कर दिया है। तीन दिन पहले 25 मार्च को चतुर्थ व्यवहार न्यायाधीश वरिष्ठ खंड सागर की पीठासीन अधिकारी श्रीमती मीनू पचौरी दुबे ने इस मामले में आदेश जारी किया।
बता दें कि इस मामले के प्रभावित और पीड़ित हरीश विश्वकर्मा और रामप्रसाद विश्वकर्मा दोनों निवासी लुहार गली, बड़ा बाजार, सागर ने एड. रामगोपाल उपाध्याय के माध्यम से जनवरी 2025 में एक केस दायर किया था। जिसमें उन्होंने सुभाष मोदी निवासी नट बाबा की कुलिया, बड़ा बाजार सागर और सुमित मोदी निवासी गौर टावर परकोटा को पक्षकार बनाया था। विश्वकर्मा बंधुओं का कहना था कि हम लोग लुहार गली में मकान नंबर 188 में निवासरत हैं। जिसे 20 दिसंबर 2024 कुछ नकाबपोश गुंडों द्वारा बहुत हद तक ध्वस्त कर दिया गया और हम लोगों के साथ मारपीट की। हम लोगों ने इस संबंध में पुलिस-प्रशासन के समक्ष शिकायत की। लेकिन हमें कोई विशेष राहत नहीं मिली।
पुलिस ने सामान्य धाराओं में केस दर्ज कर लिया। इस पूरे प्रकरण में प्रतिवादीगण यानी सुभाष मोदी और सुमित मोदी, राजनीतिक संरक्षण और धन बल के जोर पर इस मकान पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं। इन लोगों की हरकत से कुछ लोग घायल भी हुए। हिंदुओं की आस्था का केंद्र एक मंदिर भी क्षतिग्रस्त किया गया। जिसके बाद शहर में दो-तीन दिन तनाव के हालात रहे। गुटीय संघर्ष की स्थिति रही। बाद में राजनीतिक दबाव में पुलिस-प्रशासन ने शांति समिति की बैठक बुलाकर मामले का पटाक्षेप करा दिया। जबकि इस मामले में हम लोग अहम पक्षकार थे लेकिन हमें नहीं बुलाया गया। चूंकि प्रतिवादीगण इस स्थान पर बलपूर्वक कब्जा करना चाहते हैं, इसलिए कोर्ट के समक्ष यह आवेदन पेश किया गया।
ट्रस्ट के सदस्य बोले, सुभाष और सुमित मोदी को पक्षकार नहीं बना सकते
सुनवाई के दौरान सुभाष मोदी और सुमित मोदी नेे अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि विश्वकर्मा बंधुओं द्वारा पेश प्रकरण प्रचलन के योग्य नहीं हैं। इनके पास संंबंधित मकान या भूमि के कोई दस्तावेज नहीं हैं। ये लोग मुकदमेबाज लोग हैं। वहीं जिस भूमि की ये लोग बात कर रहे हैं। वह श्री देव पारसनाथ मंदिर एवं श्री देव आदिनाथ मंदिर ट्रस्ट घटिया बीच वाला मंदिर ट्रस्ट से संबंधित है। जो शासन से रजिस्टर्ड ट्रस्ट है।
नियमानुसार इसमें ट्रस्ट और सागरोदय तीर्थ से जुड़े लोगों को पक्षकार नहीं बनाया गया। ट्रस्ट के विधान में स्पष्टï लेख है कि मोदी परिवार का ट्रस्ट की संपत्तियों पर कोई उत्तराधिकार नहीं रहेगा। इससे साफ होता है कि इससे जुड़े विवाद में भी उनकी कोई भूमिका नहीं रहेगी। लेकिन विश्वकर्मा बंधुओं ने सुभाष मोदी व सुमित मोदी को जबरिया परेशान करने के लिए पक्षकार बनाया।
मीडिया कवरेज, ननि की रसीदें, बिजली बिल पेश किए गए
सुनवाई के दौरान एड. उपाध्याय ने अपने पक्षकार विश्वकर्मा बंधुओं की तरफ से मकान नंबर 188 पर स्वामित्व व कब्जा प्रमाणित करने के लिए नगर निगम के संपत्ति कर की रसीदें, बिजली कनेक्शन और उसके बिल आदि पेश किए। उन्होंने इस मकान पर कब्जे को लेकर मचे बवाल संबंधी मीडिया कवरेज के प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज भी पेश किए।
जिसमें यह बताया गया कि उक्त मकान के स्वत्वाधिकारी हरीश विश्वकर्मा व अन्य हैं। दूसरी ओर मोदी बंधुओं की तरफ से उक्त भूमि व प्रॉपर्टी की खरीदी से लेकर ट्रस्ट को दान करने संबंधी दस्तावेज पेश किए। न्यायालय ने पाया कि विश्वकर्मा बंधुओं द्वारा पेश किए गए साक्ष्यों से उनके मकान पर कई व्यक्तियों द्वारा अवैधानिक रूप से हस्तक्षेप कर कब्जे की कोशिश की जा रही है। रही बात कि इस मामले में ट्रस्ट के पदाधिकारियों को पक्षकार क्यों नहीं बनाया गया। जिसके जवाब में विश्वकर्मा बंधुओं की ओर से जवाब दिया गया कि वह केवल दो लोगों को पहचानता था, इसलिए उन्हें पक्षकार बनाया। एफआईआर में भी इन्हीं दो लोगों समेत अज्ञात 15-20लोगों के नाम हैं। आखिर में विद्वान न्यायाधीश श्रीमती दुबे ने पाया कि मकान नंबर 188 पर वादी हरीश विश्वकर्मा व रामप्रसाद विश्वकर्मा का विधिक आधिपत्य होना दर्शित हो रहा है। जिसके आधार पर उनका स्टे संबंधी आवेदन स्वीकार किया जाता है। प्रतिवादीगण सुभाष मोदी व सुमित मोदी को निर्देशित किया जाता है कि वे वादग्रस्त मकान या स्थान पर कोई हस्तक्षेप नहीं करेंगे और न ही कराएंगे। 
28/03/2025



