एसडीसीए: क्रिकेटर्स को सिटी बसों ने ढोया, पेमेंट खुशबू ट्रेवल्स को कर दिया!
खिलाड़ियों के लिए अटैच बसों के भुगतान में सागर डिविजनल क्रिकेट एसोसिएशन पर फर्जी बिलिंग का आरोप, मैनेजमेंट कमेटी के सदस्य ने कहा, इस घपलेबाजी की शिकायत एमपीसीए से करेंगे

सागर। सागर डिविजनल क्रिकेट एसोसिएशन(एसडीसीए) में बाहर से आई टीमों को होटल से मैदान तक के लिए अटैच बसों की बिलिंग में फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। ये आरोप एसोसिएशन की मैनेजिंग कमेटी के सदस्य सचेंद्र भट्ट ने लगाया है। उनका कहना है कि जनवरी 2025 में एमपीसीए ने एसडीसीए के बम्हौरी रेंगुवा स्थित मैदान में कर्नल सीके नायडू अंडर-22 क्रिकेट टूर्नामेंट कराया था।
जिसमें मप्र और झारखंड की टीमें शामिल हुई थीं। भट्ट का कहना है कि झारखंड की टीम तिलकगंज स्थित एक होटल में रुकी थीं। क्रिकेटर्स को वहां से मैदान लाने व ले जाने के लिए स्मार्ट सिटी कंपनी लिमिटेड द्वारा संचालित दो सिटी बसों का इस्तेमाल किया गया।
लेकिन जब इन बसों के बिल एसोसिएशन के समक्ष भुगतान के लिए लगाए गए तो वह खुशबू ट्रेवल्स नाम की किसी फर्म के थे। जब मेरे द्वारा खुशबू ट्रेवल्स के प्रबंधन से इस बारे में संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि ये बिल मेरी फर्म के नहीं हैं। भट्ट का कहना है कि इस गड़बड़ी की शिकायत एमपीसीए सेे की जाएगी।
6 दिन अटैच रहीं बसें, 1.16 लाख रु. की बिलिंग की
भट्ट का कहना है कि इस टूर्नामेंट में स्मार्ट सिटी कंपनी की बसों का उपयोग करीब 6 दिन किया गया। लेकिन एसडीसीए के कतिपय पदाधिकारियों ने इन बसों के ऑपरेटर्स या संचालक का बिल नहीं लगाकर किसी दूसरी फर्म के बिल पर मय जीएसटी के 1.16 लाख रु. का भुगतान कर दिया गया।
मुमकिन है कि ऐसा इसलिए किया गया ताकि अधिक राशि का आहरण किया जा सके। इस मामले में खुशबू ट्रेवर्ल्स के संचालक अरविंद तिवारी छुट्टन का कहना है कि यह मामला मेरे भी संज्ञान में आया है। प्रथमदृष्टïया यह बिल फर्जी प्रतीत हो रहा है, क्योंकि इसमें बस ऑपरेटर के नाम के स्थान पर सुनील पांडे के हस्ताक्षर हैं। जबकि पांडे, राधा ट्रेवल्स के नाम से बसों का संचालन करते हैं। हो सकता है कि बिल पर उनके भी फर्जी हस्ताक्षर किए गए हों। बिल पर जो जीएसटी नंबर दर्शाया गया है। वह भी मेरी फर्म का नहीं है। इस बारे में एसोसिएशन के पदाधिकारियों को जांच करना चाहिए।
एजेंसी को काम दिया था, मुझ से क्रिकेट की बात करें: प्रभारी सचिव
क्रिकेटरों के लिए स्मार्ट सिटी कंपनी की बसें लगाकर बिलिंग दूसरी फर्म के नाम पर करने के सवाल पर एमपीसीए के प्रभारी सचिव पुष्पेंद्रसिंह राजपूत बचाव की मुद्रा में नजर आए। उनका कहना था कि, बसें लगाने का काम एक एजेंसी को दिया गया था। उसके द्वारा जो बिल दिया गया। उसका भुगतान कर दिया गया। वैसे भी यह काम एसोसिएशन की मैनेजमेंट कमेटी का है।
मुझ से तो आप क्रिकेट के बारे में पूछ सकते हैं। आगे वे बोले कि अगर बिलिंग में किसी तरह की गड़बड़ी हुई है तो जांच करा ली जाएगी। मुझे मालूम है कि यह शिकवे-शिकायतें कौन व्यक्ति कर रहा है।
26/03/2025



