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विवि काण्ड : शारीरिक नि:शक्त Vs कर्तव्यहीन विकलांग लोग

एक ओर विवि प्रशासन दिव्यांग विद्यार्थियों की सुनवाई करने में स्वयं को अक्षम पाता है। और जब यही विद्यार्थी अपनी मांग के लिए सड़क पर उतर आते हैं तो उन पर प्रॉक्टोरियल बोर्ड के बजाए पुलिस कार्रवाई करवा रहा है।

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सागर। डॉ. हरीसिंह गौर केंद्रीय विवि की  कुलपति डॉ. नीलिमा गुप्ता और दिव्यांग विद्यार्थियों के बीच हुई नोंक-झोंक का मामला पुलिस तक पहुंच गया है। शनिवार को विवि के प्रभारी रजिस्ट्रार सत्य प्रकाश उपाध्याय के आवेदन पर सिविल लाइंस पुलिस ने करीब 21 नामजद और 150  ज्ञात-अज्ञात विद्यार्थियों के खिलाफ तोड़-फोड़ और बलवा का केस दर्ज किया है। इधर अपने खिलाफ मामला दर्ज होने के बाद विद्यार्थियों ने कुलपति के अधीनस्थ स्टाफ के विरुद्ध भी आपराधिक केस दर्ज करने की मांग की है। उनकी ओर से  सिविल लाइंस थाने में एक लिखित शिकायत दी गई है।

शुक्रवार को कुलपति का वाहन हुआ था क्षतिग्रस्त

विवि में अध्ययरत दिव्यांग विद्यार्थी, कई दिन से कुलपति डॉ. नीलिमा गुप्ता से मुलाकात करना चाह रहे थे। ताकि  वे स्वयं के लिए स्पेशलाइज्ड ब्रेल बुक्स, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस, वाहन सुविधा आदि की मांग रख सकें। लेकिन कुलपति कार्यालय द्वारा उन्हें समय नहीं दिया जा रहा था। जिसके बाद इनके समर्थन में अन्य छात्रों ने शुक्रवार को कुलपति डॉ गुप्ता को अभिमंच सभागार में घेर लिया। कुलपति एक ओर जहां चार विद्यार्थियों के प्रतिनिधि मंडल से बात करने के लिए अड़ गईं, वहीं विद्यार्थी उनसे सामूहिक रूप से चर्चा करने की जिद पकड़े रहे। पूरे दिन सभागार में कैद रहने के बाद कुलपति जब बाहर निकली तो इन छात्रों ने उनकी कार को घेर लिया। इस बीच किसी अज्ञात व्यक्ति ने उनकी कार पर पथराव कर दिया। जिससे कार का एक कांच फूट गया।

फिर तो विद्यार्थी भी पुलिस-प्रशासन के माध्यम से बात करेंगे

दिव्यांग समेत अन्य विद्यार्थियों पर आपराधिक प्रकरण दर्ज कराने के बाद कुलपति और विवि प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा है। डॉ. हरीसिंह गौर केंद्रीय विवि के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष डॉ. शैलेंद्र ठाकुर का कहना है कि विवि कुलपति का यह व्यवहार निंदनीय है। वह पूर्व में भी डॉ. गौर का अपमान कर माफी नहीं मांगने की अड़ी दिखा चुकी हैं। खैर, ताजा मामले में यह साबित होता है कि विद्यार्थी अपनी जगह सही थे। क्योंकि विवि प्रशासन ने स्वयं प्रेस नोट जारी कर यह बात कुबूल की कि, विभागों में दृष्टि वाधितों के लिए ब्रेल लिपि में पुस्तकें नहीं हैं। सेंट्रल लाइब्रेरी में भी कई उपकरणों का अभाव है। दिव्यांग विद्यार्थियों को हॉस्टल से यूटीडी तक आने के लिए वाहन सेवा नहीं है। बहरहाल, अगर ये विवाद हो ही गया था तो कुलपति डॉ. गुप्ता, विद्यार्थियों पर प्रॉक्टोरियल बोर्ड के माध्यम से एक्शन ले सकती थीं। लेकिन उन्होंने इन नौजवानों  को कानून की नजर में अपराधी बनाने का रास्ता खोल दिया।इस घटनाक्रम से एक संदेश ये भी जाता है कि विद्यार्थी अपनी मांगे अब विवि प्रशासन के समक्ष रखने से डरेेंगे। क्योंकि देर-सबेर उन्हें भी इसी तरह पुलिस के पचड़े में उलझाया जा सकता है। इसमें भी कोई अचरज नहीं कि विद्यार्थी अब अपनी समस्या या मांग पुलिस-प्रशासन के माध्यम से पेश करें क्योंकि जब कुलपति अपनी बात इन एजेन्सियों तक ले जा सकती हैं तो विद्यार्थी क्यों नहीं ऐसा कर सकते। 

17/03/2024

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