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खुरई में कई महीने से मोबाइल कॉल डिटेल रिकॉर्ड, सर्विलांस के दुरुपयोग का संदेह : भूपेंद्र सिंह

पूर्व गृह मंत्री के बयान के बाद भाजपा के भीतर और बाहर कांग्रेस में सनसनी

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सागर। पूर्व गृह मंत्री और खुरई से वरिष्ठ विधायक भूपेंद्रसिंह ने अपने विस क्षेत्र के कुछ लोगों और  कार्यकर्ताओं के मोबाइल के CDR निकालने और सर्विलान्स पर लेने की शिकायत की है। जिसके बाद  सागर से लेकर राजधानी तक के  पुलिस के आला अफसरों समेत गृह विभाग की कार्यप्रणाली और कर्तव्यनिष्ठा सवालों के घेरे में आ गई है।  गुरुवार को सिंह की इस शिकायत की खूब चर्चा रही। इस प्रकरण से एक ओर भाजपा के भीतर खलबली मची है। वहीं कांग्रेस को सरकार की घेराबंदी करने का बहाना मिल गया है। इधर सिंह इस मामले में देश- प्रदेश की मीडिया से खुलकर बोले। उन्होंने कहा कि खुरई में पिछले कई महीनों से कतिपय लोग और  पार्टी कार्यकर्ताओं के फोन नंबर की CDR (कॉल डिटेल रिकॉर्ड) और उन्हें सर्विलांस पर रखने की शिकायतें मिल रही थीं। मैंने बीच- बीच में इस संबंध में एसपी व आईजी को अवगत भी कराया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।

 

एक दिन पहले जब डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल आए तो मैंने उनके समक्ष अपनी यह आपत्ति रखी। उन्होंने तुरंत जांच के आदेश दिए हैं। सिंह के अनुसार इस शिकायत की एक- एक कॉपी सीएम डॉ. मोहन यादव और डीजीपी को भी भेजी है। भूपेंद्र सिंह का कहना है कि मुमकिन है कि पुलिस महकमे के कर्मचारी स्तर के लोग यह हरकत कर रहे हों। लेकिन पता किया जाना चाहिए कि वह ये सब किस उद्देश्य और  किस के आदेश से कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं किसी अधिकारी या व्यक्ति विशेष पर आरोप नहीं लगा रहा। लेकिन जो भी दोषी है। वह सामने आना चाहिए। सिंह का कहना है कि बगैर आवश्यकता और सक्षम अधिकारी की परमिशन के बगैर किसी की निजता का हनन नहीं किया जा सकता। इससे लोगों में अविश्वास और भय का वातावरण बनता है।

जानिए CDR और सर्विलांस का मतलब और अंतर

मोबाइल पर होने वाली कॉलिंग और चैटिंग को ट्रेक करते हुए संबंधित व्यक्ति या व्यक्तियों तक पहुंचने या निगरानी के लिए पुलिस CDR और सर्विलांस व्यवस्था का उपयोग करती है। CDR मतलब कॉल डिटेल रिकॉर्ड। पुलिस के जांच अधिकारियों को किसी भी नंबर की कॉल डिटेल पाने के लिए एसपी स्तर के अधिकारी की अनुशंसा लेना होती है। इसके लिए एसपी अपनी ऑफिशियल मेल आईडी के जरिए संबंधित सेल्युलर सर्विस प्रोवाइडर को चिन्हित मोबाइल नंबर भेजते हैं। जवाब में कंपनी उन्हें उस नंबर विशेष की किस नंबर पर कब – कब कितने समय बात हुई तथा उस नंबर से किए गए टैक्टस मैसेज को पाने व भेजने वाले के नंबर उपलब्ध करा देती है। आपराधिक जगत में यह ब्योरा पुलिस के लिए काफी कारगर रहता है। मोबाइल से ट्रेकिंग में CDR के मुकाबले “सर्विलांस” कहीं ज्यादा संवेदनशील व्यवस्था है। दरअसल पुलिस जिस किसी भी नंबर को सर्विलांस पर लेती है। वह उस नंबर की इनकमिंग व आउटगोइंग कॉल को किसी भी वक्त सुन सकती है। रिकॉर्ड भी कर सकती है। पुलिस महकमे में सर्विलांस की अनुमति केवल आईजी स्तर के अधिकारी को होती है लेकिन उन्हें भी पीएचक्यू स्थित ADG इंटेलीजेंस को पहले इसके बारे में संपूर्ण ब्योरा देना होता है। CDR और सर्विलांस में एक बड़ा अंतर ये है कि  मोबाइल नेटवर्क सर्विस प्रदाता कंपनी CDR औसतन 24 घंटे में उपलब्ध कराती है। जबकि सर्विलांस तुरंत ही शुरू हो जाता है।  IG  किसी भी नंबर को सर्विलांस पर अधिकतम 7 दिन रखने की अनुमति दे सकते हैं। इसके बाद अधिकतम 3 महीने तक  के सर्विलांस की परमिशन ADG इंटेलीजेंस, DGP या गृह सचिव दे सकते हैं। यह परमिशन इन्हीं अधिकारियों द्वारा 3 महीने और बढ़ाई जा सकती है। जहां 6 महीना या उससे अधिक की आवश्यकता होती है। तब गृह विभाग को केंद्रीय गृह मंत्रालय से अनुमति लेना होती है। चर्चाओं के अनुसार किसी भी सरकार की स्थिरता से लेकर राज्य की कानून-व्यवस्था पर नजर रखने में ADG इंटेलिजेंस की प्रमुख भूमिका होती है। देश के अधिकांश मुख्यमंत्री चीफ सेक्रेटरी के साथ ADG इन्टेलिजेंस से मॉर्निंग ब्रीफ लेकर कामकाज शुरु करते हैं। सरकारें भी इस पद पर अपने सबसे भरोसेमंद और वफादार पुलिस अफसर को बैठातीं हैं।

–  9425172417

07/11/2024

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