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3 के 18 हजार बनाने के संदेही क्लर्क पर मेहरबान जांच कमेटी, रिलीव भी नहीं किया

करीब डेढ़ महीने पहले कलेक्टर ने एसडीएम समेत तीन अधिकारियों की जांच समिति गठित की, संदेही क्लर्क अशोक मिश्रा को चाइल्ड लाइन के ऑफिस में अटैच करने का आदेश खा रहा धूल

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सागर। जिला महिला एवं बाल विकास विभाग के चर्चित क्लर्क अशोक मिश्रा के खिलाफ जनवरी में कलेक्टर दीपक आर्य ने जांच कमेटी गठित की थी। जिसकी रिपोर्ट अब तक कलेक्टर कार्यालय नहीं पहुंची है। चर्चाओं के अनुसार मिश्रा के खिलाफ गठित कमेटी ज्ञात-अज्ञात कारणों से उस पर मेहरबान बनी हुई है। बता दें कि मिश्रा पर आरोप था कि उसने मप्र हाईकोर्ट में प्रचलित केसों के संबंध में खरीदी गई स्टेशनरी के किसी एक बिल की राशि 3 हजार में पेन से ओवर राइटिंग कर 18  हजार रुपए कर दिए थे। उसकीय ये हरकत संज्ञान में आने पर विभाग के ज्वाइंट डायरेक्टर कार्यालय ने मिश्रा की शिकायत कलेक्टर कार्यालय में कर दी। जिसके बाद उसके खिलाफ एसडीएम विजय डेहरिया की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर दी गई।
7 दिन का समय तय था, जांच के नाम पर टाल-मटोल 
कलेक्टर आर्य ने आर्थिक अनियमितता समेत कुछ अन्य आरोपों को लेकर मिश्रा के खिलाफ जनवरी के पहले सप्ताह में जांंच कमेटी गठित की थी। इस कमेटी में एसडीएम के अलावा जिला कोषालय अधिकारी व मालथौन की महिला बाल विकास परियोजना अधिकारी को शामिल किया गया था। कलेक्टर ने कमेटी को 7 दिन में अपनी जांच पूरी कर रिपोर्ट देने का कहा था। चर्चाएं हैं कि कमेटी में शामिल कतिपय अधिकारी क्लर्क के रसूख व राजनीतिक दबाव में इस मामले में हाथ डालने से बच रहे हैं। बता दें कि इसके पूर्व भी क्लर्क मिश्रा की विवादित कार्यप्रणाली को लेकर उन पर आरोप लगते रहे हैं। उदाहरण के लिए आंगनवाड़ी भवन निर्माण के लिए शासन से जारी होने वाली करोड़ों रुपए की रकम शहर के दो नामचीन प्राइवेट बैंकों में नियमविरुद्ध तरीके से खाते खुलवाकर जमा करना। आंगनवाड़ी के प्रस्तावों की त्रुटिपूर्ण नस्ति तैयार करना, कलेक्टर के निर्देश पर कार्यालयीन कामकाज का चार्ज बदलने के बावजूद रिलीवर को कैशबुक नहीं देना, अनाधिकृत डीजल पर्ची जारी करना आदि शामिल हैं।
चाइल्ड लाइन के ऑफिस में भी ज्वाइनिंग नहीं दी, प्रभार भी नहीं दिया
कलेक्टर आर्य ने जांच कमेटी के अलावा क्लर्क मिश्रा को आगामी आदेश तक चाइल्ड लाइन के ऑफिस में अटैच करने के आदेश दिए थे। लेकिन महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों ने इस आदेश को भी डस्टबिन में डाल दिया। जानकारी के अनुसार क्लर्क मिश्रा अभी भी जिला कार्यालय में काम कर रहा है। हालांकि इसके पीछे तर्क ये दिया जा रहा है कि कार्यालय में टेक होम राशन स्कीम की ऑडिट चल रही है। जिससे संबंधित समस्त रिकॉर्ड यह क्लर्क अपने पास रखे हैैं। इसके चलते कार्यालय द्वारा उसे रिलीव नहीं किया गया। यहां बता दें कि क्लर्क द्वारा शाखा परिवर्तन के बावजूद प्रभार नहीं दिया जा रहा। जिसके चलते वह कार्यालय में टिका हुआ है। चर्चाओं के अनुसा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रभार नहीं दिए जाने के मामले को भी एसडीएम की अध्यक्षता वाली जांच कमेटी में शामिल करने के लिए पत्र दिया है।

18/02/2024

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