प्राइमरी-मिडिल शिक्षा में सागर का घटिया स्तर बरकरार, रैकिंग 43 से गिरकर 44 पर आई
संभाग के ही एक अन्य जिले का प्रदेश में पहला स्थान, दमोह की सातवीं रैंक, बाकी जिले भी सुधरे गांवों की स्कूल से बचने के लिए शहर मुख्यालयों पर अतिशेष हो गए हैं शिक्षक - शहर के बीचों बीच उर्दू स्कूल में 17 बच्चों को पढ़ाने 12 शिक्षकों की पोस्टिंग

sagarvani.com9425172417
सागर। प्राइमरी और मिडिल स्कूल शिक्षा में सागर जिले का स्तर बेहद घटिया है। हाल ही में राज्य सरकार द्वारा एक एनजीओ के सहयोग से कराए गए सर्वे में इसका खुलासा हुआ है। जिसमें प्रदेश के 54 जिलों की कक्षा 1से 8 तक की शिक्षा-दीक्षा के मामले में सागर का स्थान 44 वे नंबर पर है। इससे भी ज्यादा दुखद और शर्मनाक तथ्य ये है कि यह रैंक, पिछले साल के मुकाबले 01 अंक और नीचे आई है। पिछले साल सागर का स्थान 43 वें नंबर पर था। वहीं सागर संभाग के पिछड़े जिलों में शुमार किए जाने वाले छतरपुर का बेहद शानदार प्रदर्शन है। यह जिला पूरे प्रदेश में 01 नंबर पर है। जबकि एक साल पहले तक यही जिला 6 वे नंबर पर था। प्रदेश के टॉप-10 जिलों में दमोह ने भी स्थान बनाया है। यह जिला 10 वीं रैंक से सुधरते हुए 7 वीं पर आया है। पन्ना ने 23 से सुधारकर अपनी रैंक 15 की है। निवाड़ी की रैंक भी 44 से सुधरकर 31 हुई है। टीकमगढ़ 39 वीं रैंक पर है।
गांवों में शिक्षकविहीन स्कूलें, शहर में 17 विद्यार्थियों को पढ़ाने दर्जन भर टीचर
शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार संभागीय मुख्यालय में प्राइमरी और मिडिल स्कूल शिक्षा की यह दुर्गति वर्ष 2022 में हुई। तब तत्कालीन जिला शिक्षाधिकारी ने बगैर सोचे-समझे ग्रामीण इलाकों की स्कूलों स्वैच्छिक ट्रांसफर आवेदन पर धड़ाधड़ शिक्षकों के शहरी क्षेत्रों में ट्रांसफर कर दिए। पहले से ही अतिशेष शिक्षकों का लोड लेकर चल रहे शहर मुख्यालयों में शिक्षकों की इतनी ज्यादा भरमार हो गई कि कहीं-कहीं पर तो शिक्षकों की तैनाती संख्या और उनके स्कूल में अध्ययनरत विद्यार्थियों के बीच मुकाबला होने लगा। इसका सबसे सटीक उदाहरण परकोटा क्षेत्र स्थित उर्दू स्कूल है। जहां वर्तमान में महज डेढ़ दर्जन बच्चे अध्ययनरत हैं जबकि उन्हें पढ़ाने के नाम पर स्कूली में एक दर्जन शिक्षक तैनात हैं।
वेबिनार में जताई चिंता, हालात सुधारने के निर्देश
जिले में प्राइमरी और मिडिल स्कूल शिक्षा की इस घटिया स्थिति पर एक दिन पहले संभागीय वेबिनार हुआ। जिसमें इस रैकिंग का खुलासा करते हुए शिक्षा विभाग के संभागीय अफसरों ने चिंता जताई। वेबिनार में आगामी कक्षा 5 वीं और 8 वीं बोर्ड की परीक्षाओं को पूरी ईमानदारी से कराने पर जोर दिया गया। विभाग के संयुक्त संचालक डॉ. मनीष वर्मा ने कहा कि कि सभी शिक्षकों को बच्चों के भविष्य का बनाने के लिए कार्य करना है। परीक्षा में पास कराना ही एकमात्र उद्देश्य नहीं होना चाहिए। बल्कि एक अच्छा नागरिक बनाने के लिए हर शिक्षक को संभव प्रयास करना चाहिए। बच्चों में नकल की आदत न बनाएं भयमुक्त वातावरण में परीक्षा का संचालन कराये, उन्होंने निर्देशित किया कि परीक्षा निष्पक्ष, नकल रहित, सुचिता पूर्ण तरीके से कराई जाए।
शिक्षकों की पोस्टिंग का मैनेजमेंट बिगड़ा है, कई शिक्षक मुफ्त का वेतन ले रहे
सागर की रैंक के संबंध में sagarvani.com से चर्चा में जेडी डॉ. मनीष वर्मा ने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि सागर में शिक्षकों की तैनाती का मैनेजमेंट बिगड़ा है। इससे बच्चों का नुकसान तो हो रही रहा है, शासन को भी वित्तीय हानि हो रही है। कई शिक्षक बगैर काम के वेतन ले रहे हेैं। जब तक सही ढंग से युक्तियुक्तकरण नहीं होगा। हालात नहीं सुधरेंगे। इस संबंध में मेरे द्वारा जिला शिक्षाधिकारी के अलावा स्कूल शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अफसरों को रिपोर्ट भेजी जा रही है।
नोट: सभी फोटो प्रतीकात्मक हैं। गूगल से साभार प्राप्त।
06/03/2024



