टाइगर रिजर्व में 600 गिद्ध ! मृत पशु से मानव के बीच बैक्टीरिया- वायरस को रोकने बनेंगे दीवार
वन विभाग द्वारा गिद्धों के संरक्षण में उठाए गए कदम प्रभावी साबित

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सागर। वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व समेत अन्य वन परिक्षेत्रों में चल रही गिद्धों की तीन दिवसीय गणना पूर्ण हो गई है। प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार टाइगर रिजर्व में पहले दिन 458 दूसरे दिन 504 और तीसरे दिन यानी रविवार को 592 गिद्ध देखे गए। पूरे एरिया में 75 घोंसले मिले। इसी तरह सागर सर्किल में इन तीन दिनों में क्रमश: 1055, 1171, 1266 गिद्ध दिखाई दिए। टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. एए अंसारी के अनुसार गिद्धों की बड़ी हुई संख्या यहां के पारिस्थितकीय तंत्र के सुदृढ़ होने का संकेत है। बता दें कि तीन साल पहले वर्ष 2021 में गिद्धों की गणना हुई थी। तब यहां इस पक्षी की संख्या करीब 300 ही थी। डॉ. अंसारी ने बताया कि उपरोक्त डाटा भोपाल स्थित मुख्यालय भेजा जा रहा है। जहां से गिद्धों की वास्तविक संख्या, उनकी प्रजातियों की मौजूदगी आदि के बारे में फाइनल डाटा जारी किया जाएगा।
गिद्धों की गैर-मौजूदगी के मानव आबादी ने गंभीर परिणाम भोगे हैं
गिद्ध, विशुद्ध रूप से मांसाहारी होते हैं। कभी-कभी तो यह घंटे भर के भीतर शवों का पता लगा लेते हैं और खा लेते हैं। गिद्धों का पाचन तंत्र अत्यधिक अम्लीय होता है, जिससे मांस में मौजूद लगभग सभी बैक्टीरिया या वायरस मर जाते हैं। इस तरह से गिद्ध मृत मवेशी या अन्य जानवरों से फैलने से वाले बैक्टीरिया-वायरस को मनुष्य तक नहीं पहुंचने देते हैं। यही काम लकड़बग्घा, सियार या अन्य जानवर भी करते हैं लेकिन ये जानवर मानव की पहुंच में आ सकते हैं। जो कहीं अधिक खतरनाक हो सकता है। इसलिए मृत जानवरों की सफाई के लिए गिद्ध सबसे श्रेष्ठ विकल्प माने गए हैं। एक शोध के अनुसार गिद्धों की घटती संख्या का हमारा देश करीब दो दशक पहले काफी बड़ा खामियाजा भुगत चुका है। इस शोध के अनुसार कुत्तों ने बीमार मवेशियों को खाया। जिससे वह रैबीज ग्रस्त हो गए। इसके बाद उन्होंने मानव आबादी पर हमला करना शुरु कर दिया। वर्ष 1992-2006 तक इस समस्या के चलते 48,000 लोगों की मौत का अनुमान लगाया गया था। यदि गिद्ध पर्याप्त संख्या में अस्तित्व में होते तो इन मौतों को टाला जा सकता था।https://youtube.com/shorts/T1qS8E96zL0?si=7qRk2A52GDZs7tlf
दवाओं पर प्रतिबंध, वनों की सुरक्षा और बढ़ता टाइगर परिवार बना कारण
गिद्धों की संख्या में बढ़ोत्तरी का सबसे बड़ा कारण प्रतिबंधित दवा डायक्लोफेनिक का इस्तेमाल बंद करना रहा। पूर्व में मवेशियों को यह दवा दर्द निवारक के तौर पर दी जाती थी। बाद में उनकी मौत होने पर गिद्ध इन मवेशियों का मांस खाते थे। जिसके चलते तेजी से उनकी मौत होने लगीं। स्थानीय स्तर पर गिद्धों की संख्या में बढ़ोत्तरी का एक बड़ा कारण उनके रहवास वाले वृक्षों की एवं ऐसे पथरीले या चट्टानी स्थान जहां वह घोंसला बनाते हैं, उन तक मानव द्वारा किसी तरह की छेड़छाड़ या नुकसान नहीं करना रहा। तीसरा बड़ा कारण, रिजर्व में बाघ समेत अन्य मांसाहारी जानवरों की संख्या में वृद्धि होना रहा। उनके द्वारा किए गए शिकार के अवशेषों से इन गिद्धों का भरण-पोषण हुआ। बता दें कि गिद्ध प्रजाति की प्रजनन दर अन्य पक्षियों की अपेक्षा कम होती है। मादा गिद्ध वर्ष में एक बार ही एक ही अंडा देती है।
19/02/2024



