45 प्रतिशत अंक पाने वाला अभ्यर्थी माना जाए सेकंड डिविजन पास: हाईकोर्ट

सागर। जिन अभ्यर्थियों की पीजी की मार्कशीट में 45 प्रतिशत अंक दर्शित हैं। उन्हें सेकंड डिविजन माना जाए। यह अंतरिम आदेश मप्र हाईकोर्ट की डिविजन बैंच के न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल व न्यायमूर्ति अनुराधा शुक्ला ने पारित किया है। इस आदेश के अनुसार 45 प्रतिशत से अधिक प्राप्तांक वालों को सेकंड और इससे कम अंक वालों का थर्ड डिविजन माना जाए। इस मामले में ओबीसी के आरक्षण संबंधी मामलों के जानकार वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर और विनायक प्रसाद शाह ने याचिकाकर्ता रोशनलाल सिरसाम की तरफ से पैरवी की।
अधिवक्ताद्वय ने हाईकोर्ट में मध्यप्रदेश शिक्षक भर्ती नियम 2018 अनुसूची- 3, नियम 8 की संवैधानिकता को चुनौती दी। उन्होंने हाईकोर्ट को बताया कि उक्त नियम में हाईस्कूल शिक्षक हेतु पात्रता संबंधित विषय में सेकंड डिविजन पास व बीएड की योग्यता निर्धारित है।
लेकिन उक्त नियम मेें आरक्षित वर्ग को प्राप्तांकों मे 5 प्रतिशत की छूट का प्रावधान नही किया गया है। जबकि माध्यमिक शिक्षक एवं प्राथमिक शिक्षक की योग्यता में 5 प्रतिशत की छूट का प्रावधान किया गया है। इस केस में याचिकाकर्ता एसटी वर्ग का है, जिसने रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर से हिन्दी विषय में 47 प्रतिशत अंक से स्नाकोत्तर उपाधि प्राप्त की। लेकिन उसकी अंकसूची में थर्ड डिवीजन लिखे होने के कारण नियुक्ति नहीं दी गई।
जबकि स्कूल शिक्षा विभाग ने 700 से अधिक अभ्यर्थियों को जिनके प्राप्तांक 45 प्रतिशत हैं और उनकी मार्कशीट में सेकंड डिविजन लिखा है, उन सभी को नियुक्तियां दे दी गईं। इस बिन्दु पर हाईकोर्ट ने अन्तरिम आदेश पारित करते हुए निर्देशित किया कि इस प्रकार भेदभाव नही किया जा सकता। वे सभी अभ्यर्थी पात्र है जिनकी अंकसूची में 45 प्रतिशत से अधिक अंक है।
दूसरे मुद्दे पर हाईकोर्ट ने पाया की उक्त नियम में आरक्षित वर्ग जिनमें एससी, एसटी, ओबीसी तथा दिव्यांगों को शैक्षणिक योग्यता मे 5 प्रतिशत की छूट नहीं दी गई है। जो संविधान के अनुछेद 335 के विपरीत होने के साथ संविधान के अनुछेद 14 एवं 16 से भी असंगत है, को स्वीकार करते हुए राज्य सरकार के स्कूल शिक्षा विभाग, जनजातीय कार्य विभाग तथा डीपीआई कमिश्नर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इस याचिका की आगामी सुनवाई 24 फरवरी को होगी। 
08/02/2025



