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सागर के टाइगर रिजर्व में नए बाघ की आमद! तीन हिस्सों में बंटा बाघ परिवार

रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व की डोंगरगढ़ रेंज में घूम रहा है अज्ञात बाघ। मुहली, महाराजपुर और सिंहपुर रेंज में बंट गया बाघिन और बाघ राधा-किशन का कुनबा

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सागर। रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व से एक अच्छी खबर है। यहां की डोंगरगढ़ (नरसिंहपुर) रेंज में एक अज्ञात बाघ देखा गया है। रिजर्व प्रबंधन का मानना है कि यह बाघ पन्ना टाइगर रिजर्व या अन्य किसी वन्य इलाके से यहां आ गया है। पुष्टि के लिए बाघ के पगमार्क लिए जा रहे हैं ताकि स्थानीय रिजर्व के बाघों के पगमार्कों से उनका मिलान किया जा सके। बाघ की मौजूदगी की पुष्टि रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. एए अंसारी ने की है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में रिजर्व में 16 बाघ-बाघिन हैं। जिनमें एक साल तक के कव्स(36 माह से कम आयु वर्ग के बाघ) भी शामिल हैं। अगर यह बाघ बाहरी होता है और यही ठिकाना बनाता है तो यह रिजर्व का 17 वां बाघ होसकता है। फिलहाल बाघ की सुरक्षा के लिए डोंगरगढ़ रेंज में गश्त बढ़ा दी गई है। आसपास के ग्रामीणों को अलर्ट भी किया है। जानकारी के अनुसार इस बाघ को स्टाफ समेत ग्रामीणों ने देखा है।
परिवार तीन हिस्सों में बंटा, बाघों की आबादी बढ़ने के चांस
डिप्टी डायरेक्टर डॉ. अंसारी ने बताया कि नौैरादेही (पूर्व नाम) बाघों के विस्थापन को लेकर एक और सकारात्मक खबर है। यहां का मुख्य बाघ परिवार, जिसे तत्कालीन बाघ किशन और राधा ने बढ़ाया था। अब वह तीन हिस्सोंं में बंट गया है। इस परिवार के कुछ सदस्य जबलपुर रोड के मुहली रेंज, नरसिंहपुर के महाराजपुर और नौरादेही के सिंहपुर रेंज में बंट गए हैं। बाघों का व्यवहार उनकी आबादी बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा संकेत है। डॉ. अंसारी के अनुसार मुहली रेंज के आंकीखेड़ा में 2018 के पूर्व अंतिम बाघ देखा गया था। अब उसी रेंज में इन बाघों की एक टोली ने अपना ठिकाना बनाया है।
6 वर्ष में बढ़ी सफलता, बाघ दिखने की साइट्स बढ़ेेंगी
बाघों के परिवार के सदस्यों द्वारा अलग-अलग ठिकाने बनाने को लेकर रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व प्रबंधन इसे अपने बीते 6 वर्ष की मेहनत मान रहा है। हालांकि यह तथ्य बहुत हद तक सही भी है क्योंकि इस अवधि में एक भी टाइगर का शिकार नहीं हुआ न ही किसी तरह के रोग से उनकी मौत हुई। पिछले साल नर बाघ किशन की मौत अवश्य हुई थी। लेकिन यह बाघों की आपसी लड़ाई का नतीजा था। जो उनका जेनेटिक व्यवहार है।। इधर बाघों के परिवार बंटने का एक बड़ा लाभ यहां टूरिज्म में बढ़ोत्तरी के रूप में मिलेगा। वन एवं वन्य प्राणियों को निहारने वालों के लिए रिजर्व में अब तीन साइट उपलब्ध रहेंगी।

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