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कलेक्टर से “माननीय लोग ” इसलिए भी नाराज है क्योंकि वे बंदूक के लाइसेंस नहीं बना रहे !

5 अगस्त की ज्वाइनिंग के बाद से अब तक कलेक्टर ने एक भी शस्त्र लाइसेंस मंजूर नहीं किया

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सागर। कलेक्टर संदीप जीआर हमारी सुनते नहीं हैं। जिसके चलते हमें अपने क्षेत्र के कामों में अड़चन आ रही है। सोमवार को यह शिकायत जिले के भाजपाई विधायकों ने भाजपा के क्षेत्रीय संगठन मंत्री अजय जामवाल से की थी। सागरवाणी डॉट कॉम ने उनकी इस शिकायत की तह में जाने की कोशिश की। मालूम चला कि कलेक्टर जीआर से कतिपय विधायक व अन्य की नाराजगी इस बात पर भी है कि वे उनकी सिफारिश के बावजूद बंदूक के लाइसेंस मंजूर नहीं कर रहे। सूत्रों के अनुसार विधायक व अन्य की सिफारिशी चिट्ठियां कलेक्टर तक पहुंचती रहती हैं। कॉल भी आते हैं। इसके बावजूद कलेक्टर जीआर अपनी कामकाजी नीति के तहत उन्हें कोई तरजीह नहीं दे। जानकारी के अनुसार यह स्थिति कलेक्टर की ज्वाइनिंग के पहले दिन सेअब तक है। संदीप जीआर ने 5 अगस्त को कार्यभार ग्रहण किया था।

लाइसेंस के मामले में एसपी भी जुगलबंद, एनआर की टीप तय!

शस्त्र लाइसेंस के लिए कलेक्टर की मंजूरी से पहले एसपी की अनुशंसा आवश्यक होती है। इस मामले में एसपी विकास साहवाल, कलेक्टर जीआर से जुगलबंदी करते दिख रहे हैं। चार महीनेे पुरानी ज्वाइनिंग के बाद उन्हें अंगुलियों पर गिनने लायक आवेदनों पर सकारात्मक टीप यानी लाइसेंस दिए जाने की अनुशंसा दी। जबकि अधिकांश आवेदनों पर एनआर यानी नॉट रिकमंडेड की ही टीप दर्ज हुई। इधर एसपी साहवाल ने जिन लोगों को लाइसेंस देने की अनुशंसा की। उन्हें भी कोई फायदा नहीं हुआ क्योंकि कलेक्टर संदीप जीआर ने उनके आवेदन को नामंजूर कर दिया। फिलहाल स्थिति ये है कि जो लोग शस्त्र लाइसेंस की उम्मीद में एसपी ऑफिस के चक्कर काटते हैं। उन्हें अधीनस्थ अमला ये कहकर टरका देता है कि काहे परेशान हो रहे हो। आवेदन, एनआर होना तय है।

हर वर्ष करीब 120 लाइसेंस बनते हैं, रोजगार का भी साधन हैं

वर्तमान एसपी-कलेक्टर के पहले तक हर साल औसतन 100-120 लाइसेंस बनते थे। इस संख्या में रिवॉल्वर-पिस्टल के लिए गृह विभाग को भेजी जाने वाली अनुशंसा भी शामिल है। नए लाइसेंस नहीं बनने से सबसे ज्यादा परेशानी उन लोगों को हो रही है। जो किसी सिक्योरिटी एजेंसी में बतौर गनमैन नौकरी करना चाहते हैं। दूसरे नंबर पर कतिपय नेतागण हैं। जो बीते विधानसभा और लोकसभा चुनाव में अपने-अपने चुनाव क्षेत्र में खास कार्यकर्ताओं व रसूखदारों को बंदूक का लाइसेंस दिलाने का वायदा कर आए थे। लेकिन अब वह उन्हें जवाब नहीं दे पा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार शस्त्र शाखा में करीब 200 आवेदन मंजूरी के लिए पड़े हुए हैं। इनमें से अधिकांश वे हैं, जिनके लिए एसपी ने अनुशंसा नहीं की है।

बंदूक से शांति-व्यवस्था में वाला फॉर्मूला अब कारगर नहीं

मैंने अभी तक एक भी शस्त्र लाइसेंस मंजूर नहीं किया है। जान-माल की सुरक्षा के नाम पर लाइसेंस दिए जाते रहे हैं। लेकिन अब हमें ऐसे समाज को विकसित करना है। जहां बंदूक के दम पर व्यक्ति विशेष या समूह को नियंत्रित करने की आवश्यकता नहीं पड़े। अपराध पर नियंत्रण के लिए सशस्त्र पुलिस है।

संदीप जीआर, कलेक्टर, सागर

शस्त्र की आवश्यकता का ठोस कारण होना चाहिए, कुछ में अनुशंसा की

कुछ आवेदनों को मैंने सकारात्मक टीप देते हुए कलेक्टर के पास मंजूरी के लिए भेजा है। अन्य प्रकरण में शस्त्र की आवश्यकता को लेकर ठोस कारण नहीं थे। लोगों को यह समझना होगा कि शस्त्र कोई साधारण वस्तु नहीं है। उसे हैंडल करना, सुरक्षा करना भी एक बड़ी जवाबदेही है।                               —  –विकास साहवाल, एसपी, सागर

06/12/2024

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