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गड़े मुर्दों में सियासी हथियार खोजते सिंह और राजपूत 

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सागर। “गड़े मुर्दे उखाड़ने” से हमेशा यही मतलब निकाला जाता है कि कोई पुरानी दबी बात, जांच या अदावत को फिर सामने लाया जाए। लेकिन मप्र की राजनीति में वास्तव में मृत लोग यानी गड़े मुर्दों के जरिए एक-दूसरे पर राजनीतिक, कानूनी और आर्थिक प्रहार करने का नया दौर शुरु हुआ है। विवाद में उलझाने के इस पुराने तरीके के केंद्र में कमोवेश बुंदेलखंड के दो दिग्गज नेता, पूर्व गृह मंत्री एवं सीनियर विधायक भूपेंद्रसिंह एवं केबिनेट मंत्री गोविंदसिंह राजपूत हैं। जिनके खुल्लम-खुल्ला राजनीतिक द्वंद में कांग्रेसी नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार और उपनेता हेमंत कटारे के भी गड़े मुर्दे उखड़ने की नौबत आ गई है। राजनीतिक जानकार, दिग्गजों के इस स्टंट को दफन मुर्दों में सियासी संजीवनी तलाशना बता रहे हैं। वहीं ये भी पूछ रहे हैं कि इस कवायद में अगर ये सफेदपोश नहीं हैं तो फिर कौन है ? कौन है जो महीनों- वर्षों बाद पीड़ित परिवारों को उनके साथ हुए “कथित अन्याय” के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का मशविरा दे रहा है। कौन है जो उन्हें महंगे-महंगे वकील भी उपलब्ध करा रहा है।

 9 साल पुराना मानसिंह पटेल लापता कांड

गड़े मुर्दे उखाड़ने की इस हालिया राजनीतिक सीरीज में यह मामला सबसे पुराना है। करीब 9 साल पहले मानसिंह पटेल नाम का एक किसान अचानक गायब हो गया। उसके पुत्र सीताराम ने केबिनेट मंत्री राजपूत पर पिता को गायब कर जमीन हड़पने का आरोप लगाया था। बाद में कांग्रेस नेता राजकुमार धनोरा ने इस मामले को लपक लिया। ओबीसी महासभा के जरिए सुप्रीम कोर्ट तक गए। एसआईटी गठित हुई लेकिन ये पता नहीं चल सका कि मानसिंह भारत के किस कोने में अज्ञातवास काट रहा है या उसका मुर्दा कहां दफन है। एसआईटी ने बीते महीने इस मामले में CJM कोर्ट सागर में क्लोजर रिपोर्ट पेश कर दी है। बावजूद ये मुर्दा यानी मामला आसानी से फिर दफन हो जाएगा। ऐसा दिखता नहीं है।

महीनों बाद अचानक सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मृत लालू- अंजना का मामला

ये दूसरा मामला खुरई विस क्षेत्र के बरोदिया नोनागिर गांव का है। वर्ष 2023 में आपराधिक प्रवृत्ति के एक युवक लालू उर्फ नितिन की ” मॉबलिंचिंग” जैसे घटनाक्रम में मौत हो गई थी। पुलिस ने एक दर्जन से अधिक लोगों को आरोपी बनाकर जेल भेजवा दिया। 2024 में मृतक लालू के आपराधिक प्रवृत्ति के एक और साथी राजेंद्र की हत्या हो गई। जिसका शव लेकर लालू की बहन अंजना, जिला अस्पताल से PM कराकर गांव लौट रही थी। लेकिन रास्ते में वह अचानक शव वाहन से कूदकर मर गई। एक महीने पहले इन मौतों को लेकर मृतकों की मां सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। उसने पुलिस-प्रशासन समेत तत्कालीन मंत्री भूपेंद्रसिंह पर धांधली का आरोप लगाया है। ये बात और है कि अंजना की मौत, पुलिस की प्राथमिक जांच में रोड एक्सीडेंट निकली। वहीं लालू की हत्या के मामले में सभी आरोपी साक्ष्य नहीं होने पर पिछले महीने बरी हो चुके हैं।

उपनेता कटारे पर लगा दुष्कृत्य और आत्महत्या के मामले में गड़बड़ी आरोप

जनवरी में सदन में विपक्ष के उपनेता हेमंत कटारे ने एक पत्रकार वार्ता कर परिवहन घोटाले में पूर्व मंत्री भूपेंद्रसिंह के शामिल होने और गिरफ्त में आए पूर्व सिपाही सौरभ शर्मा की भर्ती का आरोप लगाया। जवाब में पूर्व मंत्री सिंह ने मैनेज होकर सदन में सवाल लगाने से लेकर पं. माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विवि की छात्रा से किए गए रेप की रिपोर्ट FSL से बदलवाने का आरोप लगाया। बाद में इस छात्रा ने आत्महत्या कर ली थी। सिंह ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मांग की कि, इस मामले की पुर्नजांच की जाए। फरवरी में कटारे के परिजन के खिलाफ भोपाल में जमीन घोटाले के एक मामले में FIR हो गई है। वहीं जवाबी कर कटारे ने हाल ही में विधानसभा में सिंह के परिजन की बहेरिया तिराहा स्थित एक होटल की जमीन के बारे में सवाल जड़ दिया है।

नेता प्रतिपक्ष ने मंत्री राजपूत के खिलाफ सुबूत दिए, कोर्ट में उमंग के खिलाफ पिटीशन लगी 

फरवरी के मध्य में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने एक पत्रकारवार्ता की। उन्होंने केबिनेट मंत्री गोविंदसिंह राजपूत को परिवहन घोटाले का अहम किरदार बताया। आरोप लगाते हुए उनके द्वारा सागर से लेकर दिल्ली तक खरीदी गई प्रॉपर्टी के दस्तावेज, पार्टनरशिप का ब्योरा पेश किया। आरोप लगाया कि मंत्री ने परिवहन घोटाला कर 1200 करोड़ रु. से अधिक की चल-अचल संपत्ति खड़ी की। ताजा जानकारी ये है कि राजपूत ने इन आरोपों के जवाब में सिंघार को 20 करोड़ रु. की मानहानि का नोटिस भेजा है। वहीं नेता प्रतिपक्ष सिंघार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक स्पेशल लीव पिटीशन दाखिल हो गई है। इस पिटीशन में कहा गया है कि वर्ष 2021 में सिंघार की लिव-इन- पार्टनर सोनिया भारद्वाज की लाश उनके बेडरूम में मिली थी। पुलिस ने इस मामले में आत्महत्या का केस दर्ज किया था। इस कांड में जबलपुर के एक पुलिस अफसर ने सिंघार की मदद की थी। 4 साल बाद सुप्रीम कोर्ट से मांग की गई है कि मामले की जांच कर ये क्लीयर किया जाए कि सोनिया की हत्या हुई या उसने आत्महत्या की थी।            05/03/2025

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