नगर निगम अध्यक्ष वृंदावन अहिरवार के निर्वाचन को लेकर कोर्ट का अहम फैसला
पूर्व पार्षद गंगाराम की आपत्तियों को न्यायालय ने स्वीकार नहीं किया

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सागर। शहर के सुभाषनगर वार्ड के पार्षद एवं नगर निगम के अध्यक्ष वृंदावन अहिरवार के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका को जिला न्यायालय ने निरस्त कर दिया गया है।
इस आशय का आदेश गुरुवार को जिला न्यायाधीश विशेष न्यायालय प्रशांत सक्सेना के कोर्ट ने पारित किया। वृंदावन के बतौर पार्षद चुने जाने को लेकर एक अन्य पूर्व पार्षद गंगाराम अहिरवार ने यह चुनाव याचिका जुलाई 2022 में जिला न्यायालय में दायर की थी। गंगाराम का आरोप था कि वृंदावन अहिरवार ने चुनावी नाम-निर्देशन प्रपत्र में उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक प्रकरण, न्यायालयीन सजाएं व अचल संपत्ति की जानकारी छिपाई थी। गंगाराम का कहना था कि मैंने इस संबंध में तत्कालीन रिटर्निंग ऑफिसर के समक्ष आपत्ति दर्ज कराई थी। लेकिन उसका निराकरण विधिसम्मत नहीं किया गया।
जिससे आहत होकर मैंने न्यायालय की शरण ली। मामले में वृंदावन अहिरवार की तरफ से एड. अर्पित बांके बिहारी दुबे ने पैरवी की। उन्होंने न्यायालय को बताया कि आपराधिक मामलों के संबंध में मेरे पक्षकार ने जब नाम निर्देशन फार्म जमा किया था। तब उसके खिलाफ आरोप तय नहीं किए गए थे। जिस मामले में सजा की बात कही जा रही है।
उसमें मेरे पक्षकार को हाईकोर्ट से बरी कर दिया गया है। अचल संपत्ति के मामले में जिन गांव, खसरा नंबर में भूमि होने की बात कही जा रही है।
उसे मेरा पक्षकार काफी समय पहले बेच चुका है। विद्वान न्यायाधीश प्रशांत सक्सेना ने दोनों पक्षों को जवाब-दावों पर गहनता के विचारण किया। इसके बाद उन्होंने आदेश पारित किया कि गंगाराम अहिरवार की याचिका मप्र नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 की धारा 441 के अनुसार विधि सम्मत नहीं है। इसलिए उसे निरस्त किया जाता है।
30/01/2025



