जिला न्यायालय: बड़ा बाजार में लगने वाले जाम को लेकर कलेक्टर-एसपी को नोटिस जारी
ननि कमिश्नर, यातायात डीएसपी समेत चारों को 20 फरवरी 2025 को देना है जवाब

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सागर। बड़ा बाजार में कोतवाली से चमेली चौक तक लगने वाले जाम को लेकर स्थाई जिला लोक अदालत ने कलेक्टर संदीप जीआर, एसपी विकास साहवाल, कमिश्नर राजकुमार खत्री और यातायात डीएसपी मयंक चौहान को नोटिस जारी किए हैं। पिछले दिनों पीठासीन अधिकारी एवं जिला न्यायाधीश दिनेशसिंह राणा के समक्ष इस रूट से आवाजाही करने वाले वकील पवन नन्होरिया, स्थानीय पार्षद अशोक साहु चकिया और व्यवसायी हर्षकुमार साहू, ऋषभकुमार सिंघई, दिनेशकुमार सिंघई ने याचिका पेश की थी।
उन्हें बताया था कि भोपाल रोड मोतीनगर चौराहा से कोतवाली-कटरा बाजार होकर और एलिवेटेड कॉरिडोर से बस स्टैंड व तीन बत्ती से कोतवाली- मोतीनगर चौराहा तक का मार्ग बहुत संकरा है। जिसके चलते यहां हर 10-20मिनट में जाम लगता है। जिससे सबसे ज्यादा परेशानी इस मार्ग से स्कूल, अस्पताल के अलावा अन्य रुटीन कामकाज के लिए आवाजाही करने वाले लोगों को होती है।
यह स्थिति सुबह 9 बजे से रात 10 बजे तक एक समान रूप से बनी रहती है। इस मार्ग पर अनावेदकगण कलेक्टर, एसपी, ननि कमिश्नर और यातायात डीएसपी ध्यान नहीं दे रहे हैं। वे भी इस मार्ग से गुजरे हैं लेकिन उन्होंने जनता के हित में कोई ठोस निर्णय नहीं लिया। इस मामले में याचिकाकर्ता एड. नन्होरिया ने सितंबर में एसपी को कार्रवाई के लिए पत्र दिया था। लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
स्कूल पहुंचने बच्चों को जल्दी निकलना पड़ता है, देरी पहुंचते हैं घर
याचिका में बताया गया है कि इस एरिया में रहने वाले बच्चे समय से स्कूल नहीं पहुंच पा रहे हैं। कई बच्चों के अभिभावकों ने इस समस्या से निपटने के लिए उन्हें अलसुबह जगा देते हैं। ताकि वह जाम में फंसने से बच जाएं। ठंड जैसे मौसम में बच्चों के लिए यह बहुत कष्टदायी होता है। इतना ही नहीं, जब ये बच्चे लौटते हैं तो उनके अभिभावकों के वाहन या स्कूल बसें यहां लगने वाले जाम में फंस जाती हैं। जिसके चलते वह अन्य बच्चों के मुकाबले आधा से एक घंटे देरी से घर पहुंचते हैं। इस मार्ग पर जाम, ध्वनि और वायु प्रदूषण का सीधा असर यहां के व्यवसायी व रहवासियों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। जाम के चलते लोगों में अक्सर तकरार होना आम बात है। इसके अलावा अगर कोई व्यक्ति मेडिकल इमरजेंसी में फंसा हुआ है तो उसका यहां से निकलना मुश्किल हो जाता है। देर-सबेर यह स्थिति किसी की असमय मौत या जीवन पर गंभीर संकट का कारण भी बन सकता है।
जिम्मेदारों को फरवरी 2025 में जवाब पेश करना है
एड. नन्होरिया ने बताया कि स्थाई लोक अदालत के जरिए हम लोग पुलिस-प्रशासन व स्थानीय निकाय के जवाबदारों से इस समस्या का स्थाई हल चाहते हैं। अब बात केवल पुलिस के प्वाइंट लगाने से नहीं बनेगी। इसके लिए उन्हें ठोस उपाय अपनाना होंगे। इसी मांगों को लेकर हम अधिकारियों से कोर्ट में जवाब लेंगे। स्थाई लोक अदालत ने संबंधित अधिकारियों से 20फरवरी 2025 को जवाब पेश करने कहा है।
03/12/2024



